Bihar : हिना शहाब को राज्यसभा न भेजने से नाराज़ समर्थकों की आरजेडी से बग़ावत

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MP Shahabuddin Hina Shahab
हिना शहाब, मरहूम डॉ. शहाबुद्​दीन. फाइल फोटो

द लीडर : आज़म ख़ान को लेकर जैसा शोर उत्तर प्रदेश में है-बिहार में भी कुछ वैसी ही आवाज़ें गूंज रही हैं. तीन दशक तक सिवान की सियासत के बेताज बादशाह रहे पूर्व सांसद मरहूम डॉ. शहाबुद्​दीन की बीवी हिना शहाब को राज्यसभा न भेजने से गुस्साए समर्थक राष्ट्रीय जनता दल (RJD)से बग़ावत पर उतर आए हैं. सिवान से लेकर पटना तक इस विरोध की तपिश दिखाई दे रही है. (MP Shahabuddin Hina Shahab)

RJD ने लालू प्रसाद यादव की बेटी डॉ. मीसा भारती और डॉ. फैयाज अहमद का नाम राज्यसभा के लिए फाइनल किया. लालू यादव, तेजस्वी और तेज प्रताप की मौजूदगी में दोनों प्रत्याशियों ने नामांकन कराया है. चूंकि डॉ. शहाबुद्​दीन के समर्थक हिना शहाब को राज्यसभा भेजने की मांग कर रहे थे. लेकिन शहाबुद्​दीन की गैरमौजूदगी में ऐसा नहीं हो सका. तो उनमें उबाल है.

डॉ. फैयाज कौन हैं और RJD में उनकी भूमिका क्या है. पहले ये जान लेते हैं. 59 साल के डॉ. फैयाज शिक्षाविद हैं. मधुवनी में मेडिकल कॉलेज है, बीएड और कई दूसरे कॉलेजों के संचालक. फैयाज एक वक़्त में नितीश कुमार की जेडीयू के नेता हुआ करते थे. जेडीयू के टिकट पर 2005 का विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए. बाद में आरजेडी में शामिल हो गए. 2010 और 2015 में आरजेडी से मधुवनी की बिस्फी सीट से दो बार विधायक बने. 2020 का चुनाव हार गए, तो अब पार्टी ने उन्हें राज्यसभा भेजने का फ़ैसला किया है. डॉ. फैयाज के समर्थक उन्हें राज्यसभा भेजने के फ़ैसले से खुश हैं. (MP Shahabuddin Hina Shahab)


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अब बात करते हैं डॉ. शहाबुद्​दीन की. लालू यादव से उनकी नज़दीकी और वफ़ादारी जग-ज़ाहिर है. पिछले साल 1 मई को 2021 को तिहाड़ जेल में रहते कोरोना संक्रमण से उनकी मौत हो गई थी. उनकी बॉडी सिवान लाने की हरचंद कोशिश हुई लेकिन कोविड प्रोटोकॉल के चलते उन्हें दिल्ली के क़ब्रिस्तान में दफ़न कर दिया गया.

डॉ. शहाबुद्​दीन के कई पहलू हैं. वह एक राजनेता थे. 1990 में महज 23 साल की उम्र में सिवान की जीरादेई विधानसभा से जेल में रहकर निर्दलीय पहला चुनाव जीता और विधायक बने. सिवान से चार बार सांसद और दो बार विधायक रहे. लेकिन 53 साल की ज़िदंगी में डॉ. शहाबुद्​दीन की दूसरी पहचान बाहुबली, माफिया और एक डॉन की भी है. (MP Shahabuddin Hina Shahab)

एक रिपोर्ट के मुताबिक उन पर क़रीब 56 मुक़दमे दर्ज थे. जिनमें कई जघन्य मामले हैं. जिनकी वजह से शहाबुद्​दीन ने ज़िंदगी के 18 साल जेल में गुजारे और आख़िर में जेल से ही फना हो गए. जेल के अलावा ज़िला बदर और दूसरी कार्यवाहियों के चलते वह 13 साल सिवान से बाहर रहे. यानी जब वह जेल में नहीं होते, तो सिवान से बाहर रहना पड़ता.

शहाबुद्​दीन पाॅलिटिकल साइंस में पीएचडी हैं. छात्र नेता रहे. राजनीति चुनना हो या उसकी पढ़ाई करना-ये सियासत में उनकी दिलचस्पी जताता है. लेकिन राजनीति के साथ अपराध भी उनकी ज़िंदगी से ऐसे जुड़ा, जो आख़िरी सांस तक ख़त्म नहीं हुआ. सिवान में किसी के लिए वह मसीहा और फरिश्ता थे तो किसी के लिए खलनायक. उन पर नेताओं से लेकर व्यापारियों तक, कईयों के क़त्ल के इल्ज़ाम थे. राजनीति और अपराध के इस गठजोड़ में दुआ और बद्​दुआ बराबर साथ रहीं.

रघुनाथपुर से आरजेडी के विधायक हरिशंकर यादव ने हिना शबाह को राज्यसभा उम्मीदवार न बनाए जाने पर कहा कि इसका असर पूरे बिहार पर पड़ेगा. और चुनाव में आरजेडी को नुकसान होगा. हरिशंकर यादव वही हैं, जो शहाबुद्​दीन को भगवान की तरह मानते थे. उन्होंने कहा कि हिना शहाब जहां रहेंगी हम उनके साथ रहेंगे. हरिशंकर की तरफ शहाबुद्​दीन के ऐसे कई वफ़ादार हैं, जो उनके परिवार के साथ खड़े हैं. (MP Shahabuddin Hina Shahab)

डॉ. शहाबुद्​दीन और हिना शहाब के तीन बच्चे हैं. दो बेटियां और एक बेटा. हिना शहाब जब ग्रैजुएशन कर रही थीं, तभी शहाबुद्​दीन के साथ उनकी शादी हो गई थी. शहाबुद्​दीन के पास सब कुछ था, दौलत, शोहरत, ताक़त. लेकिन मुश्किलें भी कम नहीं. और ऐसे वक़्त में हिना शहाब अपने शौहर के साथ डटकर खड़ी रहीं.


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यही वजह है कि अब जब राज्यसभा के लिए उम्मीदवारों की चयन प्रक्रिया शुरू हुई तो उनके समर्थकों ने हिना शहाब के नाम की मांग उठाई. लेकिन आरजेडी, जो शहाबुद्​दीन के जेल में रहने के दौरान और कोरोना के वक़्त नज़रंदाज किए जाने के आरोपों का सामना कर रही है. उसने हिना शहाब को नज़रंदाज करके, उनके समर्थकों को आक्रोशित होने की एक और वजह दे दी. (MP Shahabuddin Hina Shahab)

दरअसल, यूपी और बिहार की राजनीति काफी हद तक एक जैसी है. दोनों राज्यों में समाजवाद की राजनीति करने वाले दल हैं. बिहार में आरजेडी और यूपी में समाजवादी पार्टी. जिनकी राजनीति मुस्लिम और यादव समीकरण पर घूमती रही है. और अब वे अपनी पॉलिटिक्स को ट्विस्ट दे रहे हैं. तो इन पार्टियों की बुनियाद से जुड़े मुस्लिम नेता, अलग-थलग किए जा रहे हैं या खुद में ऐसा महसूस कर रहे हैं. आज़म ख़ान भी उनमें से एक हैं.

आज़म ख़ान जोकि यूपी के सबसे वरिष्ठ विधायक हैं. सपा पर आज़म को नज़रंदाज करने का आरोप है. वह हाल में 27 महीनों की जेल काटकर ज़मानत पर बाहर आए हैं. आज़म ख़ान का क़िरदार डॉ. शहाबुद्​दीन की तुलना में एकदम जुदा है. आज़म ख़ुद को सियासत का बेदाग़ बादशाह कहा करते हैं-जोकि वह हैं भी. अपराध की दुनिया से उनका दूर-दूर तक कोई नाता नहीं. लेकिन यूपी चुनाव के वक़्त वह माफिया की लिस्ट में टॉप पर थे. (MP Shahabuddin Hina Shahab)

और समाजवादी पार्टी, संविधान-समाजवाद के बड़े पैरोकार अपने नेता की छवि को माफिया के तौर पर भुनाने की अपनी प्रतिद्वंद्वी की काट तक नहीं ढूंढ पाई. 27 महीने जेल में रहे अखिलेश यादव या मुलायम सिंह ने एक बार भी मुलाकात करना मुनासिब नहीं समझा. इसलिए आज़म ख़ान के समर्थक भी उनसे समाजवादी पार्टी छोड़ने की चाहत रखते हैं. लेकिन आज़म ख़ान हों या हिना शहाब. क्या इनके पास समाजवादी पार्टी या आरजेडी से अलग होने का कोई विकल्प है? बिहार हो या यूपी-क्या मुस्लिम समाज इन नेताओं के साथ खड़ा होगा? पूरे देश की राजनीति बदल गई और मुस्लिम समाज के सामने ऐसे सवाल हैं.


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