मध्य प्रदेश से लेकर हरियाणा, यूपी और राजस्थान तक, हिंसक भीड़ के निशाने पर क्यों हैं गरीब मुसलमान

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पहली तस्वीर इंदौर की है, जहां चूड़े वाले तस्लीम को पीटा जा रही है. दूसरी तस्वीर जो ऊपर है-वो अजमेर की है-जिसमें फकीर को कुछ लोग पीट रहे हैं. तीसरी तस्वीर-जिसमें महिला पुलिस अफसर बच्ची के साथ हैं-वो कानपुर के रिक्शा चालक असरार के घर की है. सबसे निचली तस्वीर दिल्ली के जंतर-मंतर पर हिंदूवादी नेताओं के अांदोलन की है.

अतीक खान


 

दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने हिंदू रक्षक दल के अध्यक्ष पिंकी चौधरी की अंतरिम जमानत अर्जी नामंजूर करते हुए बेहद सख्त टिप्पणी की है. जिस पर ध्यान देना जरूरी है. अदालत ने कहा-” हम तालिबान राज्य नहीं हैं. कानून का राज हमारे मल्टी कल्चरल समाज को चलाने का सबसे पवित्र सिद्धांत है. तब, जबकि देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है. तो कुछ लोग हैं, जिनका दिमाग अब तक असहिष्णु और सेल्फ सेंटर यकीदे तक सीमित है.” (Muslims Target Violent Mob)

पिंकी चौधरी दिल्ली के जंतर-मंतर पर मुसलमानों का नरसंहार करने की नारेबाजी मामले में आरोपी है. अदालत ने कहा पिंकी चौधरी पर बेहद गंभीर आरोप हैं. पलटकर इतिहास में देखें तो पाएंगे कि इतिहास अछूता नहीं है, जहां ऐसे घटनाक्रमों से सांप्रदायिक माहौल भड़का है. दंगे हुए हैं और आमजन का भारी जानमाल का नुकसान हुआ है.

इस अंदाज में मीडिया में खबरें प्रसारित हो रही हैं.

इसके संदर्भ में कुछ हालिया घटनाएं हैं. जो बताती हैं कि मुसलमानों के खिलाफ नफरत का एजेंडा, भारतीय जनमानस को किस हद तक प्रभावित किए है. निशाने पर बेहद गरीब मुसलमान हैं, जो इसी बहुसांस्कृतिक समाज से अपनी रोजी-रोटी कमाते हैं. उत्तर प्रदेश से लेकर मध्यप्रदेश, हरियाणा और राजस्थान तक, गरीब मुसलमान निशाने पर हैं.


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पहली घटना कानपुर की है, जो इसी अगस्त महीने की है. एक रिक्शा चलाने वाले असरार अहमद को बजरंग दल और दूसरे कथित हिंदूवादी नेताओं की भीड़ ने सरेआम पीटा. वो भी पुलिस की मौजूदगी में. सामाजिक दबाव पर मुकदमा दर्ज हुआ. लेकिन अगले ही दिन आरोपियों को थाने से जमानत मिल गई. उनके खिलाफ कोई ऐसी धारा नहीं लगी, कि वह जेल तक पहुंचते. (Muslims Target Violent Mob)

इंदौर में चूड़ीवाले को पीटकर, पास्को 

ताजा घटनाक्रम मध्यप्रदेश के इंदौर का है. यूपी के हरदोई के तस्लीम इंदौर में फेरी लगाकर चूड़ियां बेचते हैं. रक्षाबंधन पर गोविंदनगर इलाके में हिंदूवादी नेताओं ने उन्हें घेर लिया. बेहरमी से पीटा. सामान छीन लिया. उस पर दुस्साहस ये कि वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर आम कर दिया. वीडियो सामने आने पर हंगामा खड़ा हो गया.

इन खबरों से अंदाजा लगा सकते हैं कि मीडिया समाज में किस कदर नफरत का जहर घोलने में लगा है.

मुस्लिम समाज ने विरोध दर्ज कराया. पुलिस ने तस्लीम पर हमले का मुकदमा तो दर्ज किया, लेकिन मामले को बैलेंस रखने के लिए तस्लीम के हक में विरोध करने वाले मुसलमानों पर भी केस कर दिया. इतना ही नहीं, सोमवार को तस्लीम पर भी पॉक्सो एक्ट समेत कई गंभीर धाराओं में मामला दर्ज हो गया है.

राजस्थान में फकीर को बच्चों के सामने पीटा

इंदौर में तस्लीम की चीखें अभी गूंज ही रही थीं कि दूसरा घटनाक्रम राजस्थान के अजमेर से सामने आ गया. जहां चंद्रवाणी नगर इलाके में हिंदू समाज के कुछ लोगों ने एक मुस्लिम फकीर को उनके बच्चों के सामने जमकर पीटा. पाकिस्तान जाने को कहा. अजमेर पुलिस के मुताबिक आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है.


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घटना को लेकर हैदराबाद के सांसद असदुद्​दीन ओवैसी ने कहा-”विराट हिंदुत्ववादी” खुद को “विराट” महसूस करवाने के लिए कभी किसी मुसलमान फ़क़ीर को मारते हैं. तो कभी भीड़ इकट्ठा करके चूड़ी बेचने वाले को पीटते हैं. ये कम-ज़र्फ़ी और कमतरी गोडसे की हिंदुत्ववादी सोच का नतीजा है. अगर समाज ये सोच का मुकाबला नहीं करेगा तो ये कैंसर की तरह फैलती रहेगी.” (Muslims Target Violent Mob)

हरियाणा में कश्मीर के कुछ युवकों को निशाना बनाया गया. लेकिन कश्मीर प्रशासन के हस्तक्षेप पर हरियाणा में आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई हो गई. इसी बीच झारखंड से भी एक मुस्लिम युवक को कथित रूप से ट्रेन से फेंके जाने का मामला सामने आया है, जोकि केरल से मजदूरी करके लौट रहे थे.

एक साथ हिंसा का एक सिलसिला चल पड़ा है. जिसको और हवा दी जा रही है. कानपुर में जब रिक्शा चालक असरार भीड़ का शिकार बने थे. तब आरोपियों के बचाव में सैकड़ों लोग पुलिस अधिकारियों के आवास के बाहर धरने पर बैठ गए थे. उसी तरह इंदौर में भी तस्लीम के साथ मारपीट के आरोपियों के बचाव में मंगलवार को एक बड़ा प्रोटेस्ट हुआ.

सांप्रदायिक हिंसा के आरोपियों के बचाव में जिस तरह से भीड़ सड़क पर उतर रही है. उससे इस बात की संभावना कम है कि हाल-फिलहाल में इस तरह की हिंसाएं थमेंगी. अगर पुलिस-प्रशासन, अदालत और समाज ने आगे बढ़कर इन पर काबू पाने की कोशिश नहीं की, तो भविष्य में ऐसी घटनाओं में और उबाल आ सकता है.

 

(लेखक पत्रकार हैं. यहां व्यक्त विचार निजी हैं. )

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