#CoronaVaccination: वैक्सीनेशन के मामले में दुनिया में दूसरे नंबर पर भारत, अब तक इतने लोगों को लगा टीका

नई दिल्ली। अमेरिका बाद भारत ऐसा दूसरा देश है जिसने टीकाकरण में बीस करोड़ का आंकड़ा पार कर लिया है. लेकिन अगर जनसंख्या के हिसाब से बात करें तो आंकड़े बताते हैं कि, हम कई देशों से पीछे हैं.

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भारत में अभी तक सिर्फ 11 फीसदी टीकाकरण

जनसंख्या के हिसाब से सबसे ज्यादा टीकाकरण इजरायल में हुआ है. यहां अब तक 62.9 फीसदी जनता को टीका लग चुका है. 49 फीसदी टीकाकरण के साथ अमेरिका चौथे नंबर पर है. वहीं भारत में अभी तक सिर्फ 11 फीसदी टीकाकरण ही हुआ है.

26 मई तक टीकाकरण

  • अमेरिका- 28.8 करोड़
  • भारत- 20 करोड़
  • ब्राजील- 6 करोड़ 30 लाख
  • ब्रिटेन- 6 करोड़ 20  लाख
  • जर्मनी- 4 करोड़ 50 लाख

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जनसंख्या के हिसाब से टीकाकरण

  • इजरायल- 62.9%
  • ब्रिटेन- 56.3
  • चिली- 51%
  • अमेरिका- 49%
  • भारत- 11%

भारत में अबतक 15.90 करोड़ लोगों को लगा टीका

भारत में अबतक कुल 20.26 करोड़ वैक्सीन की डोज दी जा चुकी है. इनमें से 15.90 करोड़ लोगों को पहली डोज दी गई है जबकि 4.36 करोड़ लोगों को दूसरी डोज दी गई है.

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18-44 उम्र के 10 लाख से अधिक लोगों को पहली खुराक

मंत्रालय के अनुसार, बिहार, गुजरात, राजस्थान और उत्तर प्रदेश ने 18-44 उम्र के 10 लाख से अधिक लाभार्थियों को कोविड टीके की पहली खुराक दी है.

एक मई से टीकाकरण अभियान का तीसरा चरण शुरू हुआ

टीकाकरण अभियान का तीसरा चरण एक मई से शुरू होने के बाद से 18-44 उम्र के 37 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कुल मिलाकर 1 करोड़ 38 लाख 62 हजार 428 लोगों को टीका लगा है.

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टीकाकरण अभियान के 131वें दिन बुधवार को टीकों की 18 लाख 85 हजार 805 खुराक लगाई गईं. इनमें से 17 लाख 33 हजार 643 लाभार्थियों को पहली खुराक दी गई और 1 लाख 52 हजार 162 को दूसरी खुराक दी गई.

भारत में 16 जनवरी से शुरू हुआ था वैक्सीनेशन

भारत में 16 जनवरी से वैक्सीनेशन की शुरुआत हुई थी. पहले चरण में हेल्थ वर्कर और फ्रंटलाइन वर्कर को वैक्सिनेट किया गया. 1 मार्च से 60 साल से ऊपर के लोगों को वैक्सीन देने की प्रक्रिया शुरू हुई.

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इसी दिन 45 साल के ऐसे लोगों को भी वैक्सीन देना शुरू किया गया, जो किसी ऐसी बीमारी का शिकार हैं, जिसमें कोविड की वजह से उनकी जान को खतरा है. यहां हमें देखना पड़ेगा कि 16 जनवरी वाले पहले चरण में वैक्सीनेशन के लिए उत्सुकता बेहद कम थी.

कई लोग वैक्सीन से नाखुश थे

यहां तक कि, तमाम ऐसे डॉक्टर्स भी थे, जिन्हें वैक्सीन पर भरोसा नहीं था. राजनीतिक गलियारे में भी इसे लेकर आलोचना हो रही थी. कोई कोवैक्सिन को लेकर नाखुश था कि बिना तीसरे फेज का ट्रायल पब्लिश हुए उसे स्वीकृति कैसे दी गई. किसी ने इसे बीजेपी की वैक्सीन करार दे दिया.

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ढेर सारी आशंकाएं थीं. यह सही है कि, आशंकाएं दूर करने का काम सरकार को और बेहतर तरीके से करना चाहिए था. लेकिन यह भी सही है कि महामारी में अफवाहें या आशंकाएं फैलाने से बचना बहुत जरूरी है.

वैक्सीन को लेकर सरकार पर उठाए गए थे सवाल

खासतौर पर अगर आपकी बात को जनता मानती हो, सुनती हो तो उस समय बेहद सावधानी की जरूरत है. यहां तक कहा गया कि वैक्सीन भरोसेमंद नहीं, इसीलिए प्रधानमंत्री सहित सरकार के मंत्री भी इसे नहीं लगवा रहे हैं.

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