द लीडर : लड़के और लड़कियों को अलग-अलग पढ़ाई करनी चाहिए. जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी के, को-एजुकेशन (सह-शिक्षा) को लेकर दिए इस बयान पर विवाद खड़ा हो गया है. केंद्रीय अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी और यूपी के मंत्री मोहसिन रजा ने मदनी के बयान पर पलटवार किया. नकवी ने कहा-देश संविधान से चलता है. शरीयत से नहीं. (Co-Education Maulana Arshad Madani)
जमीयत की कार्यसमिति की मीटिंग में मदनी ने ये राय जाहिर की थी. उन्होंने कहा था कि, अनैतिक आचरण से बचाव के लिए ये जरूरी है कि सह-शिक्षा से बचा जाए. गैर-मुस्लिम लोगों को भी बेटियों को-एजुकेशन देने से बचना चाहिए.
हाल ही में जमीयत ने लव-जिहाद के बढ़ते आरोपों को लेकर समाज को ये संदेश दिया था कि वह अपने बच्चों को इसके खतरों से आगाह करें. लेकिन को-एजुकेशन पर उनका बयान ऐसे समय आया है. जब अफगानिस्तान में तालिबान ने महिलाओं को विश्वविद्यालयों में पढ़ने का हक तो दिया है. लेकिन को-एजुकेशन पर बंदिश लगा दी है.
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यही वजह है कि मदनी का बयान आलोचना का सबब बना है. अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा-देश संविधान से चलता है. शरीयत से नहीं. जो शरीयत का डंडा चलाकर संविधान की मूल भावना पर हमला करने की कोशिश करते हैं. वे कामयाब नहीं होंगे. ऐसी सोच देश को मंजूर नहीं है.
वहीं, यूपी सरकार में मंत्री मोहसिन रजा ने मदनी के बयान पर कहा है कि, ये वही लोग हैं, जो महिलाओं को तीीन तलाक की बेड़ियों में जकड़े रखना चाहते हैं. इनके बयान से साफ है कि ऐसी सोच के लोगों को पिछली सरकारों में संरक्षण हासिल रहा है. हम ऐसे लोगों को समर्थन और संरक्षण नहीं देंगे. (Co-Education Maulana Arshad Madani)
मुख्तार अब्बास नकवी और मोसहिन रजा, दोनों ने मदनी के बयान को राजनीतिक संदर्भ में रखकर आलोचना की है. हालांकि को-एजुकेशन को लेकर सबके अलग-अलग मत हैं. देश में भी तमाम ऐसे संस्थान हैं, जहां को-एजुकेशन नहीं है. मसलन, या तो सिर्फ लड़कियों के लिए ही आरक्षित हैं या लड़कों के लिए ही.