कोटा में 5 दोस्तों ने लग्जरी कारों को बना डाला एम्बुलेंस, कोरोना मरीजों को दे रहे नई जिंदगी

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कोटा। कोचिंग सिटी कोटा में कोरोना के बढ़ते संक्रमण  से अस्पतालों में बेड और ऑक्सीजन ही नहीं बल्कि दवा और इंजेक्शन के लिए भी मरीजो के परिजनों को भटकना पड़ रहा है. इन हालात में शहर के 5 युवाओं ने मरीजों की परेशानियों को दूर करने का बीड़ा उठाया. और अपनी लग्जरी कारों को आपातकालीन अस्पताल बना डाला.

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आपातकालीन अस्पताल बनी लग्जरी कार

इन कारों में ये युवा ना केवल बेड बल्कि नि:शुल्क प्राणवायु ऑक्सीजन देकर मरीजों की जान बचाने का काम कर मानवता की मिसाल कायम कर रहे हैं. मौज मस्ती और घूमने के काम आने वाली ये लग्जरी कारें अब मरीजों और उनके परिजनों के लिए वरदान साबित हो रही है.

कोरोना काल में 5 युवा दोस्तों की यह पहल

मंगलवार को इन लग्जरी कारों में 4 मरीजों को ऑक्सीजन लगाई गई. वहीं 2 मरीजों के घर पर ऑक्सीजन सिलेंडर पहुंचाया गया. 5 युवा दोस्तों की यह पहल कोरोना के संकट काल में लोगों की जान बचाने के लिये दूसरों को भी प्रेरित कर रही है.

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परेशान मरीजों को देखा तो आया सेवा का ख्याल

विज्ञाननगर निवासी 44 वर्षीय चन्देश का आर्य समाज रोड़ पर गाड़ियों का सर्विस सेंटर है. कोरोना की दूसरी लहर में कोटा में बिगड़े हालात में मरीजों को बेड और ऑक्सीजन के लिए भटकते देखा तो मन मे उनकी मदद करने का विचार आया. चन्द्रेश ने साईं मित्र मंडल के अपने 4 दोस्तों आशीष सिंह, भरत, रवि कुमार और आशु कुमार को साथ लिया. पांचों ने मिलकर विज्ञान नगर के साईं चौक में 3 लग्जरी कारों को खड़ा कर आपातकालीन अस्पताल बना दिया.

एक कार में 3 मरीजों को ऑक्सीजन उपलब्ध कराने की व्यवस्था

एक कार में तीन मरीजों को ऑक्सीजन उपलब्ध करवाने की व्यवस्था की गई. एम्बुलेंस की तरह इन कारों में सामान्य बेड के अलावा ऑक्सीजन सिलेंडर भी उपलब्ध करवाया जा रहा है.

युवाओं की पहल मरीजों और उनके परिजनों के लिए वरदान बनी

ये दोस्त इलाके में चिकित्सा विभाग की टीमों की तरह घर-घर जाकर गंभीर मरीजों को चिन्हित करते हैं. ऐसे मरीज जिनको अस्पताल में बेड और ऑक्सीजन नहीं मिल रही है उन्हें कार में लेटाकर ऑक्सीजन लगाई जा रही है. दूसरा इंतजाम नहीं होने तक या मरीज की कंडीशन ठीक होने तक उसे कार एम्बुलेन्स में ही रखा जा रहा है. इतना ही नहीं इन एम्बुलेंस से मरीज को अस्पताल व डॉक्टर के घर तक भी पहुंचा रहे हैं.

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मोबाइल नंबर फ्री सेवाओं के लिए सार्वजनिक कर दिये

मरीज को भर्ती नहीं होने तक या घर पर डॉक्टर द्वारा चेकअप नहीं होने तक एम्बुलेंस वहीं खड़ी रहती है. युवाओं ने अपने मोबाइल नंबर फ्री सेवाओं के लिए सार्वजनिक कर दिये हैं. उसके बाद से लगातार दिन-रात उनके पास फोन आ रहे हैं.

प्रतिदिन 5 से 7 हजार का खर्चा आ रहा है

चन्द्रेश ने बताया कि, फिलहाल 3 कारें लगाई हैं. जरूरत पड़ने पर इनकी संख्या बढ़ा देंगे. इनमें एक कार उनकी खुद की है. एक भाई की और एक चाचा की है. इनमें दो कारों को एम्बुलेंस बनाया गया है. सभी गाड़ियों में गैस किट लगवाया गया है. मरीज के ऑक्सीजन चढ़ने तक कार का एसी चालू रखना पड़ता है. ऑक्सीजन सिलेंडर और कारों का मिलाकर प्रतिदिन 5 से 7 हजार का खर्चा आ रहा है. ये खर्च सभी दोस्त आपस मे मिलकर उठा रहे हैं. कुछ लोग भी इनकी मदद कर रहे हैं.

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