सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाले मुल्क ने रोहिंग्याओं को दुत्कारकर किया समुद्री लहरों के हवाले

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म्यांमार में नरसंहार के बाद दर-ब-बदर भटक रहे रोहिंग्या मुसलमानों को जान हथेली पर लेकर समंदर की भयावह लहरों के बीच जिंदगी गुजारना पड़ रही है। उन्हें जिंदगी बसर करने को थोड़ी सी जमीन धरती पर मयस्सर नहीं हो रही। इस्लाम के नाम पर डंका बजाने वाले मुस्लिम देश भी उनको पनाह देने से कतरा रहे हैं। अब तो कतराना भी क्या, सीधे दुत्कारकर लहरों के हवाले करने से भी गुरेज नहीं कर रहे। जिन्होंने पनाह दी भी है तो ऐसी कि जीना-मरना एक जैसा हो गया है। इस भयानक हालात में इस समुदाय की नई पीढ़ी पल रही है, और दुनिया एलियंस से मिलने को बेताब है। (Indonesia Rebuked Rohingyas)

रोहिंग्या मुसलमानों के लिए इससे बुरा वक्त क्या होगा। यह रोहिंग्याओं के लिए ही क्या, पूरी मानव जाति के लिए इससे बड़ी त्रासदी क्या होगी, जब इंसानों को इस जमीन पर रहने को मना कर दिया जा रहा हो। इस पर दलील ऐसी कि इंसानियत शर्मसार हो।

दुनिया के सबसे ज्यादा आबादी वाले चौथे नंबर के देश इंडोनेशिया, जहां सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी बसती है, उन मुसलमानों में 99 फीसद सुन्नी मुसलमान हैं। उन्होंने लकड़ी के जर्जर जहाज पर सवार 100 रोहिंग्याओं, जिनमें ज्यादातर औरतें और बच्चे थे, उनको पनाह देने से साफ इनकार कर दिया।

उन्हें अपनी जमीन पर पैर रखना तो दूर, पीने का पानी लेने से भी रोक दिया। भूखे-प्यासे उन 100 लोगों तरस न खाकर उनके जहाज का रुख मलेशिया की ओर मोड़ने को मजबूर कर दिया। (Indonesia Rebuked Rohingyas)

आखिकार वे रोहिंग्या कर भी क्या सकते थे? चले गए, जहां भी लहरें ले जाएं। जिंदगी और मौत के सफर को इसी तरह वे बरसों से तय कर रहे हैं और पूरी दुनिया तरक्की की इबारत लिखने को रोज ही नए-नए दावे करने में मसरूफ है।

मुसीबत से घिरे रोहिंग्याओं के एक कुनबे के साथ यह घटना एक दिन पहले ही इंडोनेशिया के तट पर घटी। इंडोनेशियाई अफसर कह रहे हैं कि दर्जनों रोहिंग्या शरणार्थियों को इंडोनेशिया के आचे प्रांत के तट पर जहाज दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद रोक लिया गया था, बाद में उन्हें पड़ोसी देश मलेशिया के जलक्षेत्र में भेज दिया गया।

शरणार्थियों को स्वीकारने की गैर-सरकारी संगठनों और संयुक्त राष्ट्र एजेंसी की अपील के बावजूद ऐसा हुआ। वहीं इंडोनेशियाई अधिकारी कुछ खाना, कपड़े और ईंधन के अलावा जहाज ठीक कराके उन्हें तट से वापास भेजने की कोशिशों में जुटे हैं। (Indonesia Rebuked Rohingyas)

मंगलवार को पत्रकारों से बात करते हुए इंडोनेशियाई नौसेना के अधिकारी डियान सूर्यस्याह ने कहा कि रोहिंग्या इंडोनेशियाई नागरिक नहीं थे और सेना “उन्हें केवल शरणार्थी के रूप में नहीं ेले सकती”।

“यह सरकार की नीति के अनुरूप है,” उन्होंने कहा।

एक स्थानीय नौसेना कमांडर के अनुसार, लकड़ी की नाव को पहली बार दो दिन पहले देखा गया था, जो इंडोनेशियाई तट से लगभग 70 समुद्री मील (130 किमी) दूर फंसी हुई थी।

म्यांमार में रोहिंग्याओं को 2017 में सैन्य-समर्थित नरसंहार के बाद इन हालातों में ला पटका है। सीमा पार से हजारों रोहिंग्याओं को बांग्लादेश में खदेड़ दिया गया, जहां वे तब से शरणार्थी शिविरों में रह रहे हैं। बांग्लादेश की सरकार ने भी सालभर में बड़ी संख्या में रोहिंग्याओं को चक्रवात से घिरे रहने वाले एक समुद्री द्वीप पर उन्हें बसा दिया।

इंडोनेशियाई अधिकारियों ने कुछ रोहिंग्या शरणार्थियों को मलेशिया या थाईलैंड की तरह वापस ठेलने की जगह शरण दी भी, लेकिन उन्हें अनिच्छा से स्वीकार किया है। (Indonesia Rebuked Rohingyas)

एमनेस्टी इंटरनेशनल और यूएनएचसीआर ने इंडोनेशिया की सरकार से रोहिंग्या शरणार्थियों के फंसे हुए समूह को अपने तट पर उतरने देने की मांग की है। एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडोनेशिया के कार्यकारी निदेशक, उस्मान हामिद ने अल जज़ीरा को बताया कि इंडोनेशिया शरणार्थियों को लेकर अपने अंतरराष्ट्रीय दायित्व का उल्लंघन कर रहा है।

समाचारपत्र जकार्ता से उन्होंने कहा, “इंडोनेशिया का मलेशिया की ओर शरणार्थियों के जहाज को भेजने का फैसला अजीबोगरीब है …”

हामिद ने कहा कि इंडोनेशिया के विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने कोरोना वायरस महामारी के कारण समुद्र में फंसे रोहिंग्याओं की मदद करने के लिए अनिच्छा जाहिर की थी, लेकिन यह मंशा गलत है।

उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि उन्हें खतरनाक समुद्र में धकेलने की जगह इंडोनेशिया बीमारी या बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए स्वास्थ्य प्रोटोकॉल के सख्त नियमों को लागू कर सकता है।”

यूएनएचसीआर ने जकार्ता से जहाज की जर्जर हालत की ओर इशारा करते हुए भी रोहिंग्याओं को उतरने देने की अपील की है। (Indonesia Rebuked Rohingyas)

स्थानीय मछुआरा समुदाय के नेता बदरुद्दीन यूनुस ने समाचार एजेंसी एएफपी से कहा, मछुआरों ने बताया कि जहाज में 120 लोग सवार थे, जिनमें 51 बच्चे और 60 महिलाएं शामिल हैं। जहाज का इंजन क्षतिग्रस्त होकर खराब हो गया था। भाषा की बाधा के कारण शरणार्थी स्थानीय मछुआरों के साथ संवाद नहीं कर सके।

Input: Agencies


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