जितेंद्र नारायण को शिया वक्फ बोर्ड का सदस्य बने रहने का हक नहीं, सदस्यता खारिज करने की अर्जी

द लीडर : उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी, जो हाल ही में सनातन धर्म अपनाकर जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी बन गए हैं. शिया वक्फ बोर्ड से उनकी सदस्यता खारिज करने की एक अर्जी केंद्रीय अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय को भेजी गई है. तंजीम उलमा-ए-इस्लाम के महासचिव मौलाना शहाबुद्​दीन रजवी ने कहा-जितेंद्र नारायण सिंह को ये अधिकार हासिल नहीं है कि वो शिया बोर्ड का सदस्य बने रहें. (Jitendra Narayan Waqaf Board)

मौलाना ने केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी को एक मांग पत्र भेजा है. जिसमें वक्फ बोर्ड अधिनियम की धारा-1995 का हवाला देते हुए कहा है, कि इसमें स्पष्ट है कि शिया वक्फ बोर्ड का सदस्य वही हो सकता है, जो इस्लाम धर्म का मानने वाला हो. चूंकि वसीम रिजवी ने इस्लाम त्यागकर हिंदू धर्म ग्रहण कर लिया है. तो उनकी सदस्यता भी खारिज की जाए.

मौलाना ने कहा कि उत्तर प्रदेश की सपा सरकार में मंत्री रहते हुए सांसद आजम खान ने वसीम रिजवी को शिया वक्फ बोर्ड का चेयरमैन बनवाया था. वसीम 15 साल तक बोर्ड के अध्यक्ष रहे. इस दौरान बड़े पैमाने पर वक्फ की संपत्तियां खुर्द-बुर्द की. यूपी के कई जिलों में उनके खिलाफ केस दर्ज हैं. इसलिए उन मामलों में की भी जांच कराए जाए. और गड़बड़ी के आरोप में रिजवी को जेल भेज जाए. (Jitendra Narayan Waqaf Board)


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मौलाना शहाबुद्​दीन रजवी ने कहा कि मुसलमान अपने नबी से बेपनाह मुहब्बत करते हैं. उनमें आस्था है. हम सब कुछ बर्दाश्त कर सकते हैं लेकिन नबी की शान में गुस्ताखी हरगिज नहीं. वसीम रिजवी ने पैगंबर-ए-इस्लाम की शान में गुस्ताखाना किताब लिखी है. इस पर प्रतिबंध लगाकर सभी प्रतियां जब्त की जाएं.

इसलिए क्योंकि इस किताब के समाज में आने से शांति व्यवस्था की स्थिति खराब हो सकती है. मुस्लिम समुदाय के जज्बात और एहसास से अवगत करा रहे हैं. उम्मीद है कि हमारी मांगों पर गौर किया जाए. (Jitendra Narayan Waqaf Board)

 

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Ateeq Khan

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