द लीडर : दिल्ली को लेकर संसद में लाए गए ‘द गर्वमेंट ऑफ नेशनल कैपिटल टेरिटरी ऑफ दिल्ली-संशोधन विधेयक (GNCTD)2020 पर विवाद छिड़ गया है. और आम आदमी पार्टी इस बिल के खिलाफ मुखर हो गई है. दिल्ली सरकार के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया ने कहा कि केंद्र के इस बिल के बाद दिल्ली में जनता की चुनी सरकार का कोई मतलब नहीं रहेगा, बल्कि दिल्ली सरकार का मतबल-उप राज्यपाल होगा. (GNCTD Bill Sisodia Delhi Government Deputy Governor)
केंद्र सरकार जीएनसीटीडी एक्ट-1999 में संशोधन करना चाहती है. पीआरएस (PRS)लेजिसलेटिव रिसर्च की वेबसाइट के मुताबिक 1999-एक्ट के प्रावधानों को आसानी से लागू कराया जा सके, इस उद्देश्य से ये संशोधन बिल लाया गया है.
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि विधानसभा में आठ और एमसीडी चुनावों में खारिज किए जाने के बाद भाजपा बिल के जरिये चुनी हुई सरकार को कमजोर करने आई है. हम सरकार के अलोकतांत्रिक कदम की कड़ी निंदा करते हैं.
After being rejected by ppl of Del (8 seats in Assembly, 0 in MCD bypolls), BJP seeks to drastically curtail powers of elected govt thro a Bill in LS today. Bill is contrary to Constitution Bench judgement. We strongly condemn BJP’s unconstitutional n anti-democracy move
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) March 15, 2021
दूसरी तरफ मनीष सिसौदिया ने इस बिल को असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक बताया है. उन्होंने कहा कि इस बिल में लिखा है कि इसके आने के बाद दिल्ली सरकार का मतलब बस उप-राज्यपाल ही रह जाएगा. ये बहुत खतरनाक संशोधन है.
क्योंकि संशोधित बिल के मुताबिक चुनी हुई सरकार जो भी फैसले लेगी, उसकी फाइल राज्यपाल के पास भेजनी पड़ेगी. इस तरह राज्यपाल के ऊपर निर्भर करेगा कि वे सरकार के फैसलों को मंजूरी देते हैं या नहीं.
दिल्ली में चुनी हुई सरकार का मतलब अब कुछ नहीं होगा। ये बहुत खतरनाक संशोधन है। इसमें लिखा है कि चुनी हुई सरकार जो फैसले लेगी उसकी फाइल अब उप राज्यपाल के पास भेजनी पड़ेगी: मनीष सिसोदिया https://t.co/QhzvH20eEF
— ANI_HindiNews (@AHindinews) March 15, 2021
दरअसल, दिल्ली में अधिकारों को लेकर दिल्ली सरकार और उप-राज्यपाल के बीच की लड़ाई कोई नई नहीं है. अक्सर ये ही मुद्दा उठता रहा है. खासकर साल 2013 में केजरीवाल के सत्ता में आने के बाद ऐसे भी मौके आए, जब केजरीवाल खुद धरने पर बैठ गए.
वर्तमान में देखें तो उप-राज्यपाल और सरकार के बीच कोई ऐसा मतभेद नहीं दिखता है. लेकिन इस बिल ने फिर से सरकार और उप-राज्यपाल के अधिकारों की बहस छेड़ दी है.
बीजेपी आज संसद में नया क़ानून लेकर आई है – 1. दिल्ली में उपराज्यपाल ही सरकार होंगे
2. मुख्यमंत्री, मंत्री को अपनी हर फ़ाईल LG के पास भेजनी होगीचुनाव के पहले बीजेपी का घोषणापत्र कहता है कि दिल्ली को पूर्ण राज्य बनाएँगे. चुनाव जीतकर कहते हैं दिल्ली में LG ही सरकार होंगे.
— Manish Sisodia (@msisodia) March 15, 2021