भारत सरकार के खिलाफ हाई कोर्ट पहुंचा व्हाट्सएप्प

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द लीडर डेस्क।

ये पहला मौका है जब टेक कंपनी व्हाट्सएप ने किसी देश की सरकार को कोर्ट में चुनौती दी है और खास बात ये कि ये सरकार हमारी भारत सरकार है।
दिल्ली हाई कोर्ट में व्हाट्सएप्प ने भारत में अपने 55 करोड़ ग्राहकों की निजता बचाने की गुहार लगाई है। व्हाट्सएप ने कहा है कि भारत सरकार बुधवार से लागू होने वाली अपनी नई पॉलिसी पर रोक लगाए, क्योंकि इससे प्राइवेसी खत्म हो रही है। सोशल मीडिया को लेकर भारत सरकार की नई गाइडलाइन भारत के संविधान के मुताबिक यूजर्स की प्राइवेसी के अधिकारों का उल्लंघन करती है। नई गाइडलाइन के मुताबिक सोशल मीडिया कंपनियों को उस यूजर्स की पहचान बतानी होगी जिसने सबसे पहले किसी मैसेज को पोस्ट या शेयर किया है।
व्हाट्सएप ने कहा है कि यदि कुछ भी गलत होता है वह सरकार की शिकायत के बाद अपने नियमों के मुताबिक उस यूजर पर कार्रवाई करेगा। व्हाट्सएप प्लेटफॉर्म एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड है, इसलिए कानून का पालन करने के लिए व्हाट्सएप को इस एन्क्रिप्शन को तोड़ना होगा। ऐसे में व्हाट्सएप यूजर्स की प्राइवेसी खतरे में आ जाएगी।
इसी साल फरवरी में सरकार ने सोशल मीडिया और ओटीटी प्लेटफॉर्म के लिए नई गाइडलाइन जारी की थी जिसे लागू करने के लिए इन कंपनियों को 90 दिनों का वक्त दिया था जिसकी डेडलाइन 26 मई को खत्म हो रही है। सरकार की नई सोशल मीडिया गाइडलाइंस में साफ लिखा गया है कि देश में सोशल मीडिया कंपनियों को कारोबार की छूट है , लेकिन इस प्लेटफॉर्म के हो रहे दुरुपयोग को रोकना जरूरी है।
केंद्र सरकार की नई सोशल मीडिया गाइडलाइन के तहत शिकायत के 24 घंटे के भीतर सोशल प्लेटफॉर्म से आपत्तिजनक कंटेंट को हटाना होगा। नई गाइडलाइंस के अनुसार आपत्तिजनक कंटेंट को समयसीमा के अंदर हटाना होगा। देश में इसके लिए जिम्मेदार अधिकारी (नोडल अधिकारी, रेसिडेंट ग्रीवांस अधिकारी) को नियुक्त करना होगा। किसी भी सूरत में जिम्मेदार अधिकारियों को 15 दिनों के अंदर OTT कंटेंट के खिलाफ मिलने वाली शिकायतों का निपटारा करना होगा। साथ ही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को हर महीने अपनी रिपोर्ट जारी करनी होगी।

ये संविधान क़े खिलाफ है

वॉट्सऐप ने तर्क दिया है नया नियम भारत के संविधान में प्राइवेसी अधिकारों का उल्लंघन है। नए नियम के मुताबिक, सरकार जब भी सोशल मीडिया कंपनियों से सूचना को पहली बार शेयर करने वालों की जानकारी मांगेगी तो उन्हें उसकी पहचान बतानी होगी। कानून के हिसाब से बात की जाए तो वॉट्सऐप को सिर्फ गलत काम करने के आरोपियों की ही जानकारी को शेयर करने की जरूरत है। मगर कंपनी ने कहा कि वह यह नहीं कर सकती है, क्योंकि मैसेज एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड होते हैं। उनका कहना है कि नए नियम का पालन करने के लिए उन्हें सबसे पहले जानकारी शेयर करने वालों की जानकारी निकालने के लिए मैसेज एन्क्रिप्शन को तोड़ना होगा।

टूट जाएगा एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन

वॉट्सऐप के प्रवक्ता ने कहा कि ‘मैसेजिंग ऐप्स को चैट ट्रेस करने की जरूरत होगी, जिसके लिए हमें वॉट्सऐप पर भेजे गए हर एक मैसेज का फिंगरप्रिंट रखना होगा जिससे एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन टूट जाएगा। इस प्रकार हमारे यूजर्स के प्राइवेसी के अधिकार खत्म हो जाएंगे। हम लगातार हर विरोध में शामिल हुए हैं जो कि हमारे यूजर्स के प्राइवेसी के अधिकारों का उल्लंघन करेंगे। इस दौरान हम लोगों को सेफ रखने के उद्देश्य से भारत सरकार के साथ बातचीत जारी रखेंगे।

फिर तो बंद हो जाएगी सेवा

हाई कोर्ट ने इस मुद्दे पर सुनवाई की डेट नही दी है। इस मुकदमे से भारतीय सरकार और फेसबुक, गूगल की पैरेंट कंपनी अल्फाबेट और ट्विटर समेत उनके मार्केट दिग्गजों के बीच संघर्ष बढ़ा है।
इस हफ्ते के शुरू में ट्विटर के ऑफिस में पुलिस के जाने के बाद तनाव काफी बढ़ा। ट्विटर सर्विस ने सत्ताधारी पार्टी के स्पोक्सपर्सन और अन्य लोगों द्वारा पोस्ट को मैनिपुलेटेड मीडिया के तौर पर लेबल किया था, उसमें जाली सामग्री के शामिल होने के बारे में भी कहा गया था।
सरकार ने टेक कंपनियों को COVID-19 महामारी पर गलत सूचना को हटाने को कहा और सरकार की आलोचना को भी हटाने को कहा है।
अगर कंपनियों और भारत सरकार के बीच इन मुद्दों को लेकर सुलह नहीं होती है और इस दौरान कंपनियां इन नियमों को मानने में असमर्थ रहती हैं तो इनका अस्तित्व भारत में खतरे में पड़ सकता है। वॉट्सऐप और उसकी मूल कंपनी फेसबुक और अन्य टेक कंपनियों ने भारत में काफी निवेश किया है। Facebook का कहना है कि कंपनी अधिकतर प्रावधानों पर सहमत है। मगर अभी भी कुछ पहलुओं पर बातचीत हो रही है। Twitter इस समय सबसे ज्यादा आलोचनाओं में आ गया है, लेकिन उसने कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।

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