बाराबंकी : प्रशासन ने 100 साल पुरानी मस्जिद ढहाई, दरगाहों से लेकर पर्सनल लॉ और सुन्नी वक्फ बोर्ड ने उठाई कार्रवाई की मांग

द लीडर : उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में करीब सौ साल पुरानी गरीब नवाज मस्जिद ढहाए जाने का मामला सामने आया है. मुस्लिम धर्मगुरु, दरगाह-खानकाह से लेकर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और सुन्नी वक्फ बोर्ड ने एक सिरे से घटना की निंदा करते हुए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग उठाई है.

बाराबंकी एक तहसील है रामसनेही घाट. यहीं गरीब नवाज मस्जिद आबाद थी. और मस्जिद भूमि से जुड़ा मामला हाईकोर्ट के समक्ष है. आरोप है कि इसके बावजूद प्रशासन ने पुलिस अभिरक्षा में कार्रवाई करके मस्जिद ध्वस्त करा दी. मीडिया रिपोर्ट्स में स्थानीय अधिकारियों के हवाले से मस्जिद ढहाने की पुष्टि की गई है.

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने प्रशासन के इस कदम की निंदा करते हुए संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की आवाज उठाई है. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के कार्यवाहक महासचिव खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने कहा कि सरकार को इस मामले की हाईकोर्ट के न्यायाधीश से जांच कराकर जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि ये अवैध कार्रवाई करने वालों को निंलबित भी किया जाए. वहीं, सुन्नी वक्फ बोर्ड अध्यक्ष जुफर अहमद फारूकी ने भी एक बयान में मस्जिद ढहाए जाने की कार्रवाई की मजम्मत करते हुए कहा कि मस्जिद दोबारा तामीर कराए जाने और दोषियों पर कार्रवाई के लिए न्यायालय का रुख किया जाएगा.


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एनबीटी की एक रिपोर्ट के मुताबिक वक्फ बोर्ड ने प्रशासन की कार्रवाई को गलत करार देते हुए इसे शक्तियों का दुरुपयोग भी बताया है. इसमें कहा है कि स्थानीय प्रशासन के अधिकारियों ने गैर जिम्मेदारी से कार्रवाई करके मस्जिद ढहाई है. जो निंदनीय है.

मंगलवार को इस घटना को लेकर दरगाहों से भी निंदा करते हुए मस्जिद दोबारा तामीर कराए जाने की मांग उठी है. दरगाह ताजुश्शरिया से जुड़े संगठन जमात रजा-ए-मुस्तफा के उपाध्यक्ष सलमान हसन खां ने घटना की निंदा करते हुए कहा कि ये जानबूझकर प्रशासन ने ये हरकत की है. हम शासन से मांग करते हैं कि पूरे मामले की जांच कराकर कार्रवाई की जाए. ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों.

सलमान हसन ने बाराबंकी के शहर काजी अब्दुल मुस्तफा हशमती से भी पूरे मामले की जानकारी ली है. जिसमें उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट ने प्रशासन को इस मामले में रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया था. जिसकी अवहेलना करते हुए जानबूझकर मस्जिद गिरा दी गई.


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सलमान हसन के मुताबिक इस मामले को लेकर अपर मुख्य सचिव अरविंद कुमार ने शहर काजी अब्दुल मुस्तफा, कारी साबिर अली से मुलाकात की है. और जिलाधिकारी से घटनाक्रम की रिपोर्ट मांगी है. शहर काजी की ओर से उलमा का एक प्रतिनिधि मंडल हाईकोर्ट जाने की तैयारी कर रहा है.

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