द लीडर। हिजाब विवाद का मुद्दा पूरे देश में फैल चुका है. इसके साथ ही कर्नाटक में बजरंग दल के कार्यकर्ता की हत्या को भी इस मामले से जोड़कर देखा जा रहा है. वहीं कर्नाटक में हिजाब बैन को लेकर मंगलवार को हाई कोर्ट में सुनवाई हो रही है. सुनवाई तीन जजों की बेंच कर रही है.
क्लासरुम और क्लास के दौरान हिजाब बैन है
सरकार का पक्ष रखते हुए एडवोकेट जनरल ने कहा कि, कॉलेज कैंपस के अंदर हिजाब पहनने पर रोक नहीं है, सिर्फ क्लासरुम और क्लास के दौरान हिजाब बैन है. उन्होंने कोर्ट को आगे बताया कि हमारे पास कर्नाटक शैक्षणिक संस्थानों के रूप में एक कानून है. वर्गीकरण और पंजीकरण नियम, नियम 11. यह नियम उन पर एक विशेष पहनावा पहनने का उचित प्रतिबंध लगाता है.
इस हफ्ते मामले का निपटारा चाहता है हाई कोर्ट
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने कहा कि वह इस सप्ताह हिजाब से संबंधित मामले का निपटारा करना चाहता है और इसमें शामिल सभी पक्षों से सहयोग मांगा है. आज जैसे ही अदालती कार्यवाही शुरू हुई, याचिकाकर्ता लड़कियों की ओर से पेश एक वकील ने कर्नाटक उच्च न्यायालय की पूर्ण पीठ से उन मुस्लिम लड़कियों को कुछ छूट देने का अनुरोध किया जो हिजाब के साथ स्कूलों और कॉलेजों में उपस्थित होना चाहती हैं. वे हिजाब प्रतिबंध के खिलाफ अदालत गए थे.
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मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी, न्यायमूर्ति जे एम खाजी और न्यायमूर्ति कृष्णा एम दीक्षित की पूर्ण पीठ कक्षा के अंदर हिजाब पहनने की अनुमति मांगने वाली लड़कियों की याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है. चीफ जस्टिस ने कहा, ‘हम इस मामले को इसी हफ्ते खत्म करना चाहते हैं. इस सप्ताह के अंत तक इस मामले को समाप्त करने के लिए सभी प्रयास करें.
जानिए सोमवार की सुनवाई में क्या हुआ ?
इससे पहले सरकार ने सोमवार को कोर्ट में कहा कि, हिजाब मामले में याचिकाकर्ता न सिर्फ इसे पहनने की इजाजत मांग रही हैं, बल्कि यह घोषणा भी चाहती हैं कि इसे पहनना इस्लाम को मानने वाले सभी लोगों पर धार्मिक रूप से बाध्यकारी है. सरकार ने अदालत में यह भी कहा कि हिजाब एक आवश्यक धार्मिक परंपरा नहीं है और धार्मिक निर्देशों को शैक्षणिक संस्थानों के बाहर रखना चाहिए.
मामले की सुनवाई कर रहे कर्नाटक हाई कोर्ट की पूर्ण पीठ से राज्य के महाधिवक्ता प्रभुलिंग नावडगी ने कहा कि यह एक ऐसा मामला नहीं है जहां याचिकाकर्ता अकेले ही अदालत में आई हैं. वे एक खास पोशाक को एक धार्मिक मंजूरी का हिस्सा बनाना चाहती हैं ताकि यह इस्लाम को मानने वाले हर किसी पर बाध्यकारी हो.
यह दावे की गंभीरता है. हर महिला, जो इस्लाम को मानती हैं, उन्हें धार्मिक परंपरा के अनुसार हिजाब पहनने की जरूरत है, जैसा कि याचिकाकर्ताओं ने दावा किया है.
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