दूसरा शाही स्नान: महामारी के खौफ के बीच जारी हैं आस्था की डुबकियां

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ज्योति एस हरिद्वार
मेष संक्रांति और वैशाखी के दूसरे शाही स्नान पर हरिद्वार में महामारी का खौफ भी दिख रहा है। हर की पैड़ी ब्रह्मकुंड पर रात 12 बजे ही डुबकियां लग रही हैं। खूब रौनक है लेकिन बाकी घाटों पर अपेक्षित भीड़ नहीं है।
संत कोरोना प्रोटोकाल से मुक्त हैं लेकिन भक्तों की जगह जगह जांच हो रही है। रात 12:00 बजे से ही हरकी पैड़ी समेत आसपास घाटों पर स्नान शुरू हो गया था। 7 बजे के बाद घाट संतों के लिये खाली कराए। सेनेटाइज कराने के बाद सबसे पहले निरंजनी अखाड़ा , फिर जूना के साथ तीन अखाड़े आये। सभी 13 अखाड़ों के स्नान शाही स्नान के लिए सोमवती अमावस्या जैसा क्रम रखा गया है।


अखाड़ों के विशाल और भव्य शस्त्रों को भी स्नान कराया गया। इस बार शास्त्रों के साथ घाट पर तिरंगा भी लहराया गया।
केंद्र सरकार की ओर से भले ही एसओपी जारी की गई, प्रशासन ने कड़े बंदोबस्त किए हों लेकिन साधु इनसे परे रहे। श्रद्धालुओं को हरिद्वार में प्रवेश भी कोविड की नेगेटिव रिपोर्ट ओर रजिस्ट्रेशन कराने के बाद दिया गया।

सबसे अहम स्नान यही

शास्त्रीय मान्यता और ज्योतिष गणना के अनुसार 14 अप्रैल को सूर्य के मेष राशि में आने पर हरिद्वार कुंभ की वास्तविक स्थिति बन रही है। ज्योतिष गणना के अनुसार हरिद्वार में कुंभ गुरु बृहस्पति के कुंभ राशि में और सूर्य के मेष राशि में एक साथ होने पर होता है। गुरु 5 अप्रैल को कुंभ राशि में आ गए थे पर सूर्य 14 अप्रैल की मध्यरात्रि को मेष राशि में आए ।
मेष संक्रांति के साथ वैशाखी पर्व की उदया तिथि होने के कारण आज का स्नान बेहद फलदाई और पुण्य कारक बताया गया है ।
ज्योतिषाचार्य पंडित शक्ति धर शर्मा शास्त्री ने बताया कि स्कंद पुराण और शिव पुराण के अनुसार यह तिथि पितरों की प्रसन्नता के निमित्त किए गए कार्यों के लिए भी विशेष रूप से पुण्यदाई मानी गई है।

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