इस्तांबुल के फातिह जिले में हिरका-ए-सेरिफ़ मस्जिद में शुक्रवार को लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा, जब पैगंबर मुहम्मद की विरासत को दो साल बाद प्रदर्शित किया गया। खासतौर पर पैगंबर के उस लबादे को देखने के लिए, जिसे 1400 साल से हिफाजत से सहेजा हुआ है। (Sign Of The Prophet)
पैगंबर मुहम्मद के लबादे को मुस्लिम आस्थावान उवैस अल-क़रनी के वंशजों द्वारा सहेजा जाता है, जिन्हें पैगंबर ने यह तोहफे में दिया था। लबादे को “फिर से खोलने” का समारोह इस्तांबुल के गवर्नर अली येरलिकाया और फातिह के मेयर एरगुन तुरान की मौजूदगी में हुआ। उससे पहले कुरानख्वानी हुई और फिर लोगाें के लिए लबादा देखने को मंजूरी दे दी गई। कुछ ही देर में वहां भीड़ उमड़ आई और कई लोग भावुक हो गए।
धार्मिक कलाकृतियों को केवल रमजान के महीने के दौरान सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए रखा जाता है। महामारी फैलने के बाद तुर्की में इस तरह की गतिविधियों पर भी प्रतिबंध लग गया था। दो साल बाद प्रतिबंध हटे तो लोग काफी उत्सुक हो उठे, जब सुना कि पैगंबर का लबादा देखने का मौका मिलेगा। (Sign Of The Prophet)
यह मौका आया जुमा के दिन, जो मुसलमानों के लिए सप्ताह का सबसे मुबारक दिन माना जाता है। सामूहिक जुमे की नमाज़ से कुछ घंटे पहले कुछ आगंतुकों को मस्जिद के उस कमरे में जाने की मंजूरी दी गई, जहां शीशे के बॉक्स में लबादा रखा है। कुछ ही देर में अंदर जाने के लिए कतारें लग गई, जिनमें महिलाओं की भी बड़ी संख्या थी।
इस मशक्कत के बावजूद किसी ने कोई शिकायत नहीं की, क्योंकि साल में एक बार दिखने वाली यह विरासत देखने का मौका मिल रहा था। सब इसी बात से काफी खुश थे कि इस्लाम के सबसे पवित्र शख्स से जुड़ी कोई चीज देखने को मिल रही है। (Sign Of The Prophet)
कई तो लबादे को देखकर फूट-फूटकर रोने लगे और इस कदर जज्बाती हो गए कि जाने को भी तैयार नहीं थे।
लबादा देखने नौ साल के बेटे के साथ मस्जिद आईं लैयला कहरमन बोलीं, मैं कल रात सो नहीं सकी, क्योंकि मैं इस पल के लिए बहुत उत्साहित थी। मैं इसके लिए दो साल से इंतजार कर रही थी। उनका बेटा उमर फारुक बोला, मुझे बहुत अच्छा लगा, मैं पैगंबर से बहुत प्यार करता हूं।
पैगंबर का लबादा 29 अप्रैल तक, ईद से दो दिन पहले तक प्रदर्शित किया जाएगा।
Source: Daily Sabah