‘भूखों की रोटी हड़प ली गई है’: बर्तोल्‍त ब्रेख्‍त की 10 कविताएं

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– जन्मदिन-

यूजेन बर्तोल्‍त फ्रेडरिक ब्रेख्त  का जन्म 10 फरवरी 1898 में जर्मनी के ऑग्सबर्ग में हुआ था। ब्रेख्त के जीवन में सबसे महत्वपूर्ण महिला वियना में जन्मी अभिनेत्री हेलेन वीगेल थीं, जो मार्क्सवादी थीं। (Poems By Bertolt Brecht)

ब्रेख्त ने अपनी रचनाओं के लिए जो विचाधारा चुनी वे उसके साथ आजीवन जुड़े रहे। उन्होंने नाटकों द्वारा मार्क्सवादी विचारधारा का प्रचार प्रसार करने के लिए ‘एपिक थियेटर’ नाम से नाट्य मंडली का गठन किया। हिंदी में एपिक थियेटर को लोक नाटक के रूप में जाना जाता है। ब्रेख्त ने पारंपरिक अरस्तू के नाट्य सिद्धांतों से जुदा मौलिक नाट्य सिद्धांत रचे। (Poems By Bertolt Brecht)


1. भूखों की रोटी हड़प ली गई है

भूखों की रोटी हड़प ली गई है
भूल चुका है आदमी मांस की शिनाख्त
व्यर्थ ही भुला दिया गया है जनता का पसीना।
जय पत्रों के कुंज हो चुके हैं साफ।
गोला बारूद के कारखानों की चिमनियों से
उठता है धुआं।

(1933-47)


2. लड़ाई का कारोबार

एक घाटी पाट दी गयी है
और बना दी गयी है एक खाई।

(1933-47)


3. आने वाले महान समय की रंगीन कहावत

जंगल पनपेंगे फिर भी
किसान पैदा करेंगे फिर भी
मौजूद रहेंगे शहर फिर भी
आदमी लेंगे सांस फिर भी।

(1933-47)


4. युद्ध जो आ रहा है

युद्ध जो आ रहा है
पहला युद्ध नहीं है।
इसे पहले भी युद्ध हुए थे।
पिछला युद्ध जब खत्म हुआ
तब कुछ विजेता बने और कुछ विजित-
विजितों के बीच आम आदमी भूखों मरा
विजेताओं के बीच भी मरा वह भूखा ही।

(1936-38)


5. दीवार पर खड़िया से लिखा था

दीवार पर खड़िया से लिखा था:
वे युद्ध चाहते हैं
जिस आदमी ने यह लिखा था
पहले ही धराशायी हो चुका है।

(1936-38)


6. ऊपर बैठने वालों का कहना है

ऊपर बैठने वालों का कहना है
यह महानता का रास्ता है
जो नीचे धंसे हैं, उनका कहना हैः
यह रास्ता कब्र का है। (Poems By Bertolt Brecht)

(1936-38)


7. नेता जब शान्ति की बात करते हैं

नेता जब शान्ति की बात करते हैं
आम आदमी जानता है
कि युद्ध सन्निकट है
नेता जब युद्ध का कोसते हैं
मोर्चे पर जाने का आदेश
हो चुका होता है

(1936-38)


8. जब कूच हो रहा होता है

जब कूच हो रहा होता है
बहुतेरे लोग नहीं जानते
कि दुश्मन उनकी ही खोपड़ी पर
कूच कर रहा है
वह आवाज जो उन्हें हुक्म देती है
उन्हीं के दुश्मन की आवाज होती है
और वह आदमी जो दुश्मन के बारे में बकता है
खुद दुश्मन होता है।

(1936-38)


9. वे जो शिखर पर बैठे हैं, कहते हैं:

वे जो शिखर पर बैठे हैं, कहते हैं:
शान्ति और युद्ध के सार तत्व अलग-अलग हैं
लेकिन उनकी शान्ति और उनका युद्ध
हवा और तूफान की तरह हैं
युद्ध उपजता है उनकी शान्ति से
जैसे मां की कोख से पुत्र
मां की डरावनी शक्ल की याद दिलाता हुआ
उनका युद्ध खत्म कर डालता है
जो कुछ उनकी शान्ति ने रख छोड़ा था।


10. एम. (मायकोवस्की) के लिए समाधिलेख

शार्क मछलियों को मैंने चकमा दिया
शेरों को मैंने छकाया
मुझे जिन्होंने हड़प लिया
वे खटमल थे। (Poems By Bertolt Brecht)

(मूल जर्मन से अनुवाद: मोहन थपलियाल)


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