द लीडर : ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPB) ने एक लॉ पत्रिका ” जर्नल ऑफ लॉ-एंड रिलीजियस अफेयर्स” का विमोचन किया है. इसके जरिये बोर्ड कानून की अहमियत और कानून के द्वारा समाज में शांति, इस्लामिक शरीयत की जानकारी आम करना चाहता है. उन भ्रांतियों (गलतफहमियों) और शिकायतों को भी दूरना करना है, जो शरीयत के हुक्म को लेकर सामने आती रहती हैं. (Muslim Personal Law Board)
शुक्रवार को दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित विमोचन कार्यक्रम में सुप्रीमकोर्ट के वरिष्ठ वकील और पूर्व कानून मंत्री कपिल सिब्बल (Kapil Sibbal) भी पहुंचे. सिब्बल ने अपने संबोधन में कहा कि, मुस्लिम समाज को तमाम मामलों पर इंतजार करने या प्रतिक्रिया देने के बजाय खुद कदम उठाने चाहिए.
मसलन, औरतों का नमाज के लिए मस्जिद जाना. या टकराव के दूसरे तमाम मामलों में इज्मा और कयास मतलब (सहमति और अनुमान) को शरीयत के दायरे में रहकर इस्तेमाल करना बेहतर होगा. (Muslim Personal Law Board)
बोर्ड के महासचिव और लॉ जर्नल के चीफ एडिटर मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने इस पत्रिका की जरूरत पर रौशनी डाली. उन्होंने कहा कि इसके माध्यम से समाज को कानून का महत्व बताया जाएगा. कानून के जरिये समाज में शांति और इस्लामी शरीयत के प्रवर्तन के बारे में अवगत कराना है. उन भ्रांतियों को भी दूर करना है, जो अक्सर उठती रहती हैं. उन्होंने सिब्बल और वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े को कार्यक्रम में शामिल होने के लिए धन्यवाद कहा.
लाॅ पत्रिका के संपादक एडवोकेट एमआर शमशाद ने बुद्धिजीवी, टीचर्स, कानून विशेषज्ञों से गुजारिश की है कि वे अपने आर्टिकल और विचारों के जरिये पत्रिका की उपयोगिता को बढ़ाएं. बौद्धिक और अनुसंधान के जरिये अवाम तक आसानी से पहुंच सकते हैं. इससे लोगों के बीच भ्रांतियां दूर होंगी. (Muslim Personal Law Board)
उन्होंने कहा कि देश में तमाम कानून विशेषज्ञों ने पर्सनल लॉ के मुद्दे पर बेहतरीन काम किया है. हमें अमेरिका की सिविल लिबर्टी यूनियन से भी सीखने की जरूरत है कि किस तरह से उन्होंने जी-तोड़ मेहनत करके, बरारी के लिए संघर्ष और कानून के रूल्स एवं सिद्धांत तैयार किए.
इस दौरान जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष और बोर्ड के उपाध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी, बोर्ड के दूसरे उपाध्यक्ष मौलाना सय्यद अली मुहम्मद नकवी, जमाअत इस्लामी हिंद के अमीर सय्यद सआदतउल्लाह हुसैनी, मौलाना असगर इमाम सल्फी, मौलाना मुफ्ती मुकर्रम अहमद आदि ने अपने विचार रखे. (Muslim Personal Law Board)