दुनिया में बेहद पुरानी मानव सभ्यता वाला, सबसे गरीब देशों में एक अफ्रीकी देश नाइजर के स्कूल में आग लगने से 26 बच्चों की मौत हो गई। हादसे में घायल 13 बच्चों में चार की हालत नाजुक है। नाइजर के जैसे हालात हैं, उसमें इलाज का बंदोबस्त होना भी एक बड़ी चुनौती है। (Fire In Niger School)
दक्षिणी नाइजन के गवर्नर ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया कि आग की चपेट में आने से तकरीबन 26 स्कूली बच्चों की झुलसकर मौत हो गई है।
मराडी शहर के मेयर चाईबौ अबूबकर ने कहा, “अभी हमारे पास 26 बच्चों के मारे जाने और 13 के घायल होने की सूचना है, चार की हालत गंभीर है।”
संयुक्त राष्ट्र के 188 देशों में सबसे गरीबी देशों में दूसरे पायदान पर नाइजर में स्कूल पुआल और लकड़ी के शेड बनाकर संचालित करने की कोशिश हो रही है। स्कूल भवन न के बराबर ही हैं। बच्चे जमीन पर बैठकर पढ़ते हैं। शिक्षकों को भी बैठने का इंतजाम अक्सर नहीं होता। (Fire In Niger School)
ट्रांस सहारा क्षेत्र के इस देश में तापमान वैसे ही ज्यादा रहता है, ऐसे में घास-फूस, पुआल, लकड़ी की वजह से स्कूलों में आग लगना आम बात है, लेकिन चौकन्ने रहने की वजह से हताहत होने की नौबत आमतौर पर नहीं आती। लेकिन जब भी ऐसा होता है तो भीषण और भयानक ही होता है।
अप्रैल में नाइजर की राजधानी नियामे की मजदूर बस्ती के एक स्कूल में आग लगने से 20 स्कूली बच्चों की मौत हो गई थी।
नाइजर शिक्षक संघ के महासचिव इस्सौफौ अर्ज़िका ने एएफपी को बताया कि सोमवार की आग ने मराडी में स्कूल को पूरी तरह तबाह कर दिया।
अर्ज़िका ने कहा कि शिक्षक संघ ने अधिकारियों को नियामे के अग्निकांड के बाद पुआल और लकड़ी की कक्षाओं के खतरे को लेकर चेताया भी था।
उन्होंने कहा, “छात्रों के लिए ऐसे स्कूल कब्रगाह बन गए हैं, पुआल झोपड़ियों से बेहतर तो पेड़ के नीचे कक्षाएं लगाना बेहतर है।”
राष्ट्रपति मोहम्मद बज़ूम ने हाल ही में स्कूलों ऐसे स्कूलों के ढांचे को बदलने का वादा किया था, लेकिन जमीनी तौर पर कोशिशें आज तक नहीं दिखाई दीं।
देश के उत्तर में डैन-इस्सा जिले में सोने की खदान ढहने से 18 मजदूरों की मौत के कुछ दिनों बाद स्कूल में आग लग गई। (Fire In Niger School)
नाइजर खुद में अद्भ़ुत देश है। मानव सभ्यता के निशान यहां लगभग तीन लाख साल पुराने तक मिले हैं। हालांकि, इतिहास का पता और खोज के बारे में ज्यादा जानकारी दर्ज नहीं हुई हैं। आज यह चारों ओर से बिना समुद्री सीमा वाला देश है, जबकि यहां के लोगों ने कई साम्राज्यों के हमले झेले हैं और उपनिवेश भी रहा। उपनिवेशवादी गुलामी से मुक्ति के बाद भी उथल-पुथल कम नहीं रही, कई बार सैन्य तख्तापलट हुए हैं। (Fire In Niger School)
यहां 99 प्रतिशत से ज्यादा आबादी इस्लाम को मानती है, जिसमें सुन्नी, शिया, अहमदिया समेत कई फिरके मौजूद हैं। इसके बावजूद यह देश संवैधानिक तौर पर धर्मनिरपेक्ष देश है। लगभग 80 फीसद आबाद आज भी गांव में ही रहती है, पक्की सड़कें नाममात्र को हैं। लेकिन युवा ऊर्जा खासी उन्नत है। देश की 49 प्रतिशत आबादी 15 साल से कम उम्र के बच्चों की है और महज दो-तीन फीसद लोग ही 65 साल से ज्यादा उम्र के हैं।