जब-जब हार का ग़म सताएगा भारतीय कप्तान हरमनप्रीत को वो एक ग़लती बहुत याद आएगी

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भारतीय महिला क्रिकेट टीम
भारतीय महिला क्रिकेट टीम

The Leader. ऐसा नहीं कि आस्ट्रेलिया को हराया नहीं जा सकता था. भारतीय टीम के पास जीत दर्ज कर लेने के लिए सबकुछ था. जेमिमा राड्रिग्स की शानदार पारी से मैच पकड़ में आ चुका था. बस कप्तान हरमनप्रीत कौर को अंत तक टिके रहना था लेकिन इसे अर्द्धशतकीय पारी की थकावट कहें या फिर लड़ने वो जज़्बा जो आस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों के पास है, भारतीय कप्तान में नहीं दिखा. दिखता तो फिर क्रीज में  पहले उनका बल्ला पहुंचता, न कि वो ख़ुद. उनकी इस एक ग़लती ने भारतीय महिला क्रिकेट टीम को विश्वकप के फाइनल की दौड़ से बाहर कर दिया और हरमनप्रीत को ऐसी कसक दे दी, उन्हें जब-जब हार का ग़म सताएगा, अपनी ग़लती पर बहुत पछतावा आएगा. आउट होकर जाते वक़्त बल्ले को फेंकना और पवेलियन में उनकी झुंझलाहट से यह ज़ाहिर भी हो रहा था.


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अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में चाहे पुरुष हो या फिर महिलाएं अब खिलाड़ी ऐसे रन आउट नहीं होते, जैसे हरमनप्रीत कौर हुईं. दूसरा रन लेते समय वो लगभग क्रीज़ में पहुंच चुकी थीं लेकिन बल्ला टिकाने के बजाय पैर आगे बढ़ाने से उन्होंने देशवासियों को विश्वकप की आस से मायूस कर दिया. उनके पास भारत को जीत दिलाकर क्रीज़ से वापस लौटने की सूरत में कोहली, धोनी, रोहित की तरह छा जाने का मौक़ा था लेकिन चूक गईं. जिस तरह आस्ट्रेलिया के साथ इस सेमीफाइनल मैच में भारतीय टीम की ख़राब फ़ील्डिंग देखने को मिली, चयनकर्ताओं और बोर्ड दोनों को ही इस दिशा में काफी कुछ करने की ज़रूरत है.


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दूसरी तरफ आस्ट्रेलिया ने जिस अंदाज़ में फील्डिंग की, वो क़ाबिले तारीफ़ है. बाउंड्री पर तय दिख रहे चौकों को एक रन में बदलकर आस्ट्रेलियाई फील्डर ने भारत पर रनों का प्रेशर बनाए रखा. भारतीय खिलाड़ी कैच छोड़ती दिखीं, जबकि आस्ट्रेलिया की तरफ़ से यह ग़लती नहीं की गई. ख़ैर हार के आगे अभी जहां और भी हैं, बशर्ते की ग़लतियों को सीख के तौर पर लिया जाए. वरना जीत की दहलीज़ पर पहुंचने के बाद इसी तरह हार का तमग़ा लेकर ही लौटना पड़ेगा.