इजराइल के साथ खड़े दादा अमेरिका के आगे सब बेबस फिलिस्तीन में तबाही जारी है

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द लीडर डेस्क

इजराइल – फिलिस्तीन में शांति के नाम पर 57 इस्लामिक देशों का हवा हवाई सा निंदा प्रस्ताव कुछ नहीं कर सका। इजराइल को सबक सिखाने की तुर्की की ललकार पर इस्लामी देश ही बगलें झांक रहे हैं। इधर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 15 देश दादा अमेरिका के आगे बेबस हैं।परिषद एक बयान तक जारी क़रने की स्थिति नहीं है। युद्ध का  शाम तक का स्कोर इस तरह है- 48 बच्चों समेत 286 फिलिस्तीनी और 10 इजराइली मारे गए। हमास के 2700 से अधिक रॉकेट खर्च हुए। इजराइल ने 700 हवाई हमले किये। कुछ तोपें भी दागी और प्रदर्शन रोकने के नाम पर राइफलों की भी सैकड़ों गोलियां दगीं। पांच बहुमंजिली इमारतों समेत कई घर मलबे में बदल चुके और युद्ध जारी है ।
संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने रविवार को सुरक्षा परिषद की बैठक से कहा युद्धविराम अपरिहार्य है, हम सभी पक्षों से लगातार संपर्क में हैं। दो गोपनीय बैठको के बाद तीसरी औपचारिक बैठक में अमेरिका ने युद्ध के खिलाफ निंदा और युद्ध विराम संबंधी बयान जारी करने से रोक दिया।
इस बीच इजराइल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने 25 देशों के समर्थन का ट्वीट कर जाहिर कर दिया कि हम तो हमास की कमर तोड़े बिना रुकने वाले नहीं। सच ये है कि एक राजनीतिक और सैनिक ताकत वाले हमास के लड़ाकों के अलावा बेकसूर मुसलमानों का कत्ल जारी है। हमास तो सिर्फ 20 मरने वालों को अपना बता रहा है।

देखते हैं कौन क्या कह रहा है-

इजराइली प्रधानमंत्री नेतन्याहू

“इस टकराव के लिए जो पक्ष जिम्मेदार है, वो हम नहीं हैं बल्कि हम पर हमला करने वाले हैं। अभी हम ऑपरेशन के बीच हैं, यह खत्म नहीं हुआ है और जब तक जरूरी होगा यह ऑपरेशन चलता रहेगा।.

फलस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास

इजरायल ने गाजा में नृशंस एवं प्रायोजित ढंग से फिलिस्तीनी नागरिकों की हत्या की है। ऐसे समय में सभी को अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए और प्रभावित क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय कानून के मुताबिक शांति स्थापित करने की दिशा में प्रयास करने चाहिए।

संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख एंतोनियो गुतारेस

मौजूदा संघर्ष को यदि नहीं रोका गया तो इससे न केवल फलस्तीनी क्षेत्र और इजरायल में बल्कि उसके आस-पास के क्षेत्र में भी सुरक्षा और मानवीय दृष्टि से एक असाधारण संकट उत्पन्न होगा। इससे चरमपंथ को और बढ़ावा मिलेगा।

सुरक्षा परिषद में अमेरिका

इस मसले पर ( इजराइल फिलिस्तीन युद्ध) बयान जारी क़रने का विपरीत असर हो सकता है। हम खास कर हमास के करीबी कतर और इजराइल के मित्र मिस्र से संपर्क में हैं और हल निकालने की कोशिश में हैं।

यू एन में भारत के प्रतिनिधि तिरूमूर्ति

‘हम दोनों पक्षों से अत्यधिक संयम दिखाने, तनाव बढ़ाने वाली कार्रवाइयों से बचने और पूर्वी यरुशलम और उसके आसपास में मौजूदा यथास्थिति को एकतरफा रूप से बदलने के प्रयासों से परहेज करने का आग्रह करते हैं।’

चीनी प्रवक्ता चुनयिंग

“हम क्या सोचें, अमेरिका कहता रहता है कि वह मुसलमानों के मानवाधिकारों का हितैषी और उनकी परवाह करता है…लेकिन उसने फिलिस्तीनी लोगों की पीड़ा को नजरअंदाज किया है। अमेरिका को यह महसूस होना चाहिए कि फिलिस्तीनी मुसलमानों का जीवन भी उतना ही कीमती है.”

पाक प्रधाननंत्री इमरान खान

मैं पाकिस्तान की पीएम हूं और हम गाजा के साथ खड़े हैं। हम फलीस्तीन के साथ खड़े हैं।

रेसेप तैयप एर्दोआन तुर्की के राष्ट्रपति

अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इजराइल को कड़ा और अलग सबक सिखाना’ चाहिए। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को त्वरित हस्तक्षेप करना चाहिए ताकि इजराइल को ‘स्पष्ट संदेश’ जाए।

ईरान के शीर्ष नेता अयातुल्लाह खामनेई

‘इजरायल एक देश नहीं है बल्कि फलीस्तीन और अन्य मुस्लिम देशों के खिलाफ एक आतंकी ठिकाना है। ऐसे निरंकुश देश के खिलाफ लड़ना आतंकवाद और अन्याय से जंग जैसा है। इजरायल से लड़ना हम सभी का कर्तव्य है।’

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