इस मुल्क में तैयार हो रही कुरान की सबसे बड़ी कॉपी

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मशहूर पाकिस्तानी कलाकार शाहिद रसम और उनके 200 से ज्यादा सहयोगी 2017 से कुरान की दुनिया की सबसे बड़ी प्रति तैयार करने में लगे हैं। कराची आर्ट काउंसिल विंग पर कुरान की इस कॉपी को एल्युमिनियम में तैयार करके विशाल कैनवास पर सोने से मढ़वाया जाएगा। (Largest Copy Of Quran)

सबसे बड़ी कुरान की प्रति तैयार करने के इस प्रोजेक्ट पर काम करने में रोजाना औसतन 10 घंटे खर्च करने वाले रसम का अनुमान है कि यह दुर्लभ परियोजना 2026 में पूरी हो जाएगी।

यह दुर्लभ कलाकृति 8.5 फीट लंबी और 6.5 फीट चौड़ी होगी, जो सबसे बड़े कुरान के मौजूदा रिकॉर्ड से काफी बड़ा आकार है। कुरान की 6.5 फीट लंबी और 4.5 फीट चौड़ी प्रति 2017 में अफगानिस्तान में तैयार करके रूस के कज़ान शहर की कुल शरीफ़ मस्जिद में रखी गई। (Largest Copy Of Quran)

कराची के आर्टिस्ट रसम के मुताबिक, इस्लाम की सबसे पवित्र पुस्तक कुरान की प्रतियां आमतौर पर लकड़ी, कागज, जानवरों की खाल और कपड़े जैसी पारंपरिक सामग्रियों का उपयोग करके बनाई जाती रही हैं। यह 1400 से जयादा समय के इस्लामी इतिहास में पहली बार है जब कुरान को एल्युमिनियम में प्रिंट किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि यह परियोजना काफी चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि यह कुरान की पवित्रता से संबंधित है और एक छोटी सी गलती उनके सभी प्रयासों को बर्बाद कर सकती है।

परियोजना का पहला नमूना सूरह रहमान नवंबर में दुबई एक्सपो 2020 में प्रदर्शित किया जाएगा। (Largest Copy Of Quran)

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रसम ने कहा कि उनकी टीम ने तुर्की, अरबी और ईरानी कला डिजाइनों का अध्ययन करने के बाद अपना खुद का डिजाइन बनाया। लेकिन यह इन डिज़ाइनों का घालमेल नहीं है, बल्कि प्रेरणा हैं।

उन्होंने कहा कि 550 पृष्ठों पर 77 हजार 430 शब्दों को कास्ट करने के लिए लगभग 200 किलोग्राम सोना, 2000 किलोग्राम एल्युमीनियम और 600 रोल कैनवास का इस्तेमाल किया जाएगा। इसके अलावा माणिक, नीलम, पन्ना जैसे कीमती पत्थरों का इस्तेमाल डिजाइन को समृद्ध करने के लिए किया जाएगा। (Largest Copy Of Quran)

रसम के मुताबिक, उन्होंने अपने फंड से इस प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी। सरकार या किसी संस्थान से कोई वित्तीय सहायता नहीं है। हालांकि, इस संबंध में कई विदेशी सरकारें उनसे संपर्क कर चुकी हैं।

रसम ने इस बात पर जोर दिया कि उनका काम न केवल मुसलमानों के लिए है, बल्कि इस काम में प्रदर्शित इस्लामी कला और संस्कृति के माध्यम से विभिन्न धर्मों के लोगों को आकर्षित करना है।


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