द लीडर। देश में भर्ती परीक्षाओं की कहानी किसी से छिपी हुई नहीं है पहले तो भर्ती आती नहीं और अगर आ भी गयी तो फिर परीक्षा का इंतजार करना पड़ता है। जिसके बाद परिणाम का और अगर सब कुछ ठीक रहा तो फिर किसी न किसी वजह से ममला कोर्ट में फंस ही जाता है। और जब देर सबेर नियुक्ति मिल भी जाती है। तो नौकरी करने वाले इंसान के मन में ये डर हमेशा रहता है कि, कहीं कोई किसी मुद्दे पर फिर से कोर्ट न चला जाये और उसकी नौकरी पर संकट आ जाये।
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अब उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग की पीसीएस की प्रारंभिक परीक्षा 2021 को ही देख लीजिये भर्ती प्रक्रिया अंतिम दौर में चल रही थी कुछ के इंटरव्यू हो चुके थे तो कुछ के होने बाकी थे कि, बीच में ही उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक बड़ा झटका दे दिया।
पीसीएस की प्रारंभिक परीक्षा 2021 के रिजल्ट रद्द
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग की पीसीएस की प्रारंभिक परीक्षा 2021 के रिजल्ट को रद्द कर दिया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पीसीएस 2021 की प्री परीक्षा का परिणाम पूर्व सैनिकों के लिए पांच फीसदी आरक्षण की व्यवस्था लागू कर संशोधन के बाद जारी करने के लिए कहा है।
अब जब पीसीएस 2021 के लिए इंटरव्यू की प्रक्रिया चल रही है तो कोर्ट के इस आदेश का भर्ती के लिए चल रहे इंटरव्यू पर भी विपरीत असर पड़ना तय है। मुख्य परीक्षा में सफल अभ्यर्थियों का इंटरव्यू 21 जुलाई को शुरू हुआ था जो 5 अगस्त तक चलना है जिसमें 630 पदों के सापेक्ष 1285 अभ्यार्थियों को इंटरव्यू के लिए बुलाया गया है।
पूर्व सैनिकों को नहीं दिया गया फायदा
पीसीएस की प्रारंभिक परीक्षा 2021 के रिजल्ट को रद्द करने के पीछे की वजह ये बताई जा रही है कि, पूर्व सैनिकों को पांच प्रतिशत आरक्षण देने की व्यवस्था की गई थी लेकिन इसमें ग्रुप ए और बी को हटा दिया गया था। इसी को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी।
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हालांकि इसके बाद नियम में बदलाव हुआ और ग्रुप बी को इसमें शामिल कर दिया गया। इसकी सूचना 10 मार्च 2021 के गजट में प्रकाशित हुई और पीसीएस के लिए आवेदन की अंतिम तिथि 17 मार्च 2021 थी। याचिका में आरोप लगाया गया है कि, अधिसूचना जारी होने के बाद भी पूर्व सैनिकों को इसका फायदा नहीं दिया गया।
पूर्व सैनिकों को 5 प्रतिशत आरक्षण न दिए जाने पर प्री परीक्षा रद्द
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पूर्व सैनिकों को नियमानुसार 5 प्रतिशत आरक्षण न दिए जाने पर प्री परीक्षा रद्द कर दी है। और अब नए सिरे से परिणाम जारी करने के पहले पूर्व सैनिकों को 5 प्रतिशत आरक्षण का लाभ दिया जाएगा।
हाईकोर्ट के आदेश के बाद हालाँकि आयोग की तरफ से कोई अधिकृत बयान जारी नहीं किया गया है। लेकिन सूत्रों की मानें तो आयोग इस आदेश के खिलाफ डबल बेंच में याचिका दायर कर सकता है।
अब इस आदेश के बाद ये बात तो साफ है कि, रिजल्ट आने में समय लग सकता है क्योंकि अब कुछ नए कैंडिडेट्स को भी इंटरव्यू के लिए बुलाया जाएगा। लेकिन इस तरह की समस्या का होना कोई नई बात नहीं है इससे पहले पीसीएस 2018 में भी महिला अभ्यर्थियों के क्षैतिज आरक्षण को लेकर विवाद होने पर आयोग को प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम संशोधित करना पड़ा था।
क्यों नहीं बनाई जाती है मजबूत नीति ?
लेकिन सवाल वही है कि, इन सब मुद्दों पर भर्ती जारी करने के पहले विचार क्यों नहीं होता और अगर भर्ती में कोर्ट को संशोधन करना पड़ता है तो क्या इसके जिम्मेदार आयोग के अधिकारी नहीं है। प्रश्नपत्र में सवालों का गलत होना या आरक्षण के मुद्दे पर भर्ती में विवाद होना एक आम बात है तो उसको लेकर एक मजबूत नीति क्यों नही बनाई जाती।
और जब चुनावों के समय रातों-रात कोर्ट के निर्णय आ जाते है और बड़े से बड़ा विवाद कुछ समय में ही सुलट जाता है तो भर्तियों का विवाद इतना समय क्यों लेता है जिसमें अभ्यार्थियों को सालों इंतजार करना पड़ता है और कुछ का विवाद तो सुलझाने में पंच वर्षीय भी निकल जाती है।
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