कोर्ट ने कहा है कि सामाजिक धार्मिक आयोजनों में 50 आदमी से अधिक न इकट्ठा हों। सरकार ट्रैकिंग, टेस्टिंग, व ट्रीटमेंट योजना में तेजी लाए और शहरों में खुले मैदान लेकर वहां अस्थायी अस्पताल बनाकर कोरोना पीड़ितों के इलाज की व्यवस्था करें। जरूरी हो तो संविदा पर स्टाफ तैनात किया जाए।
कोर्ट ने कहा कि लॉकडाउन लगाना सही नहीं है, किंतु जिस तरह से संक्रमण फैल रहा है, उसे देखते हुए सरकार को अधिक संक्रमण वाले शहरों में लॉकडाउन लगाने पर विचार करना चाहिए। कोरोना से अत्यधिक प्रभावित शहरों में लखनऊ, कानपुर, प्रयागराज, वाराणसी और गोरखपुर हैं।
कोर्ट ने कन्टेनमेंट जोन को अपडेट करने तथा रैपिड फोर्स को चौकन्ना रहने का निर्देश दिया है और कहा है कि हर 48 घंटे में जोन का सैनिटाइजेशन किया जाए व यूपी बोर्ड की आनलाइन परीक्षा दे रहे छात्रों की जांच करने पर बल दिया जाए।
कोर्ट ने एसपीजीआई लखनऊ की तरह प्रयागराज के स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल में कोरोना आईसीयू बढ़ाने व सुविधाएं उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने राज्य व केंद्र सरकार को एंटी वायरल दवाओं के उत्पाद व आपूर्ति बढ़ाने तथा जमाखोरी करने या कालाबाजारी करने वालों पर सख्ती करने का भी निर्देश दिया है।
कोर्ट को बताया गया कि अस्पताल कोरोना मरीजों को भर्ती करने से इनकार कर रहे हैं। अस्पतालों में जगह नहीं है, अस्पताल कोरोना मरीजों से भरे हैं। संक्रमण के चलते जन जीवन पंगु हो गया है। अलार्मिंग स्थिति उत्पन्न हो गई है। लोग गाइडलाइंस का पालन करने में सहयोग नहीं दे रहे। इलाज की व्यवस्था फेल है। मरीजों को भगवान भरोसे छोड़ दिया गया है।