ओलंपिक : भारत के गोल्डन ब्वॉय नीरज के साथ क्यों चर्चा में नसीम अहमद और वाहिद अली वाहिद

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Neeraj Chopra Naseem Ahmad
एथलीट नीरज चोपड़ा.

द लीडर : टोक्यो ओलंपिक के गोल्डन ब्वॉय नीरज चोपड़ा की भुजाओं के दम से भारत झूम उठा. नीरज के बहाने एक लंबे अरसे बाद देश सामूहिक-साझा खुशियों का गवाह बना. भारतवंशियों की छाती गर्व से चौड़ी हो गई. हर एक दिल में नीरज के लिए एक-जैसा प्यार-इज्जत और नाज दिखा. दुआओं के साथ बधाई-मुबारकबाद का सिलसिला जारी है. खुशी के इन गौरवशाली लम्हों में दो और हिंदुस्तानी, उनकी विधाएं काफी चर्चा में हैं. एक हैं नसीम अहमद और दूसरे वाहिद अली वाहिद. (Neeraj Chopra Naseem Ahmad )

हरियाणा के नसीम अहमद नीरच चोपड़ा के कोच हैं. जिन्होंने नीरज को तराशकर टोक्यो ओलंपिक का गोल्डन ब्वॉय बनाया. एक कोच और शार्गिद का क्या रिश्ता है. कोच को अपने खिलाड़ी पर किस कदर नाज है. नसीम अहमद के शब्दों से अंदाजा लगाइए.

नसीम अहमद कहते हैं कि ”नीरज जब भी खेलने जाते हैं. मुझसे आशीर्वाद जरूर लेते. गुरुदक्षिणा के तौर पर हर बार मैं उनसे गोल्ड मांगता हूं. और वह मुझे मेडल देते हैं. हर जीत के बाद वह फौरन मुझे गोल्ड की तस्वीर भेजते.

नसीम अहमद, नीरज चोपड़ा के कोच रहे हैं.

”सही मायने में तभी मेरा मन खुशी से झूमता है. इतने बड़े एथलीट होने के बावजदू नीरज आज तक मेरे सामने कुर्सी पर नहीं बैठते हैं. मुझे खशी है कि मैं देश को नीरज जैसा एथलीट दे पाया.” (Neeraj Chopra Naseem Ahmad )

ये नसीम अहमद हैं, जो बतौर नीरज के कोच चर्चा में हैं. इसलिए उन्हें भी देशवासियों की तरफ से बेपनाह मुहब्बतें और बधाईयां मिल रही हैं. नीरज की खुशियों में जो ओजस्वी कविता हर एक शख्स की जुबान पर है. उसे लखनऊ के कवि वाहिद अली वाहिद ने लिखा है.


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कविता है-‘ द्वंद्व कहां तक पाला जाए, युद्ध कहां तक टाला जाए. तू भी है राणा का वंशज, फेंक जहां तक भाला जाए. दोनों तरफ लिखा हो भारत, सिक्का वही उछाला जाए.’

नीरज की जीत में ये वाहिद अली वाहिद की ये पंक्तियां हर भारतीय की छाती चौड़ी कर रही हैं. जैसे ही टोक्यो में नीरज ने भाला फेंककर एथलीटेक्सि के इतिहास में पहला गोल्ड जीता. वाहिद अली की कविता सोशल मीडिया से लेकर हिंदुस्तानियों की जुबान पर चढ़ गई. (Neeraj Chopra Naseem Ahmad )

कवि वाहिद अली वाहिद.

इलाज के अभाव में वाहिद अली की मौत

लखनऊ के रहने वाले कवि वाहिद अली वाहिद की मौत इलाज के अभाव में हुई. इसी साल 20 अप्रैल को उनकी हालत बिगड़ी थी. दिल के मरीज थे. इलाज के लिए राम मनोहर लोहिया अस्पताल ले जाया गया था. लेकिन अस्पताल में भर्ती नहीं किया गया. और उनकी मौत हो गई.

वाहिद अली भारत की उस गंगा जमुनी तहजीब की विरासत को सहजने की कोशिशों में लगे रहे. और जब नीरज ने भारत को गौरवान्वित किया, तो वाहिद की कविता इस गौरवशाहली पलों की साक्षी और हिस्सा बनी. (Neeraj Chopra Naseem Ahmad )

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