जानिए पूजा में अगरबत्ती जलाना सही है या गलत…

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द लीडर हिंदी :  बता दें कि पूजा के समय ज्यादातर घरों में अगरबत्ती जलाई जाती है, लेकिन इसे जलाना कितना सही है. इससे हमें किसी तरह का नुकसान तो नहीं ये भी जानना जरूरी है.

अगरबत्ती से मनाही है या नहीं. इसके बारे में कुछ भ्रांतियां हैं. हर धर्म में आपने देखा होगा कि शुद्धता के लिए लोग अगरबती जलाते हैं, लेकिन धर्मानुसार इसे सही नहीं माना जाता है. बता दें कि पूजा-पाठ करते समय अगरबत्ती की महक से घर का वातावरण शुद्ध हो जाता है.

अगरबत्ती जलाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. अगरबत्ती की महक से देवता भी प्रसन्न रहते हैं और उनकी कृपा हम सभी के परिवार पर बनी रहती है.इसके साथ ही अगरबत्ती को सुख-समृद्धि का प्रतीक भी माना जाता है, इसलिए अगरबत्ती जलाना शुभ और अच्छा माना जाता है. कहते हैं कि अगरबती में बांस का इस्तेमाल होता है और पूजा में जलाने से दोष लगता है. अगर साइंस की बात करें तो अगरबत्ती के धुएं से फेंफडों को भी नुकसान पहुंचता है.

बता दें कि अगरबत्ती जलाने के दो प्रयोजन हैं. पहला यह कि देवताओं के समक्ष अगरबत्ती जलाकर उन्हें प्रसन्न करना और दूसरा यह कि घर में सुगंध को फैलाना जिससे मन शांति महसूस करे. अगरबत्ती जलाने से घर की नकारात्मक ऊर्जा बाहर हो जाती है.

विशेष प्रकार की सुंगध से मस्तिष्क का दर्द और उससे संबंधित रोगों का नाश हो जाता है. इसे दिल के दर्द में भी लाभदायक माना गया है. इससे गृहकलह और पितृदोष का भी शमन हो जाता है और घर में शांति एवं समृद्धि बनी रहती है.

अगर आपको किसी भी तरह का तनाव या कोई चिंता है तो घर में खास प्रकार की सुगंध वाली अगरबत्ती लगाएं. इससे रात में अच्छी नींद भी आती है. अगरबत्ती लगाने से पारलौकिक या दिव्य शक्तियां आकर्षित होती है और व्यक्ति को उनसे मदद मिलती है.

जानिए आखिर अगरबत्ती क्यों नहीं जलानी चाहिए?
आजकल अगरबत्ती बनाने में बांस के लकड़ी का इस्तेमाल होता है इसलिए बांस का अगरबत्ती नहीं जलाना चाहिए. पहले अगरबत्ती बनाने के लिए चिरचिरा या अन्य लकड़ी का प्रयोग होता था जो देखने में बांस की तरह होता है लेकिन वह वास्तव में बांस नहीं होता है. इसलिए बांस की बनी हुआ अगरबती नहीं जलाना चाहिए.

वही हिन्दू धर्म में पूजा के समय अगरबत्ती जलाई जाती है, अगरबत्ती जलाने की मनाही होती है क्योंकि अगरबत्ती बांस से बनती है और सनातन परंपरा में बांस जलाना अशुभ माना जाता है. इससे पितरों का क्रोध बढ़ता है और पितृ दोष लगता है.

बांस प्रतिकूल परिस्थितियों में भी भरपूर वृद्धि का प्रतिनिधित्व करता है और किसी भी प्रकार के तूफानी मौसम का सामना करने का सामर्थ्य रखने का प्रतीक है. बता दें कि यह पौधा अच्छे स्वास्थ्य का प्रतीक है. हालांकि बांसों की रगड़ से कभी-कभी आग लग जाती है तो सारे बांस अपनी ही आग में जल जाया करते है जिससे बांसों की कमी हो जाती है. ऐसे में बांसों को बचाना और भी जरूरी हो जाता है.

वही आजकल तो अगरबत्तियों में भी बांस का उपयो‍ग किया जाता है. अब में लोगों के मन में यह धारणा बैठ गई है कि अगरबत्ती को जलाना सही नहीं है. इसको जलाने से वंश नष्ट हो जाता है. हालांकि इस सोच के पीछे कारण यह है कि अगरबत्ती में बांस का इस्तेमाल किया जाता है और बांस के बारे में प्राचीनकाल से ही यह विश्वास मन में बैठा हुआ है कि बांस जलाने से वंश नष्ट हो जाता है.

आज जानते हैं आखिर इसका क्या कारण है.
पहला कारण :
भारतीय सनातन परंपराओं में बांस का जलाना गलत माना जाता है.लोगों ने ऐसी धारणा मन में बैठा ली है कि अगर बांस की लकड़ी से चूल्हा जलाया गया तो वंश नष्ट होने से कोई रोक नहीं सकता. यह भी हो सकता है कि प्राचीनकाल से ही बांस की उपयोगिता रही है.

बतादें कि बांस से जहां घर बनते थे वहीं इससे टोकरियां, चटाई और बांसुरियां भी बनाई जाती थीं. बांस मनुष्य जीवन के लिए बहुत ही उपयोगी माने गए हैं. लोग इनका उपयोग जलाने की लकड़ी की तरह नहीं करें, शायद इसीलिए यह अफवाह फैलाई गई कि बांस जलाने से वंश नष्ट होता है.

दूसरा कारण : वैज्ञानिकों के अनुसार बांस को जलाने से हमारे स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ता है.बांस को जलाना काफी खतरनाक होता है.

संभवत: इसी लिए बांस जलाने का निषेध किया गया होगा. अगरबत्ती का प्रादुर्भाव एवं प्रयोग कब और कैसे प्रारम्भ हुआ यह शोध का विषय हो सकता है लेकिन इसके जलने से और इसका धुआं एवं गंध श्वास के साथ शरीर में जाने के कारण इसका स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव सिद्ध हो चुका है.

अगरबत्ती बांस की सींक पर केमिकल पदार्थो का लेप करके बनाई जाती है. इसमें नकली सेंट मिलाया जाता है. इसके जलने पर बांस भी जलता है और सेंट भी. बांस में लेड एवं भारी मेटल होता है. दोनों पदाथों के जलने से हानिकारक तत्व श्वास के साथ शरीर में प्रवेश कर जाते हैं जो कि भारी नुकसान दायक होते हैं.

3 कारण : ऐसी मान्यता भी है कि बांस जलाने से भाग्य का नाश हो जाता है. बांस का होना भाग्यवर्धक है लेकिन उसे जलाने से दुर्भाग्य घटित होता है. फेंगशुई में लंबी आयु के लिए बांस के पौधे बहुत शक्तिशाली प्रतीक माने जाते हैं. यह अच्छे भाग्य का भी संकेत देता है इसलिए आप बांस के पौधों का चित्र लगाकर उन्हें शक्तिशाली बना सकते हैं.

4 कारण : माना जाता है कि बांस जलाने से पितृदोष लगता है. अगरबत्ती बांस की बनी होती है अत: इसे जलाना शुभ नहीं होता. शास्त्रों में पूजन विधान में कहीं भी अगरबत्ती का उल्लेख नहीं मिलता सब जगह धूप ही लिखा हुआ मिलता है. अगरबत्ती बांस और केमिकल से बनाई जाती है जिसका सेहत पर बुरा असर होता है.

5 कारण : भगवान श्री कृष्ण हमेशा अपने पास बांस की बांसुरी रखते थे. भारतीय वास्तु विज्ञान में भी बांस को शुभ माना गया है. शादी, जनेऊ, मुण्डन आदि में बांस की पूजा एवं बांस से मण्डप बनाने के पीछे भी यही कारण है. अत: बांस को जलाना शुभ नहीं होता.ऐसा भी माना जाता है कि बांस का पौधा जहां होता है वहां बुरी आत्माएं नहीं आती हैं.

निष्कर्ष – वैसे इस तरह की कोई अफवाह नहीं होनी चाहिए कि अगरबत्ती नहीं जलानी चाहिए. केवल बांस से बनी हुई अगरबत्ती नहीं जलानी चाहिए. कुछ और कथित लोग सनातन धर्म को बदनाम करने के लिए इस प्रकार की अफवाह फैलाते है. आपको किसी प्रकार की शंका है तो अगरबत्ती की जगह धूप जला सकते हैं क्योंकि शास्त्रों में धूप और अगरबत्ती का सामान्य महत्व है.