द लीडर हिंदी, इंदौर। देश में ब्लैक फंगस का कहर अभी थमा भी नहीं है कि अब ग्रीन फंगस ने दस्तक दे दी है. मध्य प्रदेश के इंदौर में ग्रीन फंगस का पहला मामला सामने आया है. एक मरीज के फेफड़ों की जांच के दौरान उसके फेफड़ों में ग्रीन फंगस होने की पुष्टि हुई है.
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इलाज के लिए मरीज को भेजा गया मुंबई
फिलहाल, ग्रीन फंगस के मरीज को इलाज के लिए एयरलिफ्ट कर मुंबई के हिंदुजा अस्पताल भेजा गया है. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी ने जानकारी देते हुए कहा है कि, मरीजे के फेफड़ों की जांच में एक हरे रंग का फंगस मिला है. इसी के आधार पर इसे ग्रीन फंगस नाम दिया गया है.
देश में पहली बार मिला ग्रीन फंगस का मामला
गौरतलब है कि, कोरोना के बाद देश के अलग अलग हिस्सों में ब्लैक फंगस, वाइट फंगल, येलो फंगस के मरीज मिले है. लेकिन देश में यह पहली बार है जब कोई ग्रीन फंगस का मरीज मिला है.
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यह है पूरा मामला ?
दरअसल, इंदौर के इस मरीज को कुछ दिन पहले कोरोना हुआ था. जब वो कोरोना से रिकवरी कर गया तो पोस्ट कोविड लक्षणों के चलते उसे दोबारा अस्पताल में भर्ती कराया गया. लेकिन इलाज के दौरान उसके फैफड़ों में हरे रंग का फंगस दिखा.
मरीज के फेफड़े 90 फीसदी तक संक्रमित
डॉक्टरों का कहना है कि, मरीज के फेफड़े इस फंगस के 90 फीसदी तक संक्रमित हो चुके हैं. उसके दाएं फेफड़े में मवाद भर गया था. फेफड़े और साइनस में एसपरजिलस फंगस घर कर गया था. इसे ही ग्रीन फंगस कहा जा रहा है.
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ब्लैक से ज्यादा खतरनाक है ग्रीन फंगस
डॉक्टरों का कहना है कि, ग्रीन फंगस ब्लैक फंगस से कहीं ज्यादा खतरनाक होता है. इसके असर के कारण मरीज की सेहत तेजी से गिरती है. दिनों दिन मरीज की हालत बद से बदतर होती जाती है. मल से खून आने की शिकायत होने लगती है. बुखार भी 103 डिग्री तक पहुंच जाता है.
ग्रीन फंगस के मामले बढ़े तो संभालना मुश्किल
कोरोना के बाद देश ब्लैक फंगस से जूझ रहा है. हर दिन इसके मरीजों की तादाद में इजाफा हो रहा है. ऐसे में अगर ग्रीन फंगस के मामले बढ़ते हैं तो एक बार फिर देश में बीमरो के साथ साथ मौत के आंकड़े भी बढ़ेंगे. क्योकिं, ग्रीन फंगस कई मायनों में ब्लैक फंगस से ज्यादा घातक है.
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