पिता के निधन के बाद बिहार की सियासत में तनहा पड़े लोजपा के “चिराग”

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लखनऊ | बिहार की राजनीति में अपनी अच्छी पेहचान बनाने वाली लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के संस्थापक रामविलास पासवान के निधन के बाद उनके पुत्र और जमुई के सांसद चिराग पासवान सियासत में तन्हा नजर आने लगे हैं। पिछले साल हुए बिहार विधानसभा में लोजपा के साथ गलबहियां करने वाले उनके अपने तो उनका साथ छोड़ ही रहे हैं। बिहार विधान परिषद में लोजपा की एकमात्र प्रतिनिधित्व करने वाली नूतन सिंह ने अब भारतीय जनता पार्टी (BJP) का कमल थाम लिया है।

पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में चिराग खुद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ‘हनुमान’ बताकर चुनावी मैदान में अपनी पार्टी को उतारा था। ऐसी स्थिति में भाजपा के नेताओं ने यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने बिहार दौरे में यह कहा था कि राजग में सिर्फ भाजपा, जदयू, विकासशील इंसान पार्टी और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा शामिल है। माना जाता है कि इसके बावजूद लोजपा मतदाताओं में भ्रम पैदा करने में सफल रही थी। यही कारण है कि चुनाव में लोजपा भले ही एक सीट पर विजयी हुई हो लेकिन जदयू को कई सीटों पर नुकसान पहुंचाया था। हालांकि चिराग के लिए यह दांव अब उल्टा पड़ गया लगता है।

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बिहार में एकसाथ सरकार चला रही भाजपा जदयू के दबाव में लोजपा के संस्थापक रामविलास पासवान के निधन के बाद खाली हुई राज्यसभा सीट पर लोजपा के किसी अन्य नेता को नहीं भेजकर भाजपा ने पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी को भेजकर लोजपा को यह स्पष्ट संदेश दे दिया था, कि राजग में लोजपा की स्थिति अब वैसी नहीं रही।

इधर, मंगलवार को लोजपा के प्रदेश, जिला व प्रखंड के कई दिग्गज नेताओं सहित सैकड़ों कार्यकर्ता भाजपा में शामिल हो गए। बेतिया में आयोजित एक मिल समारोह में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल ने कहा कि भाजपा एक परिवार है और यहां भाई की तरह सम्मान मिलेगा। पूर्व में लोजपा-भाजपा का मजबूत गठबंधन रहा। चंपाारण भाजपा का गढ़ है, लोजपा नेताओं के भाजपा में शामिल होने के बाद अब अभेद्य किला बन गया है।

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