द लीडर : नए कृषि कानूनों (Farm Laws) पर सुप्रीमकोर्ट से कमेटी (Committee) गठित होने के बाद भी किसानों का मत साफ है. वो ये कि जब तक कानून रद नहीं होंगे, आंदोलन जारी रहेगा. किसान नेता बलवीर सिंह राजेवाल (Balveer Singh Rajewal) ने समाचार एजेंसी एएनआइ से बातचीत में कहा कि सरकार अपने ऊपर से दबाव कम करने के लिए सुप्रीमकोर्ट के माध्यम से कमेटी लाई है. कमेटी के सभी सदस्य कानूनों को सही ठहराते हैं. इसलिए हमने कल ही इसका विरोध किया था. प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से हम कमेटी को नहीं मानते हैं.
कृषि कानूनों से जुड़ी एक याचिका पर मंगलवार को सुनवाई करते हुए सुप्रीमकोर्ट ने कानूनों के अमल पर रोक लगा दी है. सरकार और किसानों के बीच बना गतिरोध खत्म हो. इसके लिए कोर्ट ने एक कमेटी बनाई है. इस पर स्वराज इंडिया के प्रमुख योगेंद्र यादव ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा पहले ही बयान जारी कर साफ कर चुका है कि वो कमेटी की प्रक्रिया में भाग नहीं लेंगे.

यादव ने कहा कि कमेटी में शामिल तीन सदस्य कृषि कानूनों के जबरदस्त पैरोकार हैं. उन्होंने इसे सरकारी समिति बताते हुए कहा कि इसके गठन के साथ ही सारी आशंकाएं साफ हो गई हैं. योगेंद्र यादव के मुताबिक समिति में शामिल अशोक गुलाटी की कृषि कानूनों को लाने में अहम भूमिका रही है. दूसरा, सभी चारों सदस्यों का आंदोलन से कोई संबंध भी नहीं है.
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ऐसे भ्रम फैला रहे जैसे दुश्मन देश पर हमला करना
किसान नेता बलवीर सिंह पुंज ने कहा कि 26 जनवरी को किसान परेड कार्यक्रम शांतिपूर्ण रहेगा. इसको लेकर ऐसे भ्रम फैलाया जा रहा है कि जैसे किसी दुश्मन देश पर हमला करना हो. ऐसी गैर जिम्मेदार बातें संयुक्त किसान मोर्चा की नहीं हैं. 15 जनवरी के बाद ट्रैक्टर परेड कार्यक्रम की रूपरेखा तय करेंगे.

लोहड़ी पर कृषि कानूनों की प्रति जलाएंगे किसान
किसान नेता दर्शनपाल सिंह ने कहा कि कल हम लोहड़ी मना रहे हैं, जिसमें तीनों कृषि कानूनों को जलाएंगे. 18 जनवरी को महिला दिवस है और 20 जनवरी को गुरु गोविंद सिंह जी का प्रकाश उत्सव.
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कमेटी के सदस्यों के बहाने कांग्रेस का निशाना
कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने सुप्रीमकोर्ट द्वारा गठित कमेटी में सुझाए गए सदस्यों के नाम पर आपत्ति जताई है. उन्होंने कहा कि कमेटी में शामिल 4 लोगों ने सार्वजनिक रूप से पहले निर्णय कर रखा है कि ये कानून सही हैं. और कह दिया है कि किसान भटके हुए हैं. ऐसी कमेटी किसानों के साथ न्याय कैसे करेगी?