सांसद आज़म खान की मुश्किलें बढ़ीं : प्रशासन ने वापस ली जौहर यूनिवर्सिटी की 70 हेक्टेयर जमीन

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द लीडर हिंदी, लखनऊ | रामपुर से सपा के लोकसभा सांसद आजम खान को बड़ा झटका लगा है. आजम खान की रामपुर स्थित जौहर यूनिवर्सिटी की जमीन पर सरकार ने कब्जा कर लिया है. आजम खान की याचिका इलाहाबाद उच्च न्यायालय से खारिज होने के बाद यूनिवर्सिटी की 70 एकड़ से ज्यादा जमीन पर सरकार ने कब्जा कर लिया है.

सपा सरकार के दौरान बनी यूनिवर्सिटी

समाजवादी पार्टी की सरकार के दौरान आजम खान ने रामपुर के ही स्वतंत्रता सेनानी मौलाना मोहम्मद अली जौहर नाम पर मोहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी का निर्माण किया. लेकिन उनके इस सपने को सत्ता परिवर्तन होते ही नजर लग गई और प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार आने के बाद आजम खान के विरुद्ध 100 से अधिक मुकदमे दर्ज कर दिए गए.


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ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं आजम खान

गौरतलब है कि मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट को वर्ष 2005 में कुछ शर्तों पर इस विश्वविद्यालय का निर्माण करने के लिए जमीन दी गई थी. इन शर्तों का पालन नहीं करने के लिए राज्य सरकार ने जमीन अधिग्रहण की कार्यवाही शुरू की. आजम खान ने इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. आजम खान इस ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं, जबकि उनकी पत्नी डॉक्टर तजीन फातिमा ट्रस्ट की सचिव और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम खान इस ट्रस्ट के सक्रिय सदस्य हैं.

किस नियम के तहत हुआ है एक्शन?

जौहर यूनिवर्सिटी के खिलाफ भी तमाम कार्रवाई शुरू की गई थीं. इन्हीं में एक कार्यवाही जमींदारी उन्मूलन अधिनियम 1950 के सीलिंग के नियम के अंतर्गत, जिसमें कोई भी व्यक्ति, परिवार या संस्था साढ़े 12 एकड़ से अधिक जमीन बिना प्रदेश सरकार की अनुमति के नहीं रख सकता है. इसी नियम के अंतर्गत प्रशासन ने जौहर यूनिवर्सिटी पर अपनी आंख टेड़ी कर ली और यह मानते हुए के साढ़े 12 एकड़ से अधिक भूमि रखने हेतु जौहर यूनिवर्सिटी को दी गई है.

ट्रस्ट ने किया शर्तों का उल्लंघन

जौहर यूनिवर्सिटी को मौलाना मुहम्मद अली जौहर ट्रस्ट संचालित करता है और यह अल्पसंख्यक संस्थान है. प्रदेश सरकार ने 2005 में जौहर ट्रस्ट को 12.50 एकड़ से ज्यादा जमीन खरीदने की अनुमति दी थी, तब कुछ शर्तें भी लगाई थीं. ट्रस्ट ने तब कहा था कि वह गरीब बच्चों को मुफ्त में शिक्षा दिलाएगी और चैरिटी का कार्य करेगी लेकिन, इन शर्तों का अनुपालन न करने का आरोप लगाते हुए बीजेपी नेता आकाश सक्सेना ने मुख्यमंत्री से शिकायत कर दी.

बीजेपी नेता की शिकायत पर यूपी शासन के आदेश पर रामपुर प्रशासन ने जांच कराई तो शर्तों के उल्लंघन की बात सही पाई. जौहर ट्रस्ट को हर वर्ष एक अप्रैल को जिलाधिकारी को प्रगति रिपोर्ट देनी होती है लेकिन इस बीच ट्रस्ट ने कोई रिपोर्ट नहीं दी. ट्रस्ट के नाम पर खरीदी गई जमीनों की खरीद-फरोख्त में भी नियमों का उल्लंघन किया गया. इसके बाद अपर जिला अधिकारी प्रशासन की ओर से अदालत में मुकदमा दायर किया गया था.


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जमीन को लेकर विवाद

आजम खान की यूनिवर्सिटी की जमीन पर आरोप लगा था कि शत्रु संपत्ति को वक्फ की संपत्ति बताकर कब्जा किया गया है. चकरोड की जमीन की अदला-बदली करने में भी अनियमितता मिली. इसी तरह कोसी नदी क्षेत्र की जमीन का आवंटन गलत तरीके से कराया. इसके अलावा अनुसूचित जाति के लोगों की 101 बीघा जमीन बिना अनुमति के खरीद ली गई थी.

जिला शासकीय अधिवक्ता अजय तिवारी ने कोर्ट को बताया था कि अनुसूचित जाति के लोगों की 12.50 एकड़ जमीन बिना अनुमति के खरीदी गई थी. इस कारण योगी सरकार ने पहले ही इस पर कब्जा कर लिया था. इसी तरह 26 किसानों की भी करीब तीन एकड़ जमीन पर कब्जा था, जिसे सरकार ने उनकी जमीन पर भी प्रशासन की मदद से कब्जा वापस दिला दिया था.

यूनिवर्सिटी को नियंत्रण में लेगी सरकार

जौहर यूनिवर्सिटी के पास करीब 265 एकड़ जमीन थी लेकिन, अब 12.50 एकड़ ही बची है. यह जमीन भी यूनिवर्सिटी परिसर से बाहर बताई जा रही है. यह जमीन ट्रस्ट ने सबसे पहले खरीदी थी, इसलिए इसे ट्रस्ट के कब्जे में छोड़ा गया है, बाकी जमीन सरकार के कब्जे में आ गई है. यूनिवर्सिटी के पास महज 12.50 एकड़ जमीन बची है, जबकि नियमानुसार 50 एकड़ चाहिए. यही कारण है, योगी सरकार इसे अपने नियंत्रण में लेने की तैयारी में है. इसके लिए प्रशासन ने शासन को रिपोर्ट भेज दी है.


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