‘भारत का मुसलमान तकलीफ में है, अकेला और दबा हुआ महसूस कर रहा’-मौलाना महमूद मदनी

द लीडर : जमीयत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने कहा-मुसलमानों पर शारीरिक और भावनात्मक हमले हो रहे हैं. एक महीने में 24 लोगों को भीड़ ने निशाना बनाया है. लोगों के रवैये, रोजाना की घटनाओं से मुसलमान दबा हुआ और अकेला महसूस कर रहा है. एक तरह से उनकी शिकायत है. उसके कई कारण हो सकते हैं. ये जरूरी नहीं कि सरकार ही उसकी जिम्मेदार हो. लेकिन जिम्मेदारी तो सरकार की ही होती है. (Indian Muslim Mahmood Madani)

उन्होंने कहा कि जमीयत ने हर दौर में सरकारों के साथ मिलकर काम करने की कोशिश की है. बदकिस्मती से आज केंद्र की सरकार हो या राज्य की. वो मुख्य मुद्​दों से ध्यान हटाने के लिए हर बात मुसलमानों के ऊपर ले आते हैं. ये आसान है. घूम फिरकर बात सांप्रदायिक एंगल पर आ जाती है. ये देश के लिए अच्छी बात नहीं है.

मौलाना ने कहा कि ये मुसलमानों का ही मसला नहीं है. बल्कि पूरे देश का है. रही बात उनकी जो, मुसलमानों के साथ होने का दावा करते हैं. असल में वो भी उनके साथ नहीं हैं.


इसे भी पढ़ें –असम : दरांग में मारे गए मोईनुल हक के परिवार और घायलों की मदद को मुसलमानों ने बढ़ाए हाथ


 

हिंदू समुदाय के सेकुलर जहन के लोगों से जुड़ने के सवाल पर मदनी ने कहा कि, ये हमारी सबसे बड़ी कमजोरी रही है कि, हम उन्हें ठीक से समझा नहीं पाए. उनकी आवाज को अपने साथ नहीं मिला सके. उसमें हम फेल हुए हैं. और इस फेल्योर को मैं स्वीकार करता हूं. हमारा अपना जो रवैया है. उससे बांटने वाले तत्वों को ताकत मिलती है. (Indian Muslim Mahmood Madani)

एक निजी टीवी चैनल के कार्यक्रम के दौरान, सवाल के जवाब में मौलाना ने कहा कि मुसलमानों को अपनी वफादारी का सबूत क्यों देना पड़ता है. ये सवाल सबूत मांगने वालों से पूछना चाहिए. हम सरकारों के समक्ष अपनी बात रखते हैं. कोर्ट भी जाते हैं. बिना नाम लिए धर्मांतरण मामले को गुजरात हाईकार्ट में चैलेंज किए जाने की बात कही.

दाढ़ी-टोपी और कुर्ता पायजामा के लिबास को लेकर कहा कि, ये एक तरह की पहचान बना दी गई है. इसे छोड़ देने से परेशानी का हल नहीं है. दुनिया में कितने ही देश ऐसे हैं, जो मल्टी कल्चरल यानी बहु-संस्कृति के साथ रहते हैं. दुनिया में जहां भी ऐसा समाज नजर आता है. वो भारतीयों की वजह से है. लेकिन हमारे यहां उसे खत्म कर देना चाहते हैं.

मौलाना ने कहा कि अगस्त महीने में देश में 24 घटनाएं हुई हैं, जिनमें भीड़ ने लोगों को निशाना बनाया है. कुछ लोग मारे भी गए हैं. इसी वजह से लोगों में अकेलापन है.

सीएए प्रोटेस्ट से जुड़ा एक सवाल, जिसमें 2019 में विरोध-प्रदर्शन के दौरान 22 लोग मारे गए थे और 83 जख्मी हुए थे. इस मामले में 883 लोगों को गिरफ्तार किया गया था. उनकी मदद को लेकर मौलाना ने कहा कि इसका जवाब में फौरन तो नहीं दे सकता हूं.

लेकिन जिन लोगों ने देश में ये अभियान चलाया. उन्होंने अपने लोकतांत्रिक अधिकार का इस्तेमाल किया है. लेकिन सरकार ने जो दमन का रवैया अख्तियार किया है. उससे यही स्पष्ट होता है कि सरकार लोकतंत्र की दुश्मन है. (Indian Muslim Mahmood Madani)

Ateeq Khan

Related Posts

बरेली में केलाडांडी का माहौल जांचने पहुंचे डीएम-एसएसपी

द लीडर हिंदी: यूपी के ज़िला बरेली में जुमे के दिन जिस केलाडांडी गांव में मस्जिद बनाम विवादित स्थल का तनाज़ा खड़ा हुआ, वहां माहौल का जायज़ा लेने के लिए…

बरेली में बिना रंजिश क्यों क़त्ल किए गए सेना के रिटायर्ड माली

द लीडर हिंदी: यूपी के ज़िला बरेली में कैंट के मिलिट्री डेयरी फॉर्म के पास झोंपड़ीनुमा कमरा बनाकर रहने वाले बुज़ुर्ग रिटायर्ड माली की लाश मिली है. तब जबकि उन्हें…