देश की 15वीं राष्ट्रपति बनीं द्रौपदी मुर्मू को CJI एनवी रमन्ना ने दिलाई शपथ : बोलीं- महिलाओं-युवाओं के हित सर्वोपरि होंगे

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द लीडर। देश को आज अपना 15वां राष्ट्रपति मिल गया है। नवनिर्वाचित राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद की शपथ ली। इसके बाद उन्हें 21 तोपों की सलामी दी गई। देश के 15वें राष्ट्रपति के तौर पर द्रौपदी मुर्मू ने शपथ ग्रहण की। सीजेआई एनवी रमन्ना ने उन्हें शपथ दिलाई।

शपथ ग्रहण समारोह सुबह 10:15 बजे संसद के सेंट्रल हॉल में आयोजित किया गया, जहां भारत के मुख्य न्यायाधीश एन.वी. रमणा ने द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई। इसके बाद राष्ट्रपति ने राष्ट्र के नाम अपना पहला संबोधन दिया।

देश के युवाओं और महिलाओं का हित सर्वोपरि होगा- मुर्मू

राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद अपने पहले संबोधन में द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि, उनके लिए देश के युवाओं और महिलाओं का हित सर्वोपरि होगा। उन्होंने कहा कि वे खुद को गौरवान्वित महसूस कर रही हैं।


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द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि, मैं देश की पहली ऐसी राष्ट्रपति हूं, जिसका जन्म स्वतंत्र भारत में हुआ था। स्वतंत्र भारत के नागरिकों के साथ हमारे स्वतंत्रता सेनानियों की अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए हमें अपने प्रयासों में तेजी लानी होगी। द्रौपदी मुर्मू ने कहा, मेरा जन्म ओडिशा के एक आदिवासी गांव में हुआ। लेकिन देश के लोकतंत्र की यह शक्ति है कि मुझे यहां तक पहुंचाया।

शपथ ग्रहण समारोह में मौजूद रहे पीएम मोदी

राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह में उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, मंत्रिपरिषद के सदस्य, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, राजनयिक मिशनों के प्रमुख, संसद सदस्य और प्रमुख नागरिक सभी शामिल हुए।

शपथ ग्रहण करने के बाद नेताओं से मिलीं द्रौपदी मुर्मू

द्रोपदी मुर्मू ने कहा कि, मुझे राष्ट्रपति के रूप में देश ने एक ऐसे महत्वपूर्ण कालखंड में चुना है जब हम अपनी आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। आज से कुछ दिन बाद ही देश अपनी स्वाधीनता के 75 वर्ष पूरे करेगा। ये भी एक संयोग है कि जब देश अपनी आजादी के 50वें वर्ष का पर्व मना रहा था तभी मेरे राजनीतिक जीवन की शुरुआत हुई थी और आज आजादी के 75वें वर्ष में मुझे ये नया दायित्व मिला है।

राजघाट पर महात्मा गांधी को दी श्रद्धांजलि

वहीं शपथ लेने से पहले द्रौपदी मूर्मू राजघाट पहुंची और वहां पर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित की।

द्रौपदी मुर्मू देश की पहली महिला आदिवासी राष्ट्रपति हैं। 64 वर्षीय द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को विपक्ष के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को भारी मतों से हराकर इतिहास रच दिया। वह भारत की पहली आदिवासी राष्ट्रपति बन गई हैं।

जंगल और जलाशयों के महत्व को महसूस किया- मुर्मू

अपने भाषण में आगे बोलते हुए द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि, कुछ ही दिन पहले भारत ने कोरोना वैक्सीन की 200 करोड़ डोज़ लगाने का कीर्तिमान बनाया है। इस पूरी लड़ाई में भारत के लोगों ने जिस संयम, साहस और सहयोग का परिचय दिया, वो एक समाज के रूप में हमारी बढ़ती हुई शक्ति और संवेदनशीलता का प्रतीक है।

राष्ट्रपति मुर्मू ने आगे कहा कि, मेरा जन्म तो उस जनजातीय परंपरा में हुआ है जिसने हजारों वर्षों से प्रकृति के साथ ताल-मेल बनाकर जीवन को आगे बढ़ाया है। मैंने जंगल और जलाशयों के महत्व को अपने जीवन में महसूस किया है। हम प्रकृति से जरूरी संसाधन लेते हैं और उतनी ही श्रद्धा से प्रकृति की सेवा भी करते हैं।


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कौन हैं द्रौपदी मुर्मू ?

द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 में ओडिशा के मयूरभंज जिले के एक आदिवासी परिवार में हुआ था। द्रौपदी मुर्मू एक भारतीय महिला राजनेत्री हैं। भारत के सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने भारत के अगले राष्ट्रपति के लिये उनको अपना प्रत्याशी घोषित किया हैं।

इसके पहले 2015 से 2021 तक वह झारखण्ड की राज्यपाल थीं। द्रौपदी मुर्मू ने एक अध्यापिका के रूप में अपना व्यावसायिक जीवन आरम्भ किया। उसके बाद धीरे-धीरे राजनीति में आ गयीं। द्रौपदी मुर्मू उड़ीसा की आदिवासी महिला नेता हैं और झारखंड की गवर्नर रह चुकी हैं।

द्रौपदी मुर्मू की शिक्षा

द्रौपदी ने अपने गृह जिले से शुरुआती शिक्षा पूरी करने के बाद भुवनेश्वर के रामादेवी महिला महाविद्यालय से स्नातक की डिग्री हासिल की। पढ़ाई पूरी होने के बाद एक शिक्षक के तौर पर अपने करियर की शुरुआत की और कुछ समय तक इस क्षेत्र में काम किया। द्रौपदी मुर्मू का विवाह श्याम चरण मुर्मू से हुआ, जिससे उनके दो बेटे और एक बेटी हुई।

दुर्भाग्यवश दोनों बेटों और उनके पति तीनों की अलग-अलग समय पर अकाल मृत्यु हो गयी। उनकी पुत्री विवाहिता हैं और भुवनेश्वर में रहतीं हैं। बच्चों और पति का साथ छूटना द्रौपदी मुर्मू के लिए कठिन दौर था लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और समाज के लिए कुछ करने के लिए राजनीति में कदम रखा।

राजनीतिक करियर

द्रौपदी मुर्मू ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत ओडिशी से भाजपा के साथ ही की। भाजपा ज्वाइन करने के बाद उन्होंने 1997 में रायरंगपुर नगर पंचायत के पार्षद चुनाव में हिस्सा लिया और जीत दर्ज कराई। भाजपा ने मुर्मू को पार्टी के अनुसूचित जनजाति मोर्चा का उपाध्यक्ष बना दिया। इसके बाद ओडिशा में भाजपा और बीजू जनता दल की गठबंधन की सरकार में साल 2000 से 2002 कर वह वाणिज्य और परिवहन स्वतंत्र प्रभार मंत्री रहीं।

साल 2002 से 2004 तक मत्स्य पालन और पशु संसाधन विकास राज्य मंत्री के तौर पर काम किया। उन्होंने ओडिशा के रायगंज विधानसभा सीट से विधायकी का चुनाव भी जीता। बाद में साल 2015 से 2021 तक झारखंड की राज्यपाल भी नियुक्त हुईं। वह राज्य की पहली महिला गवर्नर बनीं। वहीं आज द्रौपदी मुर्मू ने देश के 15वें राष्ट्रपति के तौर पर शपथ ली हैं।


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