उत्तराखंड में चुनाव से पहले ‘मुस्लिम विवि’ का मुद्दा बना सुर्खियां, हरीश रावत क्यों हैं BJP के निशाने पर ?

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द लीडर। उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड समेत पांच राज्यों में चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे है। वैसे-वैसे नेताओं की दिलों की धड़कने तेज होने लगी है। वहीं सभी नेता बड़े-बड़े वादे कर जनता को लुभाने में लगे है। इसके साथ ही एक दूसरे पार्टियों पर भी निशाना साध रहे है। उत्तर प्रदेश चुनाव में सपा और भाजपा की कड़ी टक्कर देखने को मिल रही है। वहीं उत्तराखंड में भाजपा और कांग्रेस आमने सामने हैं। लेकिन ठीक चुनाव से पहले मुस्लिम विश्वविद्यालय का मुद्दा उठ रहा है।

बीते विधानसभा चुनाव में भाजपा जुमे की नमाज पर छुट्टी सम्बन्धी हरीश रावत सरकार के एक आदेश को जोर शोर से उछालकर मतों का ध्रुवीकरण करने में पूरी तरह सफल रही थी। इन चुनावों में अन्य मुद्दों की तरह जुमे की नमाज भी एक बड़ा चुनावी मुद्दा बन कर उभरा था। 2017 के ही विधानसभा चुनावों में पीएम मोदी ने यूपी में शमशान घाट बनाम कब्रिस्तान की बात कह चुनाव को एकतरफा मोड़ दे दिया था।


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कुछ कुछ ऐसी ही तस्वीर फिर से बनती दिख रही है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के दून दौरे के दिन एक नया पॉलिटिकल ड्रामा शुरू हुआ। दरअसल, कांग्रेस के एक पदाधिकारी आकिल अहमद ने कहा कि, कांग्रेस नेताओं के मुस्लिम यूनिवर्सिटी बनाने के आश्वासन के बाद ही उन्होंने सहसपुर विधानसभा से चुनाव लड़ने का इरादा त्याग दिया। इस सीट पर कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशी आर्येन्द्र शर्मा चुनाव लड़ रहे हैं।

आकिल अहमद का वीडियो बयान वॉयरल हो गया। बाद में आकिल ने अपने बयान का खंडन करते हुए कहा कि, उन्होंने मुस्लिम विवि की मांग रखी थी लेकिन नेतृत्व ने मेरी मांग नहीं मानी। कांग्रेस पदाधिकारी आकिल अहमद ने अपनी यह मांग हरीश रावत, मोहन प्रकाश और देवेंद्र यादव के सामने कब रखी, यह भी साफ नहीं हो पाया।

मुस्लिम विवि का मुद्दा मीडिया की सुर्खियां बना

अलबत्ता दो फरवरी को जारी कांग्रेस के घोषणा पत्र में मुस्लिम विवि बनाने की कोई वादा नहीं किया गया है। फिर भी यह मुद्दा मीडिया की सुर्खियां बना। 2017 में भाजपा ने जुमे की नमाज पर छुट्टी को प्रमुख चुनावी हथियार बना डाला था। उस वक्त हरीश रावत ने कहा था कि, अगर भाजपा वो आदेश दिखा दे तो वे राजनीति से संन्यास ले लेंगे। अब 6 साल बाद वहीं आदेश नये सिरे से सार्वजनिक हो गया। लिहाजा, मुस्लिम विवि पर कांग्रेस पर अटैक कर रही भाजपा हरीश रावत से कह रही है, कि वे राजनीति से संन्यास लीजिये।

भाजपा अपनी विफलता को छुपाने के लिए उठा रही ये मुद्दा

इस राजनीतिक घटनाक्रम के बाद देवभूमि में मुस्लिम विवि व नमाज पर अल्पवकाश का मुद्दा एक बार फिर चुनावी हथकंडा बनता नजर आ रहा है। कांग्रेस प्रभारी देवेंद्र यादव का आरोप है कि, भाजपा अपनी विफलता को छुपाने के लिए जिस मुस्लिम विवि की बात उठा रही है वो उनके घोषणा पत्र का हिस्सा ही नहीं है।

पूर्व सीएम हरीश रावत का कहना है कि, मुस्लिम विवि की किसी एक व्यक्ति के दिमाग की कोरी कल्पना होगी। पार्टी का कोई लेना देना नहीं है। कांग्रेस ने घोषणा पत्र में संस्कृत विवि की वकालत की है। लेकिन भाजपा संस्कृत विवि पर कुछ नहीं कहेगी।


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उधर, प्रदेश प्रवक्ता सुरेश जोशी ने कहा कि, नमाज को लेकर अवकाश का शासनादेश सामने आने के बाद अब हरीश रावत को राजनीति से संन्यास ले लेना चाहिए। उन्होने कहा कि ,कांग्रेस एक खास वर्ग को खुश करने के लिए नमाज पर अवकाश घोषित करते हैं और जब सत्ता से बाहर रहते हैं तो मुस्लिम यूनिवर्सिटी खोलने का वादा करते हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस बंद कमरों में मुस्लिम यूनिवर्सिटी खोलने और नमाज पर ऑफिस बंद करने के वादे करती है लेकिन विरोध होने पर सार्वजनिक मंचों पर मुकरने लगती है।

फिर अहमद ने किया रावत का बचाव

आरोपों और बयानों के बीच जब यह विवाद उछला, तो अहमद की तरफ से एक बयान और मीडिया में आया, ‘उत्तराखंड में मुसलमान अगर 18 फीसदी हैं, तो यहां मुस्लिम यूनिवर्सिटी क्यों नहीं हो सकती? मैंने हरीश रावत नहीं, बल्कि मोहन प्रकाश से बात की थी।’ अहमद ने अपने बयान को इस तरह बदला तो खबरों में कांग्रेस प्रदेश महासचिव मथुरादत्त जोशी ने साफ किया ‘इस तरह की मांग आई है, जिस पर कांग्रेस ने अभी कोई फैसला नहीं किया है। बीजेपी राजनीतिक फायदे के लिए इसे बेवजह मुद्दा बना रही है।’

हरीश रावत टारगेट क्यों?

इस पूरे मामले में भाजपा हरीश रावत की इमेज को टारगेट करने की लगातार कोशिश सोशल मीडिया पर कर रही है। एक तो अहमद के बयान में उनका नाम आया, दूसरा बड़ा कारण यह भी है कि हरीश रावत की बेटी अनुपमा रावत हरिद्वार ग्रामीण से प्रत्याशी हैं, जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या अच्छी खासी है इसलिए कांग्रेस को इस मामले में घेरा जा रहा है कि वह यहां मुस्लिमों को पक्ष में करने के लिए इस तरह की सियासत कर रही है।

बहरहाल, महंगाई और भ्रष्टाचार समेत अन्य मुद्दों पर भाजपा को घेर रही कांग्रेस तुष्टिकरण के वार झेल रही है। अब भाजपा की हरचंद कोशिश मुस्लिम विवि के मुद्दे को जिंदा रख हिन्दू मतों के ध्रुवीकरण की रहेगी। यही नहीं, भाजपा 2017 के चुनाव में लगे नमाज पर छुट्टी के तड़के को 2022 में भी लगाने की तैयारी में भी शिद्दत से जुट गई है।


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