कोरोना के खात्मे का नया हथियार, ‘एंटीबॉडी कॉकटेल’ 70 फीसदी तक करती है असर

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कोलकाता। कोरोना के खात्मे के लिए अब एक और हथियार मिल गया है. कोरोना को मात देने में कारगर ‘मोनोक्लोनल एंटीबॉडी’ यानी ‘एंटीबॉडी कॉकटेल’ ड्रग्स का भारत में इस्तेमाल शुरू हो गया है.

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70 फीसदी तक कारगर है यह दवा

स्विट्जरलैंड की ड्रग कंपनी रोशे और सिप्ला ने इसे भारत में लांच किया है. इस मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कॉकटेल को लेकर दावा है कि, कोरोना मरीजों पर यह दवा 70 फीसदी तक कारगर है.

इन अस्पतालों में किया जा रहा दवा का प्रयोग

यह दवा लेने के बाद मरीज के अस्पताल में भर्ती होने की संभावना कम हो जाती है. अब इस दवा का प्रयोग कोलकाता में भी किया जा रहा है. महानगर के सीएमआरआइ, बेलव्यू और अपोलो अस्पताल में इस दवा का प्रयोग किया जा रहा है.

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दवा लेने के बाद सभी मरीज स्वस्थ

जानकारी के अनुसार, सीएमआरआइ के चार और बेलव्यू क्लिनिक में एक मरीज पर इस दवा का प्रयोग किया गया है. सभी मरीज फिलहाल स्वस्थ हैं और अपने घर में ही हैं.

क्या है ‘एंटीबॉडी कॉकटेल’ ?

सीएमआरआइ अस्पताल के पल्मोलॉजिस्ट डॉ राजा धर ने बताया कि, ‘एंटीबॉडी कॉकटेल’ दो दवाइयों का मिश्रण है, जो कोरोना से लड़ने में किसी मरीज की शक्ति को बढ़ाता है. इसमें कासिरिविमाब और इम्देवीमाब दवा शामिल हैं.

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मानव कोशिकाओं में वायरस को जाने से रोकती है दवा

इन दोनों दवाओं के 600-600 एमजी मिलाने पर ‘एंटीबॉडी कॉकटेल’ दवा तैयार की जाती है. यह दवा कोरोना वायरस को मानव कोशिकाओं में जाने से रोकती है, जिससे वायरस को न्यूट्रिशन नहीं मिलता है. इस तरह यह दवा वायरस को रेप्लिकेट करने से रोकती है.

कैसे काम करती है यह दवा ?

डॉ धर का कहना है कि, यह दवा एंटीबॉडी लैब में बनी है. कोरोना वायरस के जिस पाइक प्रोटीन की बात हम करते हैं, उसे यह दवा खत्म कर देती है. उन्होंने कहा कि, एंटीबॉडी कॉकटेल एक तरह का इम्युनिटी बूस्टर ही है. इसे किसी शख्स के कोरोना पॉजिटिव होने के 48 से 72 घंटे के अंदर दिया जाता है.

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दवा देने के बाद किसी भी मरीज को कुछ देर एहतियात के तौर पर निगरानी में रखा जाता है, जिस तरह वैक्सीन देने के बाद होता है. आमतौर पर किसी व्यक्ति के संक्रमित होने बाद और लक्षणों के दिखने के 10 दिनों के भीतर भी दवा को प्रयोग किया जा सकता है.

एक डोज की कीमत 60 हजार रुपये

इस कॉकटेल दवा का इस्तेमाल किस पर करना है और किस पर नहीं, उसका ध्यान रखना भी बेहद जरूरी है. जो मरीज कोरोना संक्रमित होने के बाद ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं, अत्यंत गंभीर अवस्था में हैं, उन्हें इस एंटीबॉडी से ज्यादा फायदा नहीं होता है. वहीं, संक्रमण के तुरंत बाद यदि इसकी डोज दी जाये, तो ज्यादा असरकारक है.

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यानी इस दवा का प्रयोग माइल्ड और मॉडरेट मरीजों पर ही किया जा सकता है. डॉ धर ने बताया कि, यह दवा काफी कीमती है. इसके एक इंजेक्शन की कीमत 60 हजार रुपये है. उन्होंने कहा कि दवा कीमती है, पर नतीजे बताते हैं कि यह बहुत कारगर है.

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