दिल्ली की सीमाओं पर किसानों ने होली का त्यौहार कृषि कानूनों की प्रतियों का दहन कर मनाया। किसानों ने कहा कि किसान असल मायने में होली तब ही मना पाएंगे जब तीनों कानून वापस होंगे और एमएसपी पर कानून बनेगा।
होली के साथ ही सिंघु बॉर्डर पर होला महोला का कार्यक्रम जोर शोर से हुआ। हरियाणा की औरतों द्वारा विशेष तरीके से यह त्यौहार मनाया गया।
महिलाओं ने कहा कि किसान इसी तरह हर त्यौहार आंदोलन के मोर्चों पर मनाते रहेंगे, जब तक मांगे मानी नहीं जाती।
टिकरी बॉर्डर पर भी किसानों ने होली का पर्व धूमधाम से मनाया। मुख्य मंच पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से किसानों ने एकजुटता दिखाई। किसानों ने इसके बाद आसपास के क्षेत्र की सफाई भी की।
गाज़ीपुर बॉर्डर पर भी किसानों ने पारम्परिक रिवाज से होली मनाई। बड़ी संख्या में दिल्ली व आसपास के लोग भी गाज़ीपुर धरने के होली उत्सव में शामिल हुए।
किसान संगठनों के सानिध्य में आज एडवोकेट जोगिंदर सिंह तूर ने “इन कानूनों में काला क्या” नामक किताब लांच की, जिसमें हर एक बिंदु को विस्तृत रूप में समझाया गया है।
आज लोक कला मंच मंडी मुल्लांपुर किसानों के संघर्ष में शामिल हुआ और कला के माध्यम से अपना योगदान दिया।
लोक कला मंच द्वारा “उठन दा वेला” नाटक का मंचन किया गया जिसके लेखक और निर्देशक हरकेश चौधरी हैं। कलाकारों ने किसानों से मजबूत बने रहने की अपील की।