तीन बार उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके कल्याण सिंह का निधन : कई दिनों से थे बीमार

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द लीडर हिंदी, लखनऊ | यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का शनिवार की शाम निधन हो गया। वह कई दिनों से बीमार चल रहे थे। कल्याण सिंह की सेहत को देखते हुए सबसे पहले उन्हें लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया गया था। चार जुलाई को उनकी हालत फिर से बिगड़ती तो यहां से उन्हें पीजीआई में शिफ्ट किया गया, जहां शनिवार की शाम उन्होंने अंतिम सांस ली।

बता दें पीजीआई में शिफ्ट होने के बाद दिन पर दिन उनका स्वास्थ्य बिगड़ता जा रहा था। डॉक्टर लगातार उनकी देखभाल में लगे थे। कल्याण सिंह के निधन की खबर मिलते ही भाजपा समेत तमात राजनीतिक दलों में शोक की लहर दौड़ गई है।

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कौन थे कल्याण सिंह ?

कल्याण सिंह का जन्म 5 जनवरी, 1932 को यूपी के अतरौली में हुआ था। उनके माता-पिता का नाम सीता देवी और तेजपाल सिंह लोधी था। कल्याण सिंह ने बीए और एलएलबी की पढ़ाई की थी। कल्याण सिंह तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। वहीं, केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद उन्हें राजस्थान और हिमाचल प्रदेश का राज्यपाल भी बनाया गया।

राजस्थान के राज्यपाल रह चुके कल्याण सिंह बीजेपी के संस्थापक नेताओं में शामिल थे। जब से वे अस्पताल में भर्ती हुए थे तब से कई वरिष्ठ नेता उनसे मिलने अस्पताल आए थे। इनमें केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, यूपी की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल शामिल हैं।

खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी फोन पर कल्याण सिंह का हालचाल जाना था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी कई बार कल्याण सिंह का हालचाल जानने के लिए अस्पताल आए थे।

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आठ बार विधायक, तीन बार UP के CM, राजस्थान के गवर्नर

यूं तो वाजपेयी की तरह कल्याण सिंह भी अपना पहला चुनाव हार गए थे, लेकिन उसके बाद 8 बार विधायक भी रहे। तीन बार UP के मुख्यमंत्री, एक बार लोकसभा के सांसद और फिर राजस्थान के गवर्नर भी, लेकिन राजनीति से मन तब भी नहीं भरा और 2019 के चुनावों में न केवल BJP के लिए चुनावी रणनीति बनाई, बल्कि पिछड़ों और दलितों को साथ लाने में भी मदद की।

भाजपा छोड़ी, फिर वापस भी आए

भारतीय जनता पार्टी में कल्याण सिंह एक जमाने तक उत्तर प्रदेश के सबसे कद्दावर नेता हुआ करते थे। उनके बारे में कहा जाता था कि देश में अटल बिहारी और UP में कल्याण सिंह। इसे ताकत का नशा कहें कि उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी को भी नहीं छोड़ा। नतीजतन पार्टी ही छोड़नी पड़ी, फिर प्रमोद महाजन की कोशिशों से वापसी हुई, वो भी वाजपेयी के प्रधानमंत्री रहते हुए।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी ने जताया शोक  

कल्याण सिंह के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत कई नेताओं ने शोक व्यक्त किया है। पीएम मोदी ने ट्वीट कर बताया, ”मैं काफी दुखी हूं। कल्याण सिंह जी…राजनेता, अनुभवी प्रशासक, जमीनी स्तर के नेता और महान इंसान थे। उत्तर प्रदेश के विकास में उनका अमिट योगदान है। मैंने उनके पुत्र श्री राजवीर सिंह से बात की और संवेदना व्यक्त की है। ओम शांति.”

उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लिखत हैं “पूर्व राज्यपाल व उ.प्र. के पूर्व मुख्यमंत्री एवं भाजपा परिवार के वरिष्ठ सदस्य आदरणीय कल्याण सिंह जी अब हमारे बीच नहीं रहे।”

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योगी लिखते हैं “भारतीय राजनीति में शुचिता, पारदर्शिता व जन सेवा के पर्याय, अप्रतिम संगठनकर्ता एवं लोकप्रिय जननेता आदरणीय कल्याण सिंह जी का देहावसान संपूर्ण राष्ट्र के लिए अपूरणीय क्षति है। उन्हें कोटि-कोटि श्रद्धांजलि!”

उन्होंने आगे लिखा “प्रभु श्री राम से प्रार्थना है कि दिवंगत पुण्यात्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें और शोक-संतप्त परिजनों को दु:ख सहने की शक्ति प्रदान करें। समाज, कल्याण सिंह जी को उनके युगांतरकारी निर्णयों, कर्तव्यनिष्ठा व शुचितापूर्ण जीवन के लिए सदियों तक स्मरण करते हुए प्रेरित होता रहेगा।”

21 जून से चल रहा है कल्याण सिंह का इलाज

कल्याण सिंह को 21 जून को लखनऊ के लोहिया संस्थान में भर्ती किया गया था। 4 जुलाई को जब सबसे पहले उनकी तबीयत ज्यादा खराब हुई थी तो यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उनसे मिलने पहुंचे थे। थोड़ी देर बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत डेप्‍युटी सीएम केशव प्रसाद मौर्या सहित प्रदेश सरकार के कई मंत्री भी अस्पताल कल्याण सिंह का हालचाल लेने गए थे। तबीयत में सुधार न होने के बाद उसी दिन उन्हें PGI शिफ्ट किया गया था।

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पहली बार 1967 में जीत का परचम लहराया

कल्याण सिंह ने पहली बार अतरौली विधान सभा इलाके से 1967 में चुनाव जीता और लगातार 1980 तक विधायक रहे। 1980 के विधानसभा चुनाव में कल्याण सिंह को कांग्रेस के टिकट पर अनवर खां ने पहली बार पराजित किया। लेकिन बीजेपी के टिकट पर कल्याण सिंह ने 1985 के विधानसभा चुनाव में फिर कामयाबी हासिल की। तब से लेकर 2004 के विधानसभा चुनाव तक कल्याण सिंह अतरौली से विधायक रहे।

राममंदिर आंदोलन को दी अलग पहचान

90 के दशक में भाजपा के राममंदिर आंदोलन को कल्याण सिंह ने ही अलग पहचान दी। अयोध्या में विवादित ढांचा गिरने की जिम्मेदारी ली और मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। कल्याण सिंह का जन्म 5 जनवरी सन् 1932 को अलीगढ़ में अतरौली तहसील के मढ़ौली ग्राम के एक सामान्य किसान परिवार में हुआ।

बचपन में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए। कल्याण सिंह ने विपरीत परिस्थितियों में कड़ी मेहनत कर अपनी उच्च शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद अध्यापक की नौकरी की। साथ-साथ वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ कर राजनीति के गुण भी सीखते रहे। कल्याण सिंह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में रहकर गांव-गांव जाकर लोगों में जागरूकता पैदा करते रहे।

1967 में पहली बार विधायक बने, इमरजेंसी में 21 महीने जेल में रहे

कल्याण सिंह 1967 में अपना पहला विधानसभा चुनाव अतरौली से जीतकर उत्तर प्रदेश विधानसभा पहुंचे। कल्याण सिंह 1967 से लगातार 1980 तक उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य रहे। इस बीच देश में आपातकाल के समय 1975-76 में 21 महीने जेल में रहे। इस बीच कल्याण सिंह को अलीगढ़ और बनारस की जेलों में रखा गया।

आपातकाल समाप्त होने के बाद 1977 में रामनरेश यादव को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया। उनकी सरकार में कल्याण सिंह को स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया। सन् 1980 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में कल्याण सिंह विधानसभा का चुनाव हार गये। भाजपा के गठन के बाद कल्याण सिंह को उत्तर प्रदेश का संगठन महामंत्री बनाया गया।

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