दिल्ली की अदालत ने कुतुब मीनार परिसर में देवी-देवताओं की पूजा की याचिका ठुकराई

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द लीडर | दिल्ली की एक अदालत ने अयोध्या भूमि विवाद मामले में फैसले का जिक्र करते हुए कुतुब मीनार परिसर में हिंदू और जैन देवी-देवताओं की मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा करने और पूजा के अधिकार के लिए एक दीवानी मुकदमा खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि वर्तमान और भविष्य में शांति भंग करने के लिए पिछली गलतियों को आधार नहीं बनाया जा सकता है।

दायर याचिका में क्या कहा गया 

जैन देवता तीर्थंकर भगवान ऋषभ देव और हिंदू देवता भगवान विष्णु की ओर से दायर मुकदमे में दावा किया गया कि मोहम्मद गोरी की सेना में जनरल रहे कुतुबुद्दीन ऐबक ने 27 मंदिरों को आंशिक रूप से ध्वस्त कर उनकी सामग्री का पुन: उपयोग करके परिसर के अंदर कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद का निर्माण कराया था।


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अदालत ने क्या कहा ?

यह वाद खारिज करते हुए दीवानी न्यायाधीश नेहा शर्मा ने कहा, ‘भारत का सांस्कृतिक रूप से समृद्ध इतिहास रहा है। इस पर कई राजवंशों का शासन रहा है। सुनवाई के दौरान वादी के वकील ने जोर देकर इसे राष्ट्रीय शर्म बताया। हालांकि, किसी ने भी इस बात से इनकार नहीं किया कि अतीत में गलतियां की गई थीं, लेकिन इस तरह की गलतियां हमारे वर्तमान और भविष्य की शांति को भंग करने का आधार नहीं हो सकती हैं।’

उन्होंने साल 2019 में सुप्रीम कोर्ट के अयोध्या फैसले का उल्लेख किया और अपने आदेश में इसके एक हिस्से पर प्रकाश डाला, जिसमें कहा गया था, ‘हम अपने इतिहास से परिचित हैं और राष्ट्र को इसका सामना करने की आवश्यकता है, स्वतंत्रता एक महत्वपूर्ण क्षण था। अतीत के घावों को भरने के लिए कानून को अपने हाथ में लेने वाले लोगों द्वारा ऐतिहासिक गलतियों का समाधान नहीं किया जा सकता है।’

याचिका में कहा गया है कि प्रमुख देवता तीर्थंकर भगवान ऋषभ देव और प्रमुख देवता भगवान विष्णु, भगवान गणेश, भगवान शिव, देवी गौरी, भगवान सूर्य, भगवान हनुमान सहित 27 मंदिरों के पीठासीन देवताओं की क्षेत्र में कथित मंदिर परिसर में पुन: प्राण प्रतिष्ठा करने और पूजा करने का अधिकार है।

दरअसल दिल्ली की साकेत कोर्ट में महरौली में कुतुब मीनार परिसर में स्थित कुव्वत उल-इस्लाम मस्जिद के अंदर हिंदू और जैन देवताओं के मंदिर के रूप में बहाली की मांग करने वाली याचिका दाखिल की गई थी। याचिका में कहा गया कि हिंदू देवता भगवान विष्णु, जैन देवता तीर्थंकर भगवान ऋषभ देव और अन्य की ओर से दायर मुकदमे में 27 हिंदू और जैन मंदिरों की बहाली की मांग की गई, जो कुतुब-उद-दीन-ऐबक के आदेश के तहत ध्वस्त, अपवित्र और क्षतिग्रस्त कर दी गई थी।


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