द लीडर हिंदी : महाराष्ट्र की राजनीति में चाणक्य कहे जाने वाले शरद पवार को भाजपा ने बेहद क़रीब से शह दी है. अभी जवाबी चाल चली जानी बाक़ी है लेकिन इतने भर से तमाम क़यास लगाए और सुने जा रहे हैं.
मात होगी या फिर बाज़ी पलट जाएगी. जैसी कि तब पलटी थी कि जब राजनीति में पूरब और पश्चिम को महाराष्ट्र में मिलते देखा था. कांग्रेस-शिवसेना में समझौते से भाजपा सरकार गिरी थी और महाविकास अघाड़ी ने सत्ता संभाली थी.
इसका जवाब भी भाजपा ने बहुत करारा दिया. एकनाथ शिंदे को अपने पाले में खींचकर शिवसेना के दोफाड़ कर दिए. अब जबकि शिवसेना के 16 विधायकों की आयोग्यता पर फ़ैसला आना है और लोकसभा चुनाव भी क़रीब हैं तो भाजपा ने शरद पवार की नेशनल कांग्रेस पार्टी NCP को न सिर्फ़ तोड़ दिया बल्कि छीन लेने का इंतज़ाम कर दिया है.
शरद पवार के भतीजे अजित पवार ज़्यादातर NCP विधायकों को अपने साथ ले गए हैं. ख़ुद डिप्टी सीएम और आठ विधायक मंत्री बने हैं. दावा यह भी है कि एनसीपी के सिंबल पर भी शरद पवार गुट का हक़ नहीं बचेगा.
अब आगे क्या होगा, उस पर देशभर में बहुत ज़्यादा बहस हो रही है. तमाम सवाल और समझ के एतबार से बड़े चेहरों की ज़ुबान से जवाब भी सुने जा रहे हैं. सबसे चौंकाने वाली बात मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने तर्क देते हुए कही है.
उनका दावा है कि छजन भुजगल, प्रफुल पटेल और हसन मुशरिफ़ शरद पवार से पूछे बग़ैर पार्टी नहीं छोड़ सकते. सुप्रिया सुले जल्द मोदी कैबिनट का हिस्सा होंगी, जो कि शरद पवार की बेटी हैं.
इन तमाम क़यासों के बरख़िलाफ़ शरद पवार टीवी कैमरों के सामने हंसते दिखाई दे रहे हैं. उनकी बॉडी लैंग्वेज से साफ लग रहा है कि उनके तरकश में ऐसा कोई तीर बचा है, जब वो उसे कमान में कसकर छोड़ेंगे तो पासा पलट जाएगा.
उसके लिए थोड़ा इंतज़ार करना पड़ेगा. फिलहाल तो महाराष्ट्र की राजनीति में नये समीकरण बनने की आहट सुनाई देने लगी है. मांग उठ रही है कि उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे एक हो जाएं. उसके लिए मुंबई में पोस्टर भी दिखाई देने लगे हैं.
जहां तक कांग्रेस का सवाल है तो वो वेट एंड वॉच वाली स्थिति में है. ख़ैर जो कुछ भी होगा, होगा चौंकाने वाला ही. देश में महाराष्ट्र नई राजनीति की परिभाषा गढ़ रहा है. आगे भी कुछ ऐसे ही दांव और चालें देखने को मिल सकती हैं. जिनसे चौंकना स्वाभाविक होगा. इसकी पूरी संभावना नज़र आ रही है.