द लीडर : रमज़ान के तीसरे जुमे को दरगाह आला हज़रत की मस्जिद में सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन रज़ा क़ादरी (अहसन मियां) ने मुसलमानों से अपील करते हुए कहा कि जिन मुसलमानों पर सदका-ए-फ़ित्र वाजिब और ज़कात फ़र्ज़ है. वो इसकी रकम जल्द से जल्द गरीबों तक पहुँचा दें. ताकि वह भी ईद की खुशियों में शामिल हो सकें. (Bareilly Dargah Ala Hazrat)
अल्लाह ने सभी शरई मालदार मुसलमानों पर सदक़ा ए फित्र वाजिब और ज़कात को फ़र्ज़ किया है. सदक़ा-ए-फ़ित्र अपनी और अपने नाबालिग औलाद कि तरफ से भी निकालें. इसके लिए रोज़ा रखना शर्त नहीं. रोज़ा बीमारी, सफर या किसी अन्य वजह से न रख सके, तब भी यह वाजिब है.
ईद की नमाज़ से पहले जो इसके शरई हक़दार हैं, उन तक ये रकम पहुँचा दें. ज़कात को लेकर कहा कि मुसलमानो पर अल्लाह ने फ़र्ज़ की है. वहीं सदका-ए-फ़ित्र वाजिब है. अमूमन लोग सदका-ए-फ़ित्र को ज़कात समझ लेते हैं. जबकि ये दोनों अलग अलग हैं. सदक़ा-ए-फ़ित्र 2 किलो 47 ग्राम गेहूं या 4 किलो 94 ग्राम जौ, खजूर और मुनक्का या इसका बाजार मूल्य ग़रीब, बेवा, बेसहारा, यतीमों या मदरसों के तल्बा को अदा करना होता है. (Bareilly Dargah Ala Hazrat)
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गेहूँ और जौ के दानों से अफ़ज़ल है उनका आटा देना और उससे अफ़ज़ल ये है की उसकी कीमत अदा कर दें. इस वक़्त बरेली में अच्छी क्वालिटी के 2 किलो 47 ग्राम आटे की कीमत लगभग 56-57 रुपए है, इसे बढ़ाकर देना अफ़ज़ल है.
लेकिन कम नहीं होनी चाहिए. बरेली में इसकी कीमत 60 रुपए तय की गई है. तय वज़न से कम अनाज या रकम दी तो सदका-ए-फ़ित्र अदा न होगा. देश के बाकी शहरों के लोग अपने यहां गेहूँ, जौ, खजूर या मुनक्क़ा के वजन की कीमत मालूम कर अपनी हैसियत के मुताबिक अदा करें. (Bareilly Dargah Ala Hazrat)