द लीडर देहरादून।
साहब बदलते ही निजाम का मिजाज भी बदलना ही था। मीडिया इस बदलाव को देख रहा है और मीडिया को भी बदली नज़रों से देखा जा रहा है। सोशल मीडिया में नई-पुरानी निष्ठाओं के प्रदर्शन के बीच ये चर्चा भी है कि क्या मीडिया नियंत्रकों के बदलने के बाद मीडिया भी कुछ तेवर बदलने जा रहा है!
कई दिनों से चली आ रही चुपचाप विज्ञप्ति छापो नीति से इतर फूलदेई पर कुछ पत्रकारों को मुख्यमंत्री की तरफ से कवरेज के लिए बुलाया गया। कुछ पत्रकार पोर्टलों के लिये जमानत राशि कम क़रने की मांग लेकर गए तो तुरंत मांग पूरी हो गई। आईएफडब्लूजे के लोगों ने पत्रकारों के उत्पीड़न और फर्जी मुकदमों के बारे में सीधे सीएम से बात की और विक्रम राव जी से भी फोन पर बात भी करवा ली। मलतब ये कि जिनकीं नहीं सुनी गई अब सुनी जा रही है। जिन पर मुकदमे हैं वो उम्मीद में हैं और जो मुकदमेबाज सरकारों की हवा निकालने का दम भरते हैं उनके भी मिजाज बदले हैं।
कुछ पत्रकार बड़े हौसले में दिख रहे हैं। कोई विज्ञापनों में बंदर बांट के सबूत पेश कर ले रहा है। कोई ऑडियो जारी कर उपनिदेशक की पोल खोल रहा है। इन्हें मुकदमे का डर नहीं लग रहा है।
डीजी इनफार्मेशन मेहरबान सिंह के साथ उनका खौफ भी कम हुआ। पूर्व मुख्यमंत्री का तगड़ा मीडिया नियंत्रण दल भी अब नहीं है। मीडिया सलाहकार, मीडिया समन्वयक और मुख्यमंत्री की सोशल मीडिया टीम के तीन सदस्य अब नहीं हैं। इनके अलावा भी त्रिवेंद्र के दस्ते में एक दमदार ओएसडी समेत मीडिया से संपर्क रखने वाले और लोग भी थे।पार्टी के मीडिया गुरु तो जब से राज्य बना तब से अपनी टीम के साथ मुख्यमंत्रियों की सेवा में लगे ही रहते हैं। मीडिया के गुरु भी बने हुए हैं। त्रिवेंद्र औऱ तीरथ दोनों ही गढ़वाल विश्वविद्यालय से निकले पत्रकार हैं, जाहिर है कुछ पत्रकार तो इसलिए भी उनसे जुड़े हैं। उनके एक ओएसडी तो चैनल मालिक बन कर अपने मुख्यमंत्री के छवि निर्माण में लग गए थे, उन्होंने न सिर्फ तेवर वालों को नौकर बना कर दुरुस्त किया बल्कि सरकारी धन भी खूब पाया।
सरकार में अंदर तक घुसपैठ कर सकने वाले धुरंधर पत्रकार असमंजस में हैं। कुछ नए छेद खोजने और नई फ़ौज बनाने की जुगत में हैं। कुछ नए हुज़ूर को रिझाने के लिए पुराने अंदाज में जै जै कर रहे हैं। यूं होगा वही जो होता आया है पर फिलहाल तो नज़ारा बदला सा है।
नवनियुक्त महानिदेशक सूचना रणवीर सिंह चौहान ने बुधवार को कार्यभार ग्रहण करते ही अधिकारियों की बैठक में मीडिया प्रतिनिधियों से मधुर संबंध बनाने के निर्देश दिये। यानी संबंधों में मधुरता की कमी तो थी।उन्होंने कहा कि सूचना विभाग सरकार की योजनाओं और नीतियों को जनता तक पहुंचाने में सेतु का कार्य करता है। इसमें मीडिया का अहम योगदान है, इसलिए मीडिया तक सूचनाओं का आदान-प्रदान त्वरित गति से होना चाहिए ।
उन्होंने जब कहा कि पत्रकारों के हितों के लिए जो योजनाएं संचालित हैं उनमें विशेष फोकस रखा जाय तो जय सिंह रावत प्रकरण याद आया। सोशल मीडिया पर विशेष फोकस रखने को भी कहा।
इस बीच त्रिवेंद्र की मीडिया मैनेजमेंट टीम के विकल्प तौर पर कुछ चेहरे मुख्यमंत्री के सामने मौका पाकर हाज़िर हो रहे हैं। कुछ की पैरवी भी हो रही है। सदाबहार लोग मस्त हैं।