द लीडर : मद्रास हाईकोर्ट (Madras High Court) ने संपत्ति से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान पुलिस (Police) की कार्यशैली को लेकर सख्त और महत्वपूर्ण टिप्पणी की है. यूं कहें कि पुलिस को जमकर फटकार लगाई है. हुआ यूं कि अदालत के आदेश (Order) के अनुसार एक एडवोकेट कमिश्नर पुलिस सुरक्षा के साथ संपत्ति का मौका मुआयना करने गए थे. कुछ लोगों ने कमिश्नर का विरोध किया. और हद तक चले गए कि उन पर कुत्ते छोड़ दे दिए.
खास बात ये है कि ये सबकुछ पुलिस की मौजूदगी में हुआ. आखिरकार, एडवोकेट कमिश्नर को संपत्ति में प्रवेश किए बिना वापस लौटना पड़ा. हैरत की बात ये है कि पहले भी संपत्ति की मॉप के दौरान विरोध हो चुका था. इसलिए अदालत से पुलिस सुरक्षा मांगी गई थी. इसके बावजूद वही घटना दोहराई गई.
अब जब ये मामला अदालत पहुंचा, तो कोर्ट ने पुलिस अधिकारियों की फटकार लगाते हुए ये टिप्पणी की है. जस्टिस एन किरुबाकरन और जस्टिस पीडी आदिकेशवल्लू की खंडपीड (Bench) ने कहा कि, ‘अदालत के आदेश का अक्षरशा और उसकी भावना के मुताबिक अनुपालन किया जाना है. अगर कोई अधिकारी ऐसा करने की क्षमता नहीं रखते हैं, तो वे पुलिस जैसे अनुशासित फोर्स में अपने पद पर बने रहने के लायक नहीं हैं.’ लाइव लॉ ने कोर्ट के आदेश की डिजिटल प्रति साया की है.
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इससे पहले अदालत ने हैरत जताते हुए कहा कि, ‘कोर्ट के लिए ये समझना मुश्किल है कि पुलिसकर्मी, एडवोकेट कमिश्नर को पुलिस सुरक्षा नहीं दे सके.’ कोर्ट ने भी ये देखा कि अगर कुत्ते छोड़ दिए जाते हैं तो पुलिस को ये देखना चाहिए कि कुत्तों पर कैसे काबू पाया जाए.
और संबंधित पार्टियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए. ऐसा करने के बजाय पुलिस अदालत के आदेश पर अमल करने में असमर्थता जता रही है.
अदालत ने इस मामले में सख्ती दिखाते हुए स्थानीय पुलिस को 48 घंटे का वक्त दिया है. ये देखने के लिए कि एडवोकेट कमिश्नर के लिए संपत्ति में दाखिल होने और मॉप लेने का अच्छा माहौल बनाया जाए. संपत्ति पर किसकाकब्जा है. उनकी पहचान की जाए.
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और जिन लोगों ने एडवोकेट कमिश्नर पर कुत्ते छोड़े, उन्हें भी चिन्हित किया जाए. निरीक्षण के दौरान वीडियोग्राफी की जाएगी. इसकी रिकॉर्डिंग सुरक्षित करनी होगी. इस मामले की अगली सुनवाई 25 फरवरी को नियत की है.
इससे पहले भी कई मामलों में पुलिस अधिकारियों के कामकाज को लेकर अदालतों से सख्त टिप्पिणयां होती रही हैं. पुलिस के कई रिटायर अधिकारी भी पुलिस बल में प्रोफेशनलिज्म की कमी को लेकर सवाल उठाते रहते हैं.