द लीडर : प्रोफेसर प्रताप भानू मेहता और अर्थशास्त्री अरिवंद्र सुब्रमण्यम के इस्तीफे पर दुख जताते हुए अशोका यूनिवर्सिटी ने ये स्वीकार किया है कि हमारी संस्थागत प्रक्रियाओं में कुछ खामी हुई है. जिन्हें सभी हितधारकों से सलाह-मशविरा करके सुधारेंगे. हम अशोका विश्वविद्यालय की अकादमिक स्वायत्ता और स्वतंत्रा के मूल विचार को लेकर दृढ़संकल्पित हैं. (Ashoka University Admitted Default Pratap Bhanu Mehta Arvind Subramanian Resignation)
हरियाणा के सोनीपत स्थित यूनिवर्सिटी ने एक संयुक्त बयान में ये कहा है, जाे चांसलर रुद्रांग्शु मुखर्जी, वाइस चांलसर मलाबिका सरकार, पूर्व वीसी प्रताप भानू मेहता, प्रोफेसर अरविंद सुब्रमण्यम और बोर्ड ऑफ ट्रस्टी के चेयरमैन अशोक धवन के हवाले से जारी किया गया है. ये पत्र विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर उपलब्ध है.
Joint Statement – Issued by Chancellor Rudrangshu Mukherjee, Vice-Chancellor Malabika Sarkar, Former Vice-Chancellor and Professor Pratap Bhanu Mehta, Professor Arvind Subramanian and Chairman of the Board of Trustees Ashish Dhawan.https://t.co/i8NHEnKVuR
— Ashoka University (@AshokaUniv) March 21, 2021
पिछले दिनों प्रोफेसर व राजनीतिक विश्लेषक प्रताप भानू मेहता ने यूनिवर्सिटी से इस्तीफा दे दिया था. इसके विरोध में देश के पूर्व आर्थिक सलाहकार रहे और जाने-माने अर्थशास्त्री अरविंद सुब्रमण्यम ने भी यूनिवर्सिटी से त्यागपत्र दे दिया था. इन दो मशहूर शिक्षाविद्ध और बुद्धिजीवियों के इस्तीफे के बाद छात्र कैंपस में धरने पर बैठ गए थे, और दोनों फैकल्टी की वापसी की मांग उठाई थी.
देश में शायद ये पहला मौका रहा है, जब किसी संस्थान के दो शिक्षाविदों के इस्तीफे का मामला भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर में छा गया. और भारतीय शैक्षिक संस्थानों की अकादमिक स्वायत्ता, स्वतंत्रा और अभिव्यक्ति को लेकर बहस शुरू हो गई. इसी को लेकर अब विश्वविद्यालय का बयान सामने आया है.
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जिसमें अरविंद सुब्रमण्यम और भानू प्रताप मेहता की काबिलियत का जिक्र करते हुए कहा कि ”दोनों लोगों का आज भी ये भरोसा है कि यह अशोका विश्वविद्यालय देश की उच्च शिक्षा के क्षेत्र की सबसे महत्वपूर्ण परियोजनाओं में से एक है. जिसे बरकरार रखना हमारी प्रतिबद्धता है.”
बयान में कहा गया है कि ”अशोका को पहले कुलपति के रूप में भानू प्रताप मेहता का बेहतरीन मार्गदर्शन मिला. सुब्रमण्यम ने संस्थान को प्रतिष्ठा दिलाई. नये विचार और ऊर्जा प्रदान की. उन दोनों के जाने से कैंपस में एक खालीपन सा आ गया है, जिसे भरना मुश्किल होगा.”
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इन दो इस्तीफों को लेकर आरबीआइ के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन की भी प्रतिक्रिया सामने आई है. उनहोंने कहा कि ”अभिव्यक्ति की आजादी किसी भी विश्वविद्यालय की आत्मा होती है. और इस पर हमला उसकी आत्मा को चोट पहुंचाना है. उन्होंने कहा था कि क्या अशोका के संस्थापकों ने परेशान आलोचकों से छुटकारा पाने के बाहरी दबाव के आगे घुटने टेक दिए हैं?”