अल्ताफ संग कानून पर भरोसे का भरम भी कब्र में दफनाकर चांद मियां बोले-”हमें पुलिस से कोई शिकायत नहीं”

अतीक खान


 

-फैज अहमद फैज का ये शेर पढ़ लीजिए. फिर अल्ताफ की दास्तां. ”बने हैं अहले हवस मुद्दई भी-मुंसिफ़ भी, किसे वकील करें, किस से मुंसिफ़ी चाहें.” ”मेरे बेटे ने डिप्रेशन में आकर फांसी लगा ली. पुलिस वाले उसे इलाज के लिए अस्पताल गए. लेकिन उसकी मौत हो गई. मुझे या मेरे परिवार को पुलिस से कोई शिकायत नहीं है. कोई कार्रवाई भी करना नहीं चाहता, न ही भविष्य में करूंगा.” ये इकरारनामा चांद मियां का है. जिनके सामने उनके 21 साल के जवान बेटे अल्ताफ की लाश थी. और कासगंज पुलिस ने उस पर अंगूठा लगवा लिया. अल्ताफ, जिनकी कासगंज कोतवाली में हिरासत में मौत हो गई. (Kasganj Police Altaf Law)

अल्ताफ की मौत का जो तर्क पुलिस ने दिया है. उस पर कई गंभीर सवाल हैं. पुलिस ने कहा कि, अल्ताफ टॉयलेट गया. जहां वह अपनी जैकेट की डोरी से पानी की टोंटी में लटक गया. पहला सवाल यही उठ रहा है कि, 5.6 फीट का एक जवान लड़का दो फिट की टोंटी से कैसे लटक जाएगा? दूसरा सवाल-क्या जैकेट की डोरी 21 साल के जवान लड़के का वजन उठा लेगी.

 

हवालात के जिस टॉयलेट में अल्ताफ फांसी पर लटके मिले. उसकी तस्वीरें भी सामने आई हैं. जिसकी बिनाह पर उनकी मौत संदिग्ध नजर आती है. बल्कि वकील, एक्टिविस्ट, पूर्व अफसर तो पुलिस हिरासत में अल्ताफ की हत्या का आरोप लगा रहे हैं.

जैकेट के नाड़े के सहारे टोंटी में लटककर फांसी लगाने का बयान कासगंज के एसपी रोहन प्रमोद बोत्रे ने दिया है. जिसमें एक नया तथ्य ये भी जुड़ गया कि अल्ताफ डिप्रेशन (अवसाद) में थे. (Kasganj Police Altaf Law)


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अल्ताफ के पिता का एक और वीडियो सामने आया है. जिसमें वह कह रहे हैं कि, मैं अनपढ़ हूं. एक कागज पर मुझसे अंगूठा लगवाया गया. मुझे नहीं पता उसमें क्या लिखा था? मैं बेटे के लिए इंसाफ चाहता हूं.

सवाल ये है कि आखिर पुलिस को ये इकरारनामा लेने की क्या जरूरत आन पड़ी कि चांद मियां को पुलिस से कोई शिकायत नहीं है. और मैं कोई कार्रवाई नहीं चाहता-न ही भविष्य में कार्रवाई करूंगा?

पुलिस क्यों डर रही है? क्या अब इंसाफ का यही तकाजा रह गया कि एक पिता से ये लिखवाया जाने लगे कि, वह भविष्य में भी कोई कार्रवाई नहीं करेंगे? आखिर क्यों? जिस बाप ने अपने बेटे को खुद पुलिस के हवाले किया हो और बदले में उसकी लाश मिले. क्या वो खामोशी से अपने जवान बेटे को दफना आए.

और पुलिस की तारीफ में कसीदे गढ़ने लग जाए कि वो तो अस्पताल ले गए थे. इसलिए पुलिस से अब कोई शिकायत नहीं है. जैसे अल्ताफ के साथ उन्होंने कानून व्यवस्था पर अपने भरोसे को भी कब्र में दफन कर दिया है. जहां इंसाफ की हर उम्मीद बेईमानी लगने लगी हो.

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले 3 सालों में पुलिस हिरासत में 1300 से ज्यादा लोग मारे गए हैं. पिछले दिनों गोरखपुर में व्यापारी मनीष गुप्ता की पुलिस ने एक होटल में हत्या कर दी थी. काफी हंगामा मचा तो पुलिसकर्मियों पर हत्या का केस दर्ज किया गया.


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समाजवादी पार्टी सड़क पर उतर आई. प्रियंका गांधी भी मिलीं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मनीष की पत्नी से बात की. उन्हें नौकरी और मुआवजा दिया. विपक्ष ने भी आर्थिक मदद की. (Kasganj Police Altaf Law)

लेकिन अल्ताफ के मामले में ऐसा नहीं है. न ही मनीष गुप्ता हत्याकांड जैसा शोर है न ही समाज के बड़े हिस्से से वैसी प्रतिक्रिया सामने आ रही है. एक दम सन्नाटा है. अल्ताफ जैसे नामों पर विपक्ष वैसे ही सदमें में आ जाता है. ऐसी खबर है कि गुरुवार को प्रियंका गांधी कासगंज पहुंच रही हैं.

अल्ताफ महज 21 साल के थे. उन पर एक गैर-समुदाय की लड़की को भगाने का आरोप था. इसी मामले में पुलिस पूछताछ के लिए उन्हें कासगंज कोतवाली ले गई. और 24 घंटे के अंदर अल्ताफ की लाश लौटाई.

स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अल्ताफ का जब पोस्टमार्टम किया जा रहा था, तब भी उनके परिवार को बेटे को देखने की इजाजत नहीं दी गई. परिवार सदमे में है. और बाप को भी मलाल है कि उन्होंने तो खुद अपने बेटे को पुलिस को सौंपा था. (Kasganj Police Altaf Law)

चांद मियां का वो इकरारनामा पढ़कर कई लोग ये कह रहे हैं कि जब उन्हें ही बेटे के लिए इंसाफ नहीं चाहिए. तो फिर हम क्यों आवाज उठाएं. लेकिन वाकई में एक बाप को अपने बेटे की मौत, जिसमें हत्या का संदेह हो, कोई शिकायत नहीं होगी. क्या चांद मियां ने किसी दबाव या मजबूरी में उस इकरारनामा पर अंगूठा लगाया है.

बॉम्बे हाईकोर्ट के एक वकील ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को एक मांग पत्र लिखा है, जो याचिका के समान है. उन्होंने अल्ताफ की मौत मामले की न्यायिक जांच कराए जाने की मांग की है.

एसपी रोहन प्रमोद बोत्रे ने लापरवाही के आरोप में 5 पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया है. मामले की मजिस्ट्रेट जांच कराई जा रही है. शायद अल्ताफ होने के लिए इतना भर काफी है. (Kasganj Police Altaf Law)

(लेखक पत्रकार हैं. यहां व्यक्त विचार निजी हैं. द लीडर का इससे सहमत होना जरूरी नहीं.)

Ateeq Khan

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