जानिए आपकी सेहत के लिये कितना फायदेमंद है रसोई का ये मसाला-पढे़ं

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द लीडर हिंदी : दालचीनी, दालचीनी कहने को तो रसोई में उपयोग होनेवाला बस एक मसाला है. लेकिन इसके फायदे अन्य गिनत और बे मिसाल है. इंडियन किचन में मौजूद ऐसे कई मसाले हैं जिनका इस्तेमाल खाने के स्वाद के साथ सेहत के लिए भी किया जाता है. और दालचीनी उन्हीं मसालों में से एक है. अगर आप दालचीनी के फायदे जान जाएंगे तो इसको कभी भी अपने किचन से खत्म नहीं होने देंगे.

दालचीनी को आमतौर पर कुकिंग में टेस्ट और फ्लेवर के लिए इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन इसका इतना ही काम नहीं है इस मसाले से कई तरह की बीमारियों से खुद को दूर रखा जा सकता है. दालचीनी की चाय के सेवन से वजन को कम करने से लेकर डायबिटीज को कंट्रोल करने तक में मदद मिल सकती है.दालचीनी ब्लड शुगर को कंट्रोल करने का काम करता है. साथ ही यह हार्ट अटैक के खतरे को कम करने का काम करती है.

दालचीनी एक खास तरह की लकड़ी होती है, जो औषधिय गुणों से भरपूर होती है. दालचीनी जिसे हम अंग्रेजी में (Cinnamon) सिनेमामम भी कहते है. सिनेमामम नाम के पौधे के तने और शाखाओं की अंदरूनी छाल (परत) होती है. यह सेहत के लिए बहुत गुणकारी होती है अगर इसका सेवन सीमित मात्रा में किया जाए तब. नहीं तो यह जान के लिए खतरे की वजह भी बन सकती है.

वैसे तो आमतौर पर हम दालचीनी के एक ही प्रकार के बारे में जानते हैं, जिसका उपयोग ड्रिंक्स, दाल और सब्जी तैयार करने में किया जाता है. लेकिन दालचीनी मुख्य रूप से दो तरह की होती है. इन दोनों तरह की दालचीनी के बीच मुख्य अंतर स्वाद का होता है.

दालचीनी के दो रूप
बता दे आमतौर पर जो लकड़ी के रंग जैसी दालचीनी हमारे घरों में यूज होती है, उसका टेस्ट अधिक तीखा होता है. इसे रेग्युलर सिनमन या कैशीअ (Cassia) नाम से जाना जाता है.यह दालचीनी सुपरमार्केट और किराना शॉप्स पर आराम से मिल जाती है.भारतीय रसोई में ये ज्यादातर पाई जाती है.

1-दूसरी तरह की दालचीनी को सीलोन (Ceylon)नाम से जाना जाता है. इसका स्वाद कैशीआ से लाइट होता है। इस दालचीनी को ट्रयू सिनमन नाम से भी जाना जाता है। सीलोन का उपयोग कुछ खास चीजों और दवाओं में ही किया जाता है. यह कैशीअ की तुलना में महंगी होती है. कैशीअ दालचीनी यानी जो दालचीनी हम रसोई में उपयोग करते हैं, इसका सेवन बहुत कम और सीमित मात्रा में किया जाता है.वही अगर सही तरीके से इसका उपयोग किया जाए तो यह शरीर को कई गंभीर रोगों से बचाती है.

2-लेकिन अगर इसको ज्यादा मात्रा में उपयोग में लाया जाए तो यह लाभ पहुंचाने की बदले हमारी सेहत को हानि पहुंचा सकती है. क्योंकि इसमें कूमरिन (coumarin) नाम का कंपाउंड होता है. जो सेंट में वनीला की तरह फील होता है और टेस्ट में हल्का कड़वा होता है. इसको ज्यादा मात्रा में शरीर में जाने पर यह कई तरह की बीमारियां पैदा करता है. क्योकि इसकी तासीर काफी गरम बताई जाती है.

3-कई अलग-अलग रिसर्च में यह बात साबित हो चुकी है कि अधिक मात्रा में कूमरिन का सेवन लीवर को नुकसान पहुंचाता है। लंबे समय तक और निश्चित मात्रा से अधिक मात्रा में दालचीनी का उपयोग करने से लीवर डैमेज का खतरा बढ़ जाता है।

4-वही अगर बिना मात्रा का ध्यान रखे लगातार कूमरिन का सेवन किया जाए तो यह कैंसर का खतरा भी बढ़ा देता है. यह मुख्य रूप से लीवर कैंसर, फेफड़ों के कैंसर और किडनी संबंधी बीमारी पैदा करता है. इस तरह के होते हैं कैंसर के लक्षण.जैसे कहा जाता है हद से ज्यादा कोई भी चीज में आपको नुकसान पहुंचा सकती है. ठीक इसी तरह से दालचीना का असर होता है.

5-दालचीनी एक ऐसी प्राकृतिक औषधि है, जिसका सही मात्रा में सेवन करते रहने पर हाई ब्लड प्रेशर की समस्या नहीं होती है. साथ ही डायबीटीज के मरीज यदि इसका सेवन करें तो यह ब्लड में शुगर की मात्रा को भी नियंत्रित करने का काम करती है.

6-बता दें अगर सीमित मात्रा से अधिक दालचीनी का सेवन किया जाए तो ब्लड प्रेशर बहुत तेजी से कम भी हो सकता है, जो हानिकारक हो सकता है. अधिक मात्रा में नियमित उपयोग से दालचीनी के कारण थकान, उनींदापन और चक्कर आने की समस्या भी हो सकती है. ब्रेन को ऐक्टिव रखने के लिए डॉक्टर्स के अनुसार ये तरीके अपनाने चाहिए.

7- बता दें दालचीनी की चाय और काढ़ा भले ही हमारे रेस्पिरेट्री सिस्टम को क्लीन करने और हेल्दी रखने में मदद करता है. लेकिन अधिक मात्रा में दालचीनी के उपयोग से सांस से जुड़े रोग भी हो सकता हैं. यहां जानें, दालचीनी का काढ़ा बनाने का तरीका.

8-एक एक बार में ज्यादा दालचीनी का उपयोग किया जाए तो आपको खांसी, गले में खराश और जलन और सांस लेने में समस्या हो सकती है.

9- जिन लोगों को अस्थमा और सांस से जुड़ी दूसरी समस्याएं हों उन्हें दालचीनी का उपयोग करते समय खास सावधानी बरतनी चाहिए.

10-दालचीनी में सिनामनडिहाइड नामक कंपाउंड होता है। इसका सेवन अगर सीमित मात्रा से अधिक किया जाए तो यह शरीर में एलर्जी और रिऐक्शन पैदा करता है.

11 – दालचीनी फायदे के साथ नुकसान भी पहुंचाती है. अधिक मात्रा में दालचीनी के सेवन से मुंह में छाले और साथ ही जीभ में छाले हो सकते हैं. मुंह के अंदर इचिंग, सेंसेशन या गले में जलन की दिक्कत हो सकती है। साथ ही मुंह के अंदर सफेद रंग के पैच भी बन सकते हैं।

12 –हालांकि ये सभी दिक्कते हमारे लिए घातक स्थिति नहीं बनाती हैं लेकिन हमें दिमागी रूप से परेशान और शारीरिक रूप से असहज जरूर करती हैं.

एक्सपर्ट्स की मानें तो लगभग 60 किलो वजन के एक व्यक्ति के लिए दिनभर में 5 मिलीग्राम दालचीनी काफी होती है. यह मात्रा एक टेबलस्पून से भी काफी कम होती है. अगर आप एक पूरे दिन में इतनी दालचीनी का उपयोग अपने भोजन में करते हैं, तब भी आप सीमित मात्रा से अधिक दालचीनी का उपयोग कर रहे होते हैं.