Exclusive : क्या आप जानते हैं आपकी गाढ़ी कमाई कैसे बर्बाद की जाती है

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मुजाहिद ज़ैदी

लखनऊ। सरकारें जनता से टैक्स लेने में कोई रियायत नहीं करती है लेकिन बदले में जनता की गाढ़ी कमाई के पैसे कैसे बर्बाद होते है। अगर आपको ये जानना हो तो आपको लखनऊ के गोमतीनगर स्थित जयप्रकाश नारायण अंतरराष्ट्रीय संस्थान यानि कि JPNIC आना चाहिए।

800 करोड़ से ज्यादा की रकम JPNIC के अधूरे निर्माण पर खर्च हो चुकी है। और उसके बाद ये इमारत साल दर साल खण्डहर में तब्दील होती जा रही है। इस बहुउद्देश्यीय इमारत का निर्माण 2013 में समाजवादी सरकार में होना शुरू हुआ था, इसे पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का ड्रीम प्रोजेक्ट माना जाता था।

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इसकी शुरुआती लागत 265 करोड़ रुपए आंकी गई थी। लेकिन निर्माण के साथ ही इसकी लागत में भी इजाफा होता गया। लगातार डिज़ाइन में बदलाव और नए फीचर्स जुड़ने से इसकी लागत 1000 करोड़ के पार चली गई। समाजवादी सरकार के दौरान बजट की कोई समस्या नहीं थी। लिहाजा 813 करोड़ रुपए खर्च हो गए और 65 करोड़ का निर्माण कर रही कम्पनी का बिल सरकारी विभाग में पेंडिंग है।

यानी कि आपके और हमारी जेब के 800 करोड़ रुपए से ज्यादा इमारत पर अब तक खर्च हो चुके है लेकिन जब आप JPNIC में प्रवेश करेंगे तो आपके मन मे सिर्फ गम और गुस्सा ही होगा। क्योंकि ये इमारत और इसमें लगा सामान अब कबाड़ में तब्दील हो रहा है और इमारत खण्डहर में तब्दील होती जा रही है।

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चार साल बाद भी जांच की रिपोर्ट नही आई

2017 में समाजवादी सरकार के जाते ही JPNIC के बुरे दिन शुरू हो गए, मौजूदा सरकार ने काम सम्भालते ही JPNIC को भ्र्ष्टाचार की बुलन्द इमारत बताया और इसे गैरजरूरी और जनता के धन की बर्बादी करार दिया और सरकार ने JPNIC के निर्माण में हुए कथित भ्र्ष्टाचार के जांच की बात कही और बाद में जांच के आदेश भी दे दिए गए। हालांकि 4 साल बाद भी अभी जांच रिपोर्ट नहीं आई है।

इस बीच LDA और आवास विकास ने JPNIC के अधूरे निर्माण को पूरा करने के लिए निर्माणकर्ता कम्पनी से कहा तो कम्पनी ने बाकी बचे काम के लिए 110 करोड़ रुपये के बजट की और मांग की। लेकिन सरकार ने इस पैसे को देने से हाथ खड़े कर दिए। JPNIC को प्राइवेट हाथों में सौंपने या फिर सरकार द्वारा कम्प्लीट कराके इसके संचालन पर भी कई बार विमर्श हुआ। लेकिन किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा जा सका।

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JPNIC की अवधारणा यूरोपीय देशों में मौजूद बड़े बहुउद्देश्यीय सेंटर्स से ली गई थी। इसीलिए इसमें बैडमिंटन कोर्ट, आल वेदर ओलम्पिक साइज स्विमिंग पूल और दूसरे स्पोर्ट्स एक्टिविटी को बढ़ावा देने के लिए मल्टी पर्पज स्पोर्ट्स कोर्ट समेत  कई निर्माण किए गए थे।

इसके अलावा सेमिनार हाल, स्टडी सर्किल, जिम्नेजियम, कल्चरल हॉल और जयप्रकाश नारायण के जीवन से जुड़े एक म्यूजियम का निर्माण भी किया गया था। 2016 में पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव कुछ खेल इवेंट के साथ इसके स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स का उदघाटन भी कर दिया था। लेकिन अब सब कबाड़ हो रहा है। और 800 करोड़ से ज्यादा की रकम के लिए सब एक दूसरे को जिम्मेदार बता रहे है।

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नवीन श्रीवास्तव ( प्रवक्ता भाजपा)
चाहे बसपा हो या सपा दोनों ने जनता की गाढ़ी कमाई को बहाया है। और अपनी जेबें भरीं है। रिवर फ्रंट, लोकभवन, या JPNIC हो ये सभी प्रोजेक्ट 200 करोड़ से शरू होकर 1हज़ार करोड़ के पार चले गए। इससे यही पता चलता है कि इन दोनों ने जनता के पैसों को एटीएम कार्ड समझ लिया था। यही वजह है आज जनता ने इनको कहा पहुँचा दिया है।

उदयवीर सिंह ( एमएलसी सपा)
समाजवादी पार्टी कह रही है कि राजनीतिक द्वेष की वजह से मौजूदा सरकार ने इस इमारत को बर्बाद कर दिया जो शायद लखनऊ और प्रदेश का प्राइड हो सकती थी। और योगी सरकार अपने अहंकार में डूबी हुई है।

ज़ीशान हैदर ( प्रवक्ता कांग्रेस)
कॉंग्रेस दोनों से अलग है और आरोप लगा रही है कि BJP और SP दोनों ही जनता के धन को बर्बाद कर रहे हैं। योगी सरकार ये सुनिश्चित करे कि इसमें भ्र्ष्टाचार हुआ है तो उन लोगो सज़ा मिले नही उसको जनता के लिए खोला जाए।

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