संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर डीजल, पेट्रोल और रसोई गैस की कीमतों में बढ़ोतरी के खिलाफ कल (8 जुलाई) को पूरे भारत में सुबह 10 बजे से दोपहर 12 बजे तक दो घंटे तक विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। प्रदर्शनकारी अपने स्कूटर, मोटरसाइकिल, ट्रैक्टर, कार, बस, ट्रक और खाली गैस सिलेंडर सहित परिवहन के किसी भी साधन के साथ विरोध के लिए चुने गए सार्वजनिक स्थानों पर पहुंचेंगे।
एसकेएम की अपील है कि विरोध के दौरान सड़कों को जाम न किया जाए, बल्कि सड़क के एक तरफ शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया जाए। यह एक ऐसा मुद्दा है जो समाज के हर वर्ग को प्रभावित कर रहा, लिहाजा किसान, मजदूर, युवा, छात्र, महिलाएं, कर्मचारी, दुकानदार, ट्रांसपोर्टर, व्यापारी और अन्य लोग हर जगह इन विरोध प्रदर्शनों का हिस्सा बनें। एसकेएम की मांग है कि कीमतों को तुरंत आधा किया जाए।
बावल चौरासी गांव के किसानों का एक बड़ा दल आज ट्रैक्टर ट्राली और कुछ कारों के काफिले में शाहजहांपुर धरना स्थल पर आया। इसी तरह उत्तर प्रदेश के कई जिलों में गाजीपुर बार्डर तक ट्रैक्टर रैली के लिए लामबंदी की जा रही है।
संयुक्त किसान मोर्चा बुधवार को यह भी स्पष्ट किया कि पंजाब चुनावों को लेकर एसकेएम ने “मिशन पंजाब” जैसा कुछ भी तय नहीं किया है। मीडिया से अपील है कि वह व्यक्तिगत किसान नेता की घोषणाओं और बयानों का श्रेय संयुक्त किसान मोर्चा को न दें।
भारत सरकार के रिकॉर्ड गेहूं खरीद के जारी आंकड़ों पर संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि इस सीजन में इस स्तर की खरीद के लिए किसानों को खुद को धन्यवाद देना चाहिए।
लगातार मजबूत होता किसान आंदोलन निश्चित रूप से किसानों के लिए लाभप्रद है। इस साल 39.65 प्रतिशत की खरीद पूर्व के वर्षों की तुलना में अधिक है, जहां खरीद लगभग 31-36 प्रतिशत थी। यहीं से किसान आंदोलन की सफलता आती है।
साथ ही, कोरोना महामारी और कई लॉकडाउन के दौरान, यह देश के करोड़ों नागरिकों के लिए जीवन रेखा भी बन गया है। हालांकि, सरकार जिस बात का खुलासा नहीं कर रही है, वह उन किसानों की लूट है, जिनसे खरीद नहीं हुई है।
उत्तर प्रदेश में केवल 16.85 प्रतिशत गेहूं की खरीद की गई और बिहार के केवल 8.18 प्रतिशत की खरीद की गई। इसी तरह, गुजरात में केवल 4.8 प्रतिशत।
जिन किसानों से सरकार ने खरीद नहीं की और जिन्हें उत्तर प्रदेश, गुजरात, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल राज्यों में बाजारों की शोषणकारी व्यवस्था से निपटना पड़ा, उन्हें मार्च से जून 2021 के दौरान लगभग 600 करोड़ रुपये की “लूट” का अनुभव हुआ।
(रबी मार्केटिंग सीजन 2021-22)। यह उस फसल में है जहां कुछ राज्यों में केंद्रित सरकार से कुछ खरीद होती है। यहीं पर सभी किसानों के सभी जिंसों के लिए एमएसपी के कानूनी गारंटी के वास्ते किसान आंदोलन की मांग आती है।
सद्भावना मिशन की शुरुआत
संयुक्त किसान मोर्चा ने सिंघू बॉर्डर से “सद्भावना मिशन” शुरू करने की घोषणा की। कजारिया टाइल किसान आंदोलन कार्यालय में प्रत्येक सप्ताह गुरुवार, शुक्रवार एवं शनिवार को चिकित्सा विशेषज्ञों द्वारा नेत्र शिविर का आयोजन किया जाएगा और रविवार को विश्वस्तरीय हृदय रोग विशेषज्ञों द्वारा हृदय रोग शिविर का आयोजन किया जाएगा।
यह तब तक चलेगा जब तक किसान आंदोलन चलेगा। यह सभी के लिए मुफ्त सेवा है। एसकेएम ने सभी आंदोलनरत किसानों और साथ ही विरोध स्थल के आसपास के ग्रामीणों से सद्भावना मिशन का अधिकतम उपयोग करने की अपील की। इसी तरह टिकरी बार्डर में विशेष कोविड टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है।