द लीडर. अल्लाह के रसूल की आमद पर दरगाह आला हज़रत के सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन रज़ा क़ादरी ने बढ़ी बात कही है. एक तो यह कि आशिके रसूल सरकार की आमद को वर्ल्ड पीस डे के रूप में मनाएं. साथ ही जुलूसे मुहम्मदी में जिस पैसे से साउंड सिस्टम का इंतज़ाम होता, उससे ग़रीब लड़िकयों की शादियां कराएं. इस मर्तबा कोविड नियमों के सबब प्रशासन ने ईद मिलादुन्नबी के दोनों जुलूसों में डीजे और साउंड सिस्टम के साथ वाहन लाने पर भी पाबंदी लगा दी है.
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दरगाह आला हज़रत के मीडिया प्रभारी नासिर कुरैशी ने बताया कि सज्जादानशीन ने अपना पैग़ाम सभी आशिके रसूल के लिए जारी किया है. उन्होंने कहा है कि अल्लाह ने हमारे नबी को सिर्फ मुसलमानों के लिए ही नही बल्कि सारे आलम के लिए रहमत बनाकर भेजा. आपने इंसानों के साथ चरिन्दो-परिन्दों (पशु-पक्षियों) के हक़ में भी आवाज़ बुलन्द की. आपकी तालीमात पर अमल करके दुनियाभर में अमन-सुकून कायम किया जा सकता है. चौदह सौ साल पहले आपने बेटी बचाने का संदेश दिया. शराब, ज़िना (बलात्कार), सूद जैसी सामाजिक बुराइयों को हराम करार दिया. इल्म सीखने और सिखाने पर जोर दिया. पड़ोसियों के हुकूक पर कहा कि चाहे किसी मज़हब का हो परेशानी में मदद का करो.
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सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन मियां ने सभी को ईद मिलादुन्नबी की मुबारकबाद देते हुए कहा कि शहर की सभी अंजुमनें जुलूस-ए-मोहम्मदी में बेहद सादगी के साथ शामिल हों. डीजे व साउंड लेकर हरगिज़ न आएं. डीजे व साउंड में खर्च होने वाली रकम से किसी गरीब लड़की की शादी का इंतज़ाम करा दें. गरीबों व यतीमों के लिए खाना व कपड़े दिला दे. तालिबे इल्म (छात्र) के लिए किताबें, फीस,बीमारों को दवाई मुहैया करा दें. यही इस्लाम और हमारे नबी का पैगाम है.
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मुफ्ती सलीम नूरी बरेलवी व अंजुमन खुद्दाम-ए-रसूल के सचिव शान रज़ा ने कहा है कि ईद मिलादुन्नबी के मौके पर घरों व मस्जिदों को झंडों व लाइटों से सजाएं. शरीअत के दायरे में रहकर ईद मिलादुन्नबी की खुशियां मनाएं. मिलाद की महफिल सजाएं. अंजुमनों से अपील करते हुए कहा कि सभी लोग वक़्त पर हाथो में छोटी छोटी तख्तियां लेकर जिसमें इस्लाम व पैगम्बर-ए-इस्लाम की तालीमात लिखी हो जैसे “नमाज़ क़ायम करो, इल्म सीखो और सिखाओ, बेटी बचाओ, नशा हराम, पानी बचाओ, कुरान की तालीम आम करो, झगड़ा फसाद से बचो जैसे स्लोगन के साथ जुलूस में शामिल हों.
टीटीएस के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य शाहिद नूरी,अजमल नूरी व परवेज़ नूरी कहा कि प्रशासन की गाइडलाइन का पालन करते हुए पुरअमन तरीके से तयशुदा लोगों व रास्तों से जुलूस-ए-मुहम्मदी निकालें. औररंगज़ेब नूरी व ताहिर अल्वी ने कहा कि जुलूस में दीनी पोस्टर या किसी मज़ार जैसे गुंबदे खज़रा की बेहुरमती न हो, इसका पूरा ख्याल रखा जाए। जुलूस में इस्लामी लिबास, अमामा शरीफ व इस्लामी टोपी में सादगी के साथ शिरकत करें.