तिरंगा यात्रा से पहले आइएमसी प्रमुख मौलाना तौक़ीर रज़ा घर पर ही नज़रबंद

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The Leader. आल इंडिया इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल अध्यक्ष मौलाना तौक़ीर रज़ा ख़ान तेवर दिखाने के बावजूद यूपी के ज़िला बरेली से देश की राजधानी दिल्ली के लिए कूच नहीं कर पाए. प्रशासन ने उन्हें दरगाह आला हज़रत के पास ही आवास पर नज़रबंद कर दिया है. फिर भी उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस करके एलान कर दिया है कि तिरंगा यात्रा ज़रूर निकालेंगे. सवाल उठाया है कि राष्ट्रपति से जायज मांगों के संबंध में मिलने जाने से किसे दिक़्क़त है, स्पष्ट किया जाए.


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घोषित कार्यक्रम के तहत मौलाना तौक़ीर रज़ा बुधवार को दोपहर बरेली के झुमका तिराहा से तिरंगा यात्रा का आगाज़ करते. उससे पहले मंगलवार को आधी रात में उन्हें प्रमुख पदाधिकारियों के साथ नज़रबंद कर दिया गया. इसके लिए प्रशासनिक और पुलिस अफसर भारी फोर्स लेकर मौलाना के आवास पहुंचे थे. फिलहाल डीएम शिवाकांत द्विवेदी के आदेश पर 72 घंटे ेकी नज़रबंदी हुई है. इसके खिलाफ उनसे सुप्रीम कोर्ट के वकील महमूद प्राचा भी मिलने के लिए पहुंचे. पुलिस अफसरों के मौलाना के घर में घुसने को लेकर महमूद प्राचा की हाटटॉक भी हुई. मौलाना पूरे दिन घर पर ही रहे. हां, बाहर से अंदर गहमागहमी दिखाई दी. पुलिस ने बात करने के लिए पहुंचे मीडिया कर्मियों को पहले मौलाना के पास से हटा दिया लेकिन मौलाना के अड़ने पर बाद में प्रेस कांफ्रेंस कराई गई.


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मौलाना ने कहा है कि क़ानून का पालन करते हैं, इसलिए दिल्ली कूच का इरादा स्थगित किया है लेकिन तिरंगा यात्रा को निकाला जाएगा. राष्ट्रपति से जायज़ मांगों को लेकर मिलने से किसी को परेशानी नहीं होनी चाहिए थी लेकिन हुई है, यह ठीक बात नहीं है. इल्ज़ाम लगाया कि अगर इसी तरह से एक पक्ष के लोगों को कुछ संगठनों से टारगेट कराने का सिलसिला नहीं थमा तो देश में अफरातफरी का माहौल बनने से रोकना मुश्किल होगा. इसके लिए विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल को सिमी और पीएफआइ की तरह बैन करना होगा. यह भी सुनिश्चित करना होगा कि क़त्ल करने वालों की उनका समाज हिमायत नहीं करेगा, जैसा कि उदयपुर में कन्हैया लाल हत्याकांड में किया गया. बुल्डोज़र की कार्रवाई पर भी सवाल खड़ा किया कि जुनैद और नासिर को बेरहमी से क़त्ल करने वालों के घरों पर भी बुल्डोज़र चलना चाहिए था.