रमज़ान के रोज़े की हालत में दरगाह आला हज़रत से इन कामों के लिए मनाही

The Leader. इस्लामी कैलेंडर का सबसे अहम और बरकत वाला महीना रमज़ान चंद दिन बाद शुरू होने जा रहा है. उससे पहले सुन्नी बरेलवी मुसलमानों के मरकज़ दरगाह आला हज़रत से रमज़ान के टाइम-टेबुल की जंतरी, साथ में मुस्लिम त्योहार और देशभर के प्रमुख उर्स की जानकारी वाला कैलेंडर भी जारी किया गया. ऐसा दरगाह के प्रमुख मौलाना सुब्हान रज़ा ख़ान सुब्हानी मियां और सज्जादानशीन मुफ़्ती मुहम्मद अहसन रज़ा ख़ान क़ादरी ने किया है.


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जंतरी के मुताबिक़ पहला रोज़ा 24 मार्च को हो सकता है. यह तड़के 4 बजकर 49 मिनट से स्टार्ट होगा और शाम 6 बजकर 29 मिनट पर ख़त्म होगा. यानी सहरी का वक़्त जंतरी में 4.49 और इफ़्तार का 6.29 दर्शाया गया है. इस एतबार से घंटों की बात करें तो पहला रोज़ा 13 घंटे 18 मिनट का होगा. रोज़ेदार इतने वक़्त तक भूखे-प्यासे रहकर अपने रब को राज़ी करने की कोशिश में तल्लीन रहेंगे. दरगाह के मुफ़्ती मुहम्मद सलीम नूरी ने बताया की जंतरी में रोज़े की हालत में रोज़ेदार को क्या करना है और क्या नहीं करना है, यह भी शरीयत की रूह से साफ़ किया गया है. मसलन यह तो रोज़ेदारों को पता ही है कि रोज़े की हालत में जानबूझकर खाने या पीने से रोज़ा टूट जाता है. ऐसा करने वाला गुनहगार होगा. कुछ चीज़ों को लेकर रोज़े की हालत में एहतियात भी बताई गई हैं-जैसे झूठ, ग़ीबत, गाली-गलौज, चुग़ली, किसी को नाहक़ सताने, ज़ुल्म करने, चीख़ने-चिल्लाने, क़हक़हे लगाने, शतरंग, जुआ, ताश वग़ैरा कोई भी खेल खेलना, तमाशा, फ़िल्म देखने और बीवी को चूमने से भी रोज़ा मकरूह हो जाता है. हां ख़ुशबू लगाने, सूंघने, सिर, कान या बदन पर तेल लगाने, आंखों में सुरमा लगाने और मिस्वाक करने में कोई हर्ज नहीं है.


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रमज़ान के दौरान हर दिन 20 रकअत तरावीह पढ़ना सुन्नत है. जमात के साथ तरावीह में एक बार क़ुरान सुनने का हुक्म है. जंतरी में एतकाफ़ के बारे में भी बताया गया है, जो रमज़ान की 21वीं रात से चांद रात यानी ईद का चांद नज़र आने तक चलता है. रमज़ान में 10 दिन एतकाफ़ कर लिया तो गोया यह दो हज और उमरा का सवाब हासिल करने के बराबर है. जहां तक रमज़ान में इबादत के सवाब का सवाल है तो नफ़्ल नमाज का सवाब फ़र्ज़ और फ़र्ज नमाज़ का सवाव दीगर माह के 70 फ़र्ज़ों के बराबर है. रोज़ेदार के लिए सबसे बड़ी बात यह कि अल्लाह तआला का इरशाद है कि रोज़ा मेरा है और मैं ख़ुद रोज़ेदार को उसका बदला अता करूंगा. रोज़ेदार को सदक़ा-ए-फ़ित्र भी अपने और बच्चों की तरफ़ से फीकस 2 किलो 45 ग्राम गेहूं या उसकी क़ीमत ग़रीबों, मिस्कीनों को ईद की नमाज़ से पहले ही अदा कर देना चाहिए. दरगाह की तरफ से जारी इस जंतरी में रोज़े और इफ़्तार की नीयत भी दी गई है. इसे डाक के ज़रिये अक़ीदतमंदों और मुरीदों को भेजा जा रहा है. जिनके पास यह जंतरी पहुंच चुकी है या बाद में पहुंचे द लीडर हिंदी की गुज़ारिश है कि एक बार ज़रूर ध्यान से पढ़ें. इसमें बेहद काम की बातें हैं. दरगाह के मीडिया प्रभारी नासिर क़ुरैशी ने बताया कि जंतरी में सहरी और इफ़्तार का वक़्त यूपी के ज़िला बरेली का है. ये दूसरे इलाकों के लिए नहीं है.

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