किसान आंदोलन और भाजपा सरकारों के बीच तनातनी लगातार बढ़ती जा रही है। दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के धरने बीते 287 दिनों में स्थायी बस्ती की शक्ल ले चुके हैं, जहां का माहौल देश की किसी भी बस्ती या गांव से जुदा है, खुशनुमा है। अब हरियाणा के करनाल में लघु सचिवालय भी इसी तरह किसानों से घिर गया है और यहां भी तंबू गाड़कर पूरे सब्र के साथ विरोध के मैदान में उतर गए हैं। वहीं मिशन यूपी-उत्तराखंड का आगाज मुजफ्फरनगर की किसान महापंचायत से होने के बाद लखनऊ भी निशाने पर आ चुका है। भारत बंद करने की तैयारी भी जोरों पर है।
एसडीएम आयुष सिन्हा के खिलाफ कार्रवाई करने की किसानों की मांग ठुकराने से किसान नेताओं और करनाल प्रशासन के बीच वार्ता फिर बेनतीजा रही। एसकेएम का आरोप है, दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई न करने, उन्हें बढ़ावा देने और उनका समर्थन करने से, सरकार पुलिस हिंसा के असली मास्टरमाइंड के रूप में सामने आ चुकी है।
”किसानों का अपमान करते हुए करनाल प्रशासन ने कहा कि वे मुआवजा देने को तैयार हैं लेकिन अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करेंगे। इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया और कहा कि उनका संघर्ष केवल आर्थिक मुआवजे के लिए नहीं बल्कि न्याय के लिए है।”
”सरकार का यह तर्क औचित्यहीन है कि वह एक अधिकारी को निलंबित नहीं कर सकती, जबकि कल ही उसने गुड़गांव में ऐसा किया है। हम सरकार से एक बहुत ही उचित बात कह रहे हैं, अधिकारी को निलंबित करने और उसके खिलाफ जांच का आदेश देने के लिए। सरकार की चाल से साफ है कि अधिकारियों को छूट कहां से मिल रही है”, संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा।
मोर्चा ने बयान जारी कर बताया, आज तीसरे दिन भी करनाल लघु सचिवालय का घेराव जारी रहा। लघु सचिवालय के सामने हजारों किसानों ने कैंप और टेंट लगाए। किसानों को स्थानीय समुदाय और पूरे हरियाणा और भारत के विभिन्न राज्यों और जिलों से भारी समर्थन मिल रहा है। हरियाणा और अन्य राज्यों में कई स्थानों पर किसानों ने करनाल आंदोलन के समर्थन में विरोध प्रदर्शन कर सीएम मनोहरलाल खट्टर का पुतला फूंका।
एसकेएम ने हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज के बयान की निंदा की, जिन्होंने किसानों के खिलाफ कार्रवाई करने की धमकी दी है।
एसकेएम ने कहा, “हरियाणा सरकार अपने किसान विरोधी एजेंडे की लेकर बेनकाब हो गई है। उन्होंने शुरू से ही किसान आंदोलन को बाधित करने की कोशिश की है और किसानों और किसान नेताओं के खिलाफ कई मामले दर्ज किए हैं। यहां तक कि वे किसानों के ‘सिर फोड़ने’ का आदेश देने वाले अधिकारी पर कार्रवाई न कर, समर्थन दे रहे हैं”।
किसान नेताओं ने बताया, मुजफ्फरनगर किसान-मजदूर महापंचायत के बाद आज लखनऊ में उत्तर प्रदेश की राज्य स्तरीय एसकेएम की बैठक शुरू हुई। बैठक का समापन कल राज्य में आंदोलन के अगले चरण के लिए बनाई गई योजनाओं के साथ होगा। इस बीच भारत बंद की तैयारियां जोरों पर हैं। कई किसान-मजदूर संगठनों और राजनीतिक संगठनों ने आंदोलन को समर्थन दिया है।