द लीडर : उत्तर प्रदेश में निराश्रित (आवारा) गौवंश को लेकर शिकायतें तो तमाम हैं. खासतौर से किसानों की तरफ से, क्योंकि ये उनकी फसलें उजाड़ देते हैं. तराई के किसानों के लिए ये एक बड़ी समस्या बनकर उभरी है. लेकिन लंबे समय बाद अब आकर इस समस्या का समाधान खोजा गया है. यूपी के ज़िला बरेली से एक अच्छी कोशिश शुरू होने जा रही है. डीएम मानवेंद्र सिंह ने किसान और गौवंश, दोनों की इस परेशानी को दूर करने की दिशा में क़दम उठाया है. एक ऐसा मॉडल तैयार किया, जिसे जानकर न सिर्फ आप खुश होंगे, बल्कि इससे जुड़ना भी चाहेंगे. (Bareilly DM Manvendra Singh)
डीएम ने निराश्रित गौवंश संरक्षण के लिए एक सोसायटी रजिस्टर्ड कराई है. कोई भी आम शख्स 11 हजार रुपये की सहयोगी राशि देकर इसकी सदस्यता हासिल कर सकता है. इसमें एक कारप्स फंड भी बनाया है, जिसका मूलधन कभी निकाला नहीं जाएगा. बल्कि उससे मिलने वाला ब्याज गौवंश की सेवा पर खर्च होगा. पहले चरण में करीब 15 से 20 हजार गौवंश को संरक्षित करने की योजना है.
बरेली के सभी 15 ब्लॉकों में करीब 82 हेक्टेयर जमीन चिन्हित की गई है. शनिवार को सभी ब्लॉकों में 31 स्थानों पर गौवंश आश्रय स्थल का भूमि पूजन किया जाएगा. (Bareilly DM Manvendra Singh)
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तीन महीने के अंदर हर आश्रय स्थल में कम से कम 500 से 1000 हजार तक गौवंश संरक्षित किए जाएंगे. डीएम की योजना है कि अगले छह महीने के अंदर जिले के जितने भी निराश्रित गौवंश हैं, उन्हें आश्रय दिला दिया जाएगा. इसके बाद भी अगर गौवंश बचते हैं तो उन्हें दूसरे चरण में संरक्षित करने की मुहिम चलेगी.
गौवंश संरक्षण के इस मॉडल के अंतर्गत हर ग्राम पंचायत स्तर पर रोटी और भूसा बैंक बनाया जाना शामिल है. यानी ग्रामीणों के सहयोग से ही ये आश्रय स्थल चलेंगे. हर किसान से एक कुंतल भूसा लिया जाएगा. (Bareilly DM Manvendra Singh)
डीएम ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि अकेले पशुपालन विभाग के बूते तो निराश्रित गौवंश का संरक्षण संभव नहीं है. इसके लिए पूरी व्यवस्था और जनसहयोग की जरूरत होगी. पशुओं के इलाज के लिए हर आश्रय स्थल पर एक पशु चिकित्सक की जिम्मेदारी रहेगी.
इस मॉडल को तैयार करने के दौरान ही डीएम ग्राम प्रधानों से संवाद कर चुके हैं. प्रधानों की तरफ से पूरा भरोसा मिला है कि वे इस मुहिम में जुड़ेंगे. इसके बाद ही इसे धरातल पर उतारने की कवायद शुरू हुई है. (Bareilly DM Manvendra Singh)