वसीम अख्तर
न वो रईस, न दबंग हैं. उनके पास जमीन भी बहुत ज्यादा नहीं है. पहली बार क्षेत्र पंचायत (बीडीसी) बने और अब निर्विरोध चुनने के बाद ब्लाक प्रमुख की कुर्सी पर बैठने जा रहे हैं. उस कुर्सी पर जिसे पाने के लिए सूबे के ज्यादातर ब्लाकों में खून-खराबा हुआ. लाठी-डंडे चले तो बहुत सी जगहों पर पथराव किया गया और कई जगह बम भी फोड़े गए. एक अंदाजे के मुताबिक जीतने वालों के तीन से दस करोड़ तक खर्च हो गए लेकिन मोहित सैनी इन सैकड़ों ब्लाक प्रमुखों में सबसे खुशनसीब हैं. उनका चुनाव जीतने में एक धेला भी खर्च नहीं हुआ. सबसे खास यह कि अब उन्हें लोग टेलर मास्टर के बजाय प्रमुख जी कहकर संबोधित कर रहे हैं.
जौहर यूनिवर्सिटी वाले ब्लाक से दर्ज की जीत
पैसे की रेलमपेल वाले चुनाव में यह चौंकाने वाले खबर नवाबों और समाजवादी पार्टी के फायरब्रांड नेता मुहम्मद आजम खां के जिला रामपुर से सामने आई है. यहां छह में एक सैदनगर ब्लाक है. आजम खां की जौहर यूनिवर्सिटी भी इसी ब्लाक में है.
राजनीति की ओपनिंग पारी में नाबाद शतक
मोहित सैनी की बात करें तो इससे पहले कभी कोई चुनाव नहीं लड़े. उन्हें चुनाव लड़ाने का श्रेय उनके भाई राजपाल सैनी को जाता है, जो खुद खौद का मजरा से प्रधानी का चुनाव लड़े और हार गए लेकिन मोहित सैनी की किस्मत में ब्लाक प्रमुख बनना लिखा था. वह वार्ड 68 से चुनाव जीतकर बीडीसी बन गए. इसके बाद अब निर्विरोध ब्लाक प्रमुख निर्वाचित हुए हैं. बीडीसी का चुनाव पहली बार लड़े हैं.
नकवी की बदौलत बने उम्मीदवार
पहले कांग्रेस और अब सपा के असर वाले इस ब्लाक में भाजपा के पास प्रमुखी के लिए कोई असरदार नेता नहीं था. मोहित सैनी अपने फुफेरे भाई राजपाल की मार्फत भाजपा के जिला महासचिव मोहनलाल लोधी के संपर्क में थे. मोहनलाल लोधी रामपुर में केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्यमंत्री मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी के करीबी माने जाते हैं. इस तरह मोहित सैनी की किस्मत बदलती चली गई. वह भाजपा की तरफ से उम्मीदवार घोषित हो गए.
सपा के निवर्तमान ब्लाक प्रमुख नहीं भर पाए पर्चा
यहां इससे पहले ब्लाक प्रमुख रहे आजम खां के खास कहलाने वाले आरिफ चौधरी ने पर्चा दाखिल नहीं किया. सपाइयों का आरोप है कि भाजपा के लोगों ने पर्चा जबरन दाखिल नहीं करने दिया. खैर अब इस बात से कहीं ज्यादा चर्चा क्षेत्र से लेकर जिले और अब द लीडर की खबर के बाद देशभर में टेलर मास्टर के ब्लाक प्रमुख बन जाने को लेकर है. मोहित सैनी की टेलरिंग की दुकान खौद गांव के चौराहा पर है.
पूरे चुनाव का खर्च 10 हजार
मोहित सैनी के पूरे चुनाव में बामुश्किल 10 हजार रुपये भी खर्च नहीं हुए. बीडीसी और प्रमुखी के लिए पर्चा खरीदने और फीस जमा करने के लिए पैसा उनके भाई राजपाल ने खर्च किया. अब अगर सैदनगर के पड़ोसी ब्लाक स्वार की बात करें तो यहां से कांग्रेसी नेता मुहम्मद युसूफ की पत्नी शाहीन युसूफ जीती हैं. चर्चाओं के आधार पर तीन करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है. चुनाव के कुछ दिन शेष रहते एक वोट 15 लाख तक में बिका.
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