द लीडर चमोली।
देवभूमि में आजकल हजारों वन्य जीव इधर से उधर भटक रहे। घोसलें में अंडे और बच्चों को छोड़ कर पंछी विलाप करते फड़फड़ाते हुए उड़ रहे हैं। कुछ तो लपटों में घिर कर दम तोड़ दे रहे हैं। बद्रीनाथ और केदारनाथ प्रभाग में ही 28 हेक्टेयर से अधिक जंगल खाक हो चुका है। आम तौर पर गर्मियों में जंगल जलते थे लेकिन इस बार सर्दियों से शुरू हुआ सिलसिला जारी है। आजकल तो कई जगह आसमान में जंगल की आग का धुआं दिख रहा है। मई – जून जैसा हाल है।
उत्तराखंड की सबसे बड़ी सम्पदा ये जैव विविधता से भरे जंगल ही हैं। चीड़ देवदार के पेड़ ही नही मिश्रित वनों में आये दिन आग लगने की घटनाऐं सामने आ रहीं हैं। वन महकमा और प्रशासन दावे तो कर रहा है लेकिन कई जगह आग बेकाबू है ।
चमोली जिले में पिछले कई दिनों से अलग अलग वन क्षेत्रों , कम्पार्मेंट एरिया में आग लगने से लाखों रुपये की वन सम्पदा स्वाहा हो गयी है । वन विभाग के उच्च अधिकारियों का यह भी कहना है कि वनाग्नि को बुझाने और रोकने के लिये महकमा युद्ध स्तर पर कार्य में जुटा है । फायर कटिंग सहित अन्य तरीकों से भी वनाग्नि रोकने का कार्य किया जा रहा है । केदारनाथ वन प्रभाग के उप वन संरक्षक अमित कंवर ने बताया कि घटना की जानकारी मिलते ही वन कर्मियों की टीम घटना स्थल के जंगलों में पहुंचकर वनाग्नि को बुझा रहे हैं ।
केदारनाथ वन प्रभाग जिसके अंतर्गत सेंचुरी एरिया भी आता है , वहां अब तक वनाग्नि की 7 घटनाएं प्रकाश में आयीं हैं केदारनाथ वन प्रभाग के उप वन संरक्षक अमित कंवर ने बताया कि प्रथम दृष्ट्या आंकड़ों के अनुसार केदार नाथ वन प्रभाग के अंतर्गत 14 हैक्टोएयर जंगलों को वनाग्नि से नुकसान हुआ है । बदरीनाथ वन प्रभाग में भी अभी तक वनाग्नि की 7 से अधिक घटनाऐं और 13 से 14 हेक्टोएयर वन सम्पदा को नुकसान हुआ है ।
यह वक्त पक्षियों के परिवार बनने और बसने का भी है । पक्षियों के संरक्षण में पिछले 20 वर्षों से कार्य कर रहे यशपाल नेगी बताते हैं कि वनाग्नि की घटनाओं से हजारों पक्षियों के जीवन पर खतरा मंडरा रहा है ।